नसबन्दी शिविरः मौखिक आदेश से हुआ आयोजन…डॉ.बोर्डे ने कहा हो गयी चूक…अब नहीं होगी लापरवाही

BHASKAR MISHRA
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kota nasbandi 2बिलासपुर– बिलासपुर स्वास्थ्य महकमा का भगवान ही मालिक है। लगातार गलतियों के बाद भी सुधरने के नाम नहीं ले रहा है। दो दिन पहले कोटा में बिना लिखित सरकारी आदेश के पुरूष नसबन्दी शिविर का आयोजन कर डाला। 14 लोगों का आपरेशन किया गया। चार लोगों की हालत खराब होने के बाद मामला सामने आया कि शिविर का आयोजन मौखिक आदेश पर किया गया था।

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                  नसबन्दी के बाद चार लोगों की हालत बिगड़ गयी।  चारों का कोटा स्वास्थ्य केन्द्र का में दुबारा आपरेशन किया गया। लेकिन हालत बिगड़ते देख चारों मरीजों को कोटा से सिम्स ऱिफर किया गया। लेकिन स्वास्थ्य महकमा ने मामले को छिपाने के लिए चारों को सरकण्डा स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। मामले में मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी का तर्क है कि स्वास्थ्य पखवाड़ा बीत गया था। इसलिए दुबारा आदेश निकालने की वजाय मौखिक आदेश पर नसबन्दी शिविर का आयोजन किया गया।

                         मालूम हो कि दो दिन पहले बिलासपुर जिले के कोटा स्वास्थ्य केन्द्र में नसबन्दी शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में 14 पुरूषो की नसबन्दी हुई। देर शाम 4 लोगों की तबीयत खराब हो गयी। आनन फानन में स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र कोटा में चारों का दुबारा आपरेशन किया गया। हालत बिगड़ते देख तीन लोगों को तत्काल सिम्स के लिए रिफर किया गया। लेकिन तीनों को रात्रि 11 बजे सिम्स की वजाय सरकन्डा स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। तीनों का तीसरी बार आपरेशन किया गया। दूसरे दिन चौथे मरीज को भी निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। चारो ने बताया शिविर में आपरेशन के कुछ घण्टे अत्यधिक दर्द होने लगा। सूजन और ब्लिडिंग के बाद डॉक्टर ने बिलासपुर के लिए रिफर किया।

                                       मामले को लेकर राजनैतिक पार्टियों ने कलेक्टर और सीएमओ कार्यालय का घेराव किया। घेराव के दौरान सीएमओ ने कोटा बीेएमओ को हटाने का आदेश दिया।

मौखिक आदेश पर लगा शिविर

                    जानकारी के अनुसार नसबन्दी शिविर का आयोजन मौखिक आदेश पर किया गया। नसबन्दी शिविर आयोजन की जानकारी विभाग के कुछ चुनिन्दा लोगों को ही थी। शिविर को इतना गुपचुप रखा गया कि स्थानीय प्रशासन को भनक नहीं लगी। बताया जा रहा है कि सब कुछ टारगेट को पूरा करने के लिए किया गया। लेकिन लापरवाही सामने आने के बाद मामला उजागर हो गया।

              जानकारी मिली है मौखिक आदेश पर नसबन्दी शिविर का आयोजन का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य महकमें की वित्तीय अनियमितता पर पर्दा डालना था। नसबन्दी करने बिल्हा में पदस्थ सिविल सर्जन डॉक्टर शरद गडेवाल को भेजा गया।  यह जानते हुए भी कि डॉ. शरद गढ़ेवाल को शिविर में आपरेशन करने का अनुभव नहीं है।

2014 में बदला गया था स्थान

                  मालूम हो कि साल 2014 में कानन पेन्डारी में नसबन्दी काण्ड के समय नसबन्दी शिविर का आयोजन कोटा में किया जाना था। बाद में शिविर आयोजन तखतपुर ब्लाक के कानन पेन्डारी में किया गया। तात्कालीन समय डॉ.आर.के.गुप्ता ने 85 महिलाओं का एक साथ आपरेशन किया। नसबन्दी के बाद तीन दर्जन से अधिक पी़डित महिलाओं को बिलासपुर के विभिन्न अस्पताल में भर्ती कराया गया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार नसबन्दी काण्ड में 13 महिलाओं की मौत हुई। जिसे लेकर देश दुनिया में जमकर बवाल मचा।

             बावजूद इसके इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ। स्थान तो नहीं बदला…लेकिन नसबन्दी शिविर आयोजन को लेकर सीएमओ ना तो लिखित आदेश जारी किया और ना ही योग्य डाक्टर को भेजा।

आखिर क्यों नहीं दिया लिखित आदेश

             प्रश्न उठता है कि कोटा में आयोजित नसबन्दी शिविर के लिए सीएमओ ने लिखित आदेश क्यों नहीं दिया। निश्चित रूप से दाल में कुछ काला है। यदि ऐसा नहीं है तो गुपचुप तरीके से डा.बोर्डे को मौखिक आदेश देकर शिविर का आयोजन क्यों करना पड़ा। प्रश्न बहुत हैं..लेकिन जवाब कहीं से नहीं आ रहा है। दबी जुबान में कुछ लोगों ने जरूर बताया कि स्वास्थ्य विभाग में भारी वित्तीय अनियमितता हुई है। वित्तीय अनियमितता को पैच अप करने गुपचुप तरीके से नसबन्दी शिविर का आयोजन किया गया। यदि चार पुरूषों की हालत नहीं बिगड़ती तो मामला रफा दफा हो चुका था। फिलहाल सीएमओ मामले में कुछ भी जवाब देने से बच रहे हैं।

व्यस्तता के कारण नहीं हुआ आयोजन…डॉ.बोर्डे

       विभागीय व्यस्तता के कारण समय पर शिविर का आयोजन नहीं किया जा सका था। इसलिए कुछ दिनों बाद कोटा में मौखिक आदेश पर नसबन्दी शिविर का आयोजन किया गया। मामला पुराना था इसलिए लिखित आदेश नहीं दिया गया। डॉ. के.के.साव की ड्यूटी लगाई गयी थी। लेकिन इत्तफाक से उस दिन शहर में नहीं थे। आपरेशन के लिए डाक्टर शरद अग्रवाल को भेजा गया। डा.बोर्डे ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चूक तो हुई है लेकिन माफ करो दुबारा लापरवाही नहीं होगी।

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