दीमक खा गए निगम का मृत्यु रिकार्ड …प्रभारी ने कहा 2008 में आया…आगे पीछे के रिकार्ड सुरक्षित

BHASKAR MISHRA
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IMG-20171213-WA0024बिलासपुर– निगम जन्म मृत्यु पंजीयन शाखा में दीमकों को 1994 का रिकार्ड अच्छा लगा और चट गए। ऐसा निगम शाखा के कर्मचारी बता रहे हैं। जी हां निगम कर्मचारियों के अनुसार 1994 का मृत्यु रिकार्ड दीमक चट कर गए हैं। लेकिन 1994 के पहले और बाद के सभी रिकार्ड सुरक्षित हैं। बात किसी के भी गले से नहीं उतर रही है। मामला उस समय सामने आया ..जब कुछ लोग परिजनों का मृत्यु रिकार्ड लेने निगम कार्यालय पहुंचे। एक महिला कर्मचारी ने बताया कि 1994 का मृत्यु रिकार्ड निगम के पास नहीं है। इसलिए जानकारी देना संभव नहीं है। कारण पूछने पर महिला कर्मचारी ने बताया कि शायद रिकार्ड को दीमक खा गए है।

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                          निगम के जन्म मृत्यु पंजीयन शाखा से 1994 का मृत्यु रिकार्ड गायब है। मामले में अधिकारी तरह तरह के तर्क दे रहे हैं। कभी शिफ्टिंग के दौरान मिस प्लेसिंग की बात करते हैं तो कभी बता रहे हैं कि 1994 के मृत्यु रिकार्ड को दीमक खा गए हैं।

              मामला उस समय सामने आया जब कुछ लोग 1994 का मृत्यु रिकार्ड लेने निगम के जन्म मृत्यु पंजीयन शाखा गए। महिला कर्मचारी ने काफी छानबीन के बाद बताया कि 1994 का मृत्यु रिकार्ड नहीं मिल रहा है। रिकार्ड को शायद दीमक चट गए हैं। अथवा रजिस्टर गायब हो गया है। ऐसी स्थिति में 1994 में दर्ज मृत्यु रिकार्ड को दे पाना नामुमकिन है। निगम की महिला कर्मचारी का जवाब सुनने के बाद रिकार्ड मांगने वालों में भारी नाराजगी है।

सिर्फ 1994 का ही रिकार्ड क्यो हुआ गायब

                    निगम कर्मचारी ने बताया कि सभी रिकार्ड एक साथ सुरक्षित रखे जाते हैं। लेकिन 1994 के ही रिकार्ड को दीमकों ने खाया है। जबकि अन्य सभी रिकार्ड सुरक्षित हैं।  बात गले से नहीं उतरती है। महिला कर्मचारी ने यह भी बताया कि 1994 के अलावा सभी मृत्यु रिकार्ड रजिस्टर में दर्ज है।

निगम देगा अनुपलब्धता रिकार्ड

            अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए निगम प्रशासन के अधिकारी मृत्यु रिकार्ड मांगने वालों को तरह तरह की जानकारी और परामर्श दे रहे हैं। विभाग प्रभारी डॉ.ओंकार ने बताया कि जिन्हेें मृत्यु रिकार्ड की जरूरत है ऐसे लोग तहसील कार्यालय जाकर शपथ पत्र दें। शपथ पत्र के बाद जानकारी मांगे जाने पर निगम प्रशासन लिखित में बताएगा कि रिकार्ड पुराना था। दीमक लगने कारण रिकार्ड नष्ट हो गया है। शपथ पत्र और परिजनों से पूछताछ के बाद जानकारी दी जा सकती है।

पहले तो कहे लापरवाही..फिर बताया दीमक खा गए

             विभाग प्रभारी ओंकार शर्मा ने बताया कि पहले तो बताया कि निगम के पास सारे रिकार्ड है। रिकार्ड नहीं होने का अर्थ कर्मचारियों की लापरवाही है। लेकिन थोड़ी देर बाद महिला कर्मचारी से बातचीत के बाद उन्होने बताया कि रिकार्ड बहुत पुराना था।दीमकों ने चट कर दिया । इसलिए रिकार्ड देना संभव नहीं है। डॉ.ओंकार के अनुसार 2008 में निगम आया। दीमक ने रिकार्ड किस साल खाया इसके बारे में कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं हूं। मुझे आज ही पता चला कि हमारे पास 1994 का मृत्यु रिकार्ड नहीं है। जबकि सभी रिकार्ड साथ ही रखे जाते हैं। आगे पीछे के रिकार्ड सुरक्षित हैं। बावजूद इसके डॉ.ओंकार शर्मा समझाने में नाकाम रहे कि केवल 1994 के रिकार्ड को ही दीमकों ने क्यों पसंद किया।

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