रायपुर । मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां मंत्रालय में आयोजित ऊर्जा विभाग की बैठक में किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार किसानों के सिंचाई पम्प कनेक्शनों में बिजली की खपत के आधार पर बिल जारी करने के लिए ग्राम पंचायतों के स्तर पर ऊर्जा समितियों का गठन किया जाएगा। इन समितियों के द्वारा उपभोक्ताओं के सहयोग से मीटर रीडिंग को और भी अधिक नियमित एवं सुव्यवस्थित करने के लिए योजना तैयार की जाएगी। उपभोक्ताओं के सहयोग से मीटर रीडिंग के आधार पर बिलिंग किए जाने की व्यवस्था प्रयोग के तौर पर अधिक सिंचाई पम्प वाले क्षेत्रों में लागू की जाएगी।
इस कार्य के लिए स्थानीय युवाओं को लाईवलीहुड कॉलेजों में कौशल उन्नयन कार्यक्रम के तहत इलेक्ट्रिकल ट्रेड में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि बिजली से संबंधित छोटी-छोटी स्थानीय समस्याओं का निराकरण और मीटर रीडिंग सहित सिंचाई पम्पों के मरम्मत आदि के कार्य गांव में ही यथाशीघ्र हो सकें और ऐसे कार्यों में युवाओं को रोजगार मिल सके। बैठक में राज्य के विभिन्न जिलों में सिंचाई पम्पों में लगाए गए मीटरों की रीडिंग में आ रही कुछ व्यावहारिक कठिनाईयों पर भी विचार किया। विचार-विमर्श के बाद लिए गए निर्णय के अनुसार विद्युत वितरण कम्पनी को वितरण ट्रांसफार्मर पर मीटर लगाने और सिंचाई पम्पों के लिए सामूहिक रूप से मीटर स्थापना के विकल्प पर कार्य करने के निर्देश दिए गए। ग्रामीण क्षेत्रों में खराब हुए ट्रांसफार्मरों को बदलने में लगने वाले समय को कम करने के लिए वितरण कम्पनियों के अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे जिलों को समूह में बांटकर ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर त्वरितगति से पहुंचाने के लिए स्थानीय स्तर पर भण्डारण की व्यवस्था करें, ताकि परिवहन में लगने वाली देरी को कम किया जा सके।
राज्य के दूर-दराज इलाकों में असफल अथवा हुए ट्रांसफार्मरों की मरम्मत के लिए उन क्षेत्रों में रिपेयरिंग सेन्टर की स्थापना करने का भी निर्णय लिया गया। यह कार्य वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के समन्वय से किया जाएगा। सिंचाई पम्पों को गुणवत्तापूर्ण बिजली की निरंतर आपूर्ति बनाए रखने के लिए यह भी तय किया गया कि जिन इलाकों में सिंचाई कनेक्शन तुलनात्मक रूप से अधिक हैं, वहां अलग फीडर की योजना लागू की जाए। इसके लिए वितरण कम्पनी के अधिकारियों को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए। ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए यह भी तय किया गया कि पम्प विद्युतीकरण के वार्षिक लक्ष्य की एक तिहाई संख्या सौर ऊर्जा आधारित पम्पों (सोलर पम्पों) के लिए निर्धारित की जाएगा। बैठक में ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने राज्य में सिंचाई पम्प कनेक्शनों की संख्या में वृद्धि और अन्य योजनाओं में अब तक हुई प्रगति के बारे में एक प्रस्तुतिकरण भी दिया।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) के अधिकारियों को इसके लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। अगले पांच वर्षों के लिए राज्य की बिजली की मांग में अनुमानित वृद्धि को ध्यान में रखकर 132/33 के.व्ही. क्षमता के विद्युत उपकेन्द्रों की आवश्यकताओं का आंकलन करने का भी निर्णय लिया गया।