भू-राजस्व संशोधन का विरोधः कांग्रेस ने राज्यपाल से की विधेयक पर रोक लगाने की माँग

Chief Editor
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IMG-20180110-WA0012रायपुर । छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश किए भू-राजस्व संशोधन विधेयक को निरस्त करने की माँग को लेकर कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल बलराम दास टंडन से मिलकर इस विधेयक को निरस्त करने और वापस करने की मांग की।विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टी.एस.. सिंहदेव के लेटरहेड पर सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बहुल राज्य है। यहां के आदिवासियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए कई कानून बनाए गए हैं।

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अधिसूचित क्षेत्र में आदिवासियों की जमीन की खरीदी-बिक्री व हस्तांतरण पर आंशिक रूप प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से विधानसभा के शीत कालीन सत्र के दौरान पेश किया गया भू-राजस्व संशोधन विधेयक 2017  भारत के संविधान के अनुच्छेद  19 (5), 19 (6),  24 (1),  143 ,275 ,368, 13 (2)  के प्रवधानों पर ,सीधा प्रतिघात है और संविधान की मूल भावना के विपरीत है।

ज्ञापन में कहा गया है कि सदन में कांग्रेस ने इस विधेयक का विरोध किया और इसे सदन की समिति को सौंपने की मांग रखी। लेकिन बहुमत के आधार पर इसे पारित कर दिया गया । विधेयक के पक्ष में सत्ता पक्ष की ओर से सार्वजनिक रूप से कहा जा रहा है कि इसके पारित होने से अधिसूचित क्षेत्र में केन्द्र और प्रदेश सरकार की परियोजनाओँ के लिए आदिवासियों की जमीन खरीदी जा सकेगी। जबकि इसका कोई उल्लेख विधेयक में नहीं है। कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि यह विधेयक राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा गया है। साथ ही इस पर रोक लगाते हुए इसे वापस करने की मांग की है।

ज्ञापन में नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, सहित कवासी लखमा, सत्यनारायण शर्मा, धनेन्द्र साहू, रविन्द्र चौबे, चिंतामणी महराज, बोधराम कँवर, रामपुकार ,सिंह, खेलसाय सिंह, बृहस्पत सिंह, संतराम नेताम, लखेश्वर बघेल, दीपक बैज, मोहन मरकाम, श्रीमती देवती कर्मा, रामदयाल उइके, अमरजीत भगत, लालजीत सिंह, श्यामलाल कँवर,श्रीमती अनिला भेड़िया, तेजकुँवरनेताम, मनोज सिंह मंडावी, शंकर ध्रुवा, डॉ. प्रीतम राम, शिशुपाल सोरी और श्रीमती छाया वर्मा के नाम हैं।

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