शिक्षा कर्मीः समस्याओँ-मुद्दों पर बात करने पैरा शिक्षक संघर्ष समिति ने माँगा RSS प्रमुख से मुलाकात का समय

Chief Editor
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Shikshakarmi,virendra dubeyरायपुर । शिक्षा कर्मियों की समस्याओँ और माँगों का निराकरण करने के लिए हाल ही में गठित राष्ट्रीय पैरा शिक्षक संघर्ष समिति ने अपना उद्देश्य पूरा करने की दिशा में पहल शुरू कर दी है। इस  सिलसिले में संगठन ने छत्तीसगढ़ ही नहीं मध्य और उत्तर भारत के कई राज्यों के शिक्षा कर्मियों के मुद्दों पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ  (RSS)  प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात का समय माँगा है। इसके लिए समिति के संयोजक और छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षा कर्मी संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र दुवे ने एक पत्र भेजा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत इसी जनवरी महीने में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रवास पर आने वाले हैं। यदि उनसे मुलाकात का समय मिलता है तो शिक्षा कर्मियों के मुद्दे पर सार्थक बतचीत की उम्मीद की जा रही है।

   जैसा कि मालूम है कि  हाल ही में पिछले 7 जनवरी  को मध्यप्रदेश के सतना में  वादा निभाव रैली  का आयोजन किया गया था।  साथ ही तीन राज्यों से आये शिक्षाकार्मियों के प्रमुखों की उपस्थिति में अंतरराज्यीय बैठक का आयोजन किया गया । जिसमें मध्य एवं उत्तर भारत के राज्यों में कार्यरत पैरा शिक्षको को एकजुट कर उनकी समस्याओं को शासन तक पहुंचाने हेतु कार्ययोजना बना कर  राष्ट्रीय पैरा शिक्षक संघर्ष समिति का गठन किया गया है तथा बैठक में यह भी निर्णय  लिया गया कि  राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के  सर संघ चालक  से भेंट हेतु समय के लिए निवेदन किया जाएगा।
गौरतलब है कि  कि संघ प्रमुख  11 जनवरी से 13 जनवरी तक मध्यप्रदेश के  विदिशा  में   और  14 जनवरी से 15 जनवरी  तक  छत्तीसगढ़ के रायपुर   प्रवास में रहेंगे।   संघ प्रमुख से मिलकर शिक्षक व वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा की दिशा में समिति ने प्रयास शुरू कर दिया है। इसे लेकर राष्ट्रीय पैरा शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक वीरेन्द्र दुवे ने आरएसएस के सरसंघचालक के नाम एक पत्र भेजकर प्रतिनिधिमंडल को समय प्रदान करने का अनुरोध किया है। पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय पैरा शिक्षक संघर्ष समिति भारत के विभिन्न राज्यों के पैरा शिक्षकों का साझा मँच है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही म.प्र. /छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में पैरा शिक्षक व्यवस्था ने शिक्षा के क्षेत्र में दोहरी व्यवस्था व भेदभावपूर्ण नीतियों का ताना-बाना बना लिया है। अपनी सेवा शर्तों और शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए शिक्षक पिछले 20 वर्षों से आँदोलन करते रहे हैं। इस दौरान अनेक ऐतिहासिक आँदोलन हुए और अनेक अप्रिय स्थितियां भी निर्मित हुई हैं। वर्तमान समय में सरकार के साथ संघर्ष की परिस्थितियां निर्मित हैं। पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संरक्षण की उम्मीद है । लिहाजा चर्चा के लिए समय मिले तो इस दिशा में आगे समुचित पहल हो सकती है।

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