रायपुर।“आज के दौर में एक तरफ नई शिक्षा नीति की बात हो रही है। दूसरी तरफ देश के कई हिस्सों मेँ पैरा टीचर का चलन शुरू हो गया है.। जबकि टीचर को लेकर भी देश में सभी जगह एक समान नीति होनी चाहिए। शिक्षक का सम्मान होना चाहिए।जब तक शिक्षक असंतुष्ट रहेगा तब तक हम राष्ट्र का निर्माण कैसे कर सकते हैं।“ इस तरह की भावनाओँ को लेकर देश में एक बड़ा मूव्हमेंट खड़ा करने के लिए छत्तीसगढ़ /मध्यप्रदेश सहित उत्तर प्रदेश , बिहार और राजस्थान के शिक्षक एकजुटता के साथ आगे आने की तैयारी में हैं। इस सिलसिले में 7 जनवरी को मध्यप्रदेश के सतना में शिक्षकों की एक बड़ी बैठक रखी गई है। जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
डाउनलोड करें CGWALL News App और रहें हर खबर से अपडेट
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.cgwall
यह जानकारी शालेय शिक्षा कर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष और मोर्चा संचालक वीरेन्द्र दुबे नें cgwall.com से एक बातचीत के दौरान दी । उन्होने बताया कि शिक्षा कर्मी का जन्म 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश में हुआ था। इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना को 17 साल बीत गए। लेकिन पिछले 19 बरसों से हम संविलयन की मांग करते आ रहे हैं। दोनों राज्यों के शिक्षा कर्मियों की समस्याएं एक जैसी हैं, मांगे एक जैसी हैं और दोनों इसके लिए अलग-अलग संघर्ष कर रहे हैं। इसी बीच में पूरे देश में पैरा टीचर का चलन शुरू हो गया है। मध्यप्रदेश से शुरू होकर अब उत्तर प्रदेश , बिहार , राजस्थान जैसे उत्तर भारत के कई राज्यों में शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी पैरा टीचर के ऊपर ही है। सभी जगह समय-समय पर आंदोलन भी होते रहते हैं। दुबे ने बताया कि हाल ही में हुए छत्तीसगढ़ के शिक्षा कर्मियों के आँदोलन से अन्य राज्यों के शिक्षक काफी प्रभावित हुए हैं। इसकी चर्चा मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर शहर में पिचले 31 दिसंबर को आयोजित पदाधिकारियों के एक सम्मेलन में भी हुई। इस सम्मेलन में करीब 1000 पदाधिकारियों की मौजूदगी में वीरेन्द्र दुबे को भी अतिथि के रूप में बुलाया गया था। इस मौके पर यह मुद्दा काफी गंभीरता से उठाया गया कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के शिक्षा कर्मियों की मांगें एक समान हैं । दोनों जगह समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा है।ऐसी स्थिति में स्थायी समाधान के लिए दोनों राज्यों के शिक्षा कर्मियों का संयुक्त मोर्चा बनाकर मुहिम शुरू करने पर विचार किया गया है।
वीरेन्द्र दुबे ने बताया कि नरसिंहपुर की बैठक में यह मुद्दा भी सामने आया कि केवल एमपी- छत्तीसगढ़ ही नहीं उत्तर प्रदेश , राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में भी शिक्षकों की यही स्थिति है। उन्हे जोड़कर एक बड़ा राष्ट्र व्यापी मूव्हमेंट खड़ा करने के लिए 7 जनवरी को सतना में एक और सम्मेलन करने का फैसला किया गया है। सतना में इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है।उन्होने बताया कि एक तरफ सरकार नई शिक्षा नीति की बात कर रही है। दूसरी तरफ देश में पैरा टीचर का चलन बढ़ रहा है। यह सवाल उठता है कि जब नई शिक्षा नीति पर विचार हो रहा है तो क्या एक समान टीचर रखने पर विचार नहीं होना चाहिए…? शिक्षक का सम्मान – स्वाभिमान होना चाहिए। हम राष्ट्र निर्माण – राष्ट्र हित की बात करते हैं और अगर टीचर असंतुष्ट होगा तो यह कैसे हो सकता है…?आज अलग-अलग जगह शिक्षक अलग-अलग नाम से जाना जाता है। कहीं शिक्षा कर्मी, कहीं शिक्षा मित्र, कहीं शिक्षा सेवक, कहीं शिक्षक पंचायत ……। हम कैसे असली शिक्षक बनेंगे……. पहले के शिक्षकों जैसे …। जिनकी पहचान एक हो….. जिनका विभाग एक हो……। बस हमारी यही एक मांग है।
उन्होने कहा कि समान काम – समान वेतन पर सुप्रीम कोर्ट का भी निर्णय आ गया है। तब तो यह शिक्षकों को भी मिलना चाहिए ….। शोषण किसी का भी नहीं होना चाहिए…।इसे अब हम राष्ट्रीय मुद्दा बनाने का काम कर रहे हैं। उन्होने कहा कि पिछले आँदोलन के जरिए हम समाज को यह संदेश देने में कामयाब रहे हैं कि वे शिक्षकों की स्थिति को समझ सके। हालांकि यह बात भी है कि आखिर शिक्षक कितना कर सकता है। वह तो एक निरीह प्राणी है।फिर भी समाज, सरकार , विपक्ष सभी को हम एक संदेश देने में सफल रहे हैं।अब देखिए क्या स्थिति निर्मित होती है। हम किसी का अहित नहीं चाहते हैं। हमें सरकार से लेना है…. सरकार से लड़ना है औऱ अपेक्षा भी सरकार से ही है….। तो एक ऐसा माहौल बनाने की कोशिश शुरू हुई है कि सरकार हमारी बातें सुने और मजबूर होकर अपने संकल्प पत्र-घोषणा पत्र के अनुरूप शिक्षकों के साथ न्याय करे। जिससकी घोषणा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सार्वजनिक मंचों पर कर चुके हैं , उसका क्रियान्वयन होना चाहिए । बस इस उद्देश्य को लेकर ही हम यह मुहिम शुरू कर रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में वीरेन्द्र दुबे ने कहा कि सतना की बैठक अहम् है। सभी जगह – समस्याएं एक सी हैं। वहां के लोग एक-दूसरे से मिलेंगे…… एक – दूसरे के यहां जाएंगे….. तो एक सामूहिक माहौल बनेगा। शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मामले में एक राय बनेगी और निजीकरण का विरोध भी होगा। जब पूछा गया कि क्या इस मामले में छत्तीसगढ़ में प्रदेश स्तर पर राय-मशविरा किया गया है… ? इस पर उन्होने कहा कि अभी मुझे अतिथि के रूप में बुलाया गया था और मैं इस रूप में ही गया था।जब भी प्रांतीय मोर्चा की बैठक होगी उसमें यह विषय रखकर चर्चा कर ली जाएगी।