रायपुर।अब छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के शिक्षा कर्मी मिलकर अपनी मांगों को एक साथ उठाएँगे और समान काम-समान वेतन,, संविलयन-शासकीयकरण के मुद्दे पर एक जुटता का साथ मुहिम चलाएंगे। इसे लेकर दोने प्रदेशों के शिक्षा कर्मी संगठन के लोगों के बीच सहमति बन रही है।मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 31 दिसम्बर को नरसिंगपुर मध्यप्रदेश में अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश के तत्वाधान में विसंगति हटाओ शिक्षा बचाव सम्मेलन का आयोजन किया गया ।जिसमें छत्तीसगढ़ से शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम में उपस्थित अध्यापकों को संबोधित करते हुए वीरेंद्र दुबे ने शासन को खुली चुनौती दी है कि मध्य प्रदेश के लगभग 3 लाख अध्यापक एवँ छत्तीसगढ़ के 2 लाख शिक्षको के संविलियन किये बिना इनका मिशन 2018 कभी सफल नही होगा।
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उन्होने कहा कि शिक्षाकर्मी व्यवस्था एवँ शिक्षा व्यवस्था में विसंगति का जन्म 1998 से ही अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से हुआ। दोनों प्रदेश में अध्यापक एवँ शिक्षको की समस्या लगभग समान है। दोनों ही प्रदेशो वेतन एवँ सेवा शर्तों में विसंगतियां है, विसंगतियों को दूर करने के लिए अपने अपने स्तर पर प्रयास कर रहे है। आवश्यकता है अब संयुक्त रूप से अपनी समस्याओं को शासन तक पहुंचाने की पहल की जाए।दोनों ही राज्यों के शासन को चाहिए कि यदि वे शिक्षा एवँ शिक्षक के प्रति गंभीरता रखते है तो अध्यापकों एवँ शिक्षको का अविलंब उनके मूल विभाग शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाए।
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दोनों ही प्रदेश के संगठनों ने फैसला लिया है कि आगामी समय मे दोनों प्रदेश के अध्यापक एवँ शिक्षक संयुंक्त मोर्चा बना कर एकजुटता के साथ शासन के खिलाफ अन्दोलन करेंगे।वीरेन्द्र दुबे ने कहा कि शासन द्वारा अपने किये गए वादों को पूरा नही किया जाना दुर्भाग्यजनक है शासन को चाहिए कि अध्यापकों एवँ शिक्षको का संविलियन आदेश जारी करके अपने किये गए वादों को पूरा करे।