रायपुर ।।राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से सोमवार को प्रदेश भर के शिक्षाकर्मियों का एक दिवसीय सम्मेलन संघ के प्रदेश कार्यालय जागृति मंडल में बुलाया गया। शिक्षाकर्मियों की बैठक में प्रदेश भर के हर जिले से 10-10 शिक्षाकर्मियों को बुलाया गया था। जिसमे शिक्षक संघ की तरह शिक्षाकर्मियो की केडर सम्बन्धी RSS समर्थित अलग शिक्षाकर्मी संघ बनाने की चर्चा की गई। शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने विज्ञप्ति जारी करके कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को शिक्षाकर्मियो का अलग संघ बनवाने के बजाय संविलियन/ शासकीयकरण का प्रस्ताव शासन/ सरकार को देना चाहिए।शिक्षक संघ की सदस्य संख्या कम होने की पूर्ति संविलियन करने से होगा तथा शासकीयकरण होने वाले शिक्षाकर्मी स्वभाविक रूप से शिक्षक संघ में शामिल हो सकते है।
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शिक्षाकर्मियो को तोड़कर अलग संघ बनाना इसका विकल्प व समाधान नही हैं और न ही ऐसे समूह को आगे समर्थन मिलेगा । क्योकि आज शिक्षाकर्मियो के कई संघ बने हैं जिसे आम शिक्षाकर्मियो ने नकारा हैं और जब भी नया संघ बना शिक्षाकर्मी दुखी भी हुए। इसलिये नए संघ के निर्माण से दुख ही पहुचेगा। दरअसल प्रदेश में हाल ही में समाप्त हुए शिक्षाकर्मियों के आंदोलन के बाद आरएसएस ने शिक्षाकर्मियों का राज्य की भाजपा सरकार के प्रति रुख जानने के लिए यह बैठक बुलाया था।
प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने बताया कि उपस्थित शिक्षाकर्मियो के अनुसार आरएसएस के प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों ने शिक्षाकर्मियों से उनकी मांगों पर तो बात की है। साथ ही उन्हें एक नया संगठन बनाने का प्रस्ताव भी दिया।संजय शर्मा ने बताया कि उपस्थित अधिकांश शिक्षाकर्मियों ने RSS के प्रस्ताव पर असहमति जताई।सम्मेलन में शिक्षाकर्मियों से सीधे तौर पर पूछा गया कि हाल ही में हुए आंदोलन के बाद उन्हें कैसा महसूस हुआ? आंदोलन के दौरान उनका अनुभव क्या था?सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संघ के प्रदेश स्तरीय शीर्ष नेतृत्व को उपस्थित शिक्षाकर्मियों ने अपनी व्यथा बताई और भाजपा द्वारा संकल्प पत्र में उल्लेखित व 2 दिसम्बर को मुख्यमंत्री द्वारा किये गए संविलियन को लागू करने की बात की।