यमुना तट के नुकसान के लिए आर्ट आफ लिविंग दोषी

Shri Mi
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NGT-slams-AoL-620x400नईदिल्ली।राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गुरुवार को पिछले साले मार्च में विश्व सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित करने के कारण यमुना डूब क्षेत्र को हुए नुकसान के लिए श्री श्री रविशंकर के संगठन आर्ट आॅफ लिविंग फाउंडेशन (एओएल) को जिम्मेदार ठहराया। अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाले पीठ ने एओएल पर पर्यावरण मुआवजा बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि उसके द्वारा पहले जमा कराए गए पांच करोड़ रुपयों का इस्तेमाल डूब क्षेत्र में पूर्व स्थिति की बहाली के लिए किया जाएगा। एओएल ने एनजीटी के फैसले पर निराशा जताते हुए दावा किया कि उसने पर्यावरण संबंधी नियमों का पालन किया था और उसकी दलीलों पर विचार नहीं किया गया। एओएल ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा।

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पीठ ने यमुना डूब क्षेत्र के नुकसान के लिए एओएल को विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदार ठहराया। पीठ में न्यायमूर्ति जे रहीम और विशेषज्ञ सदस्य बीएस सजवान भी शामिल थे। पीठ ने दिल्ली विकास प्राधिकार को निर्देश दिया कि वह डूब क्षेत्र को हुए नुकसान और विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुसार उसे बहाल करने में आने वाले खर्च का आकलन करे।

पीठ ने कहा कि अगर नुकसान को दुरुस्त करने में आने वाला खर्च पांच करोड़ रुपए से ज्यादा होता है तो उसे एओएल से वसूल किया जाएगा। अगर लागत पांच करोड़ रुपए से कम आती है तो शेष राशि फाउंडेशन को वापस कर दी जाएगी।

पीठ ने कहा कि यमुना के डूब क्षेत्र का इस्तेमाल किसी ऐसी गतिविधि के लिए नहीं होनी चाहिए जिससे पर्यावरण को नुकसान हो। पीठ ने यह फैसला करने से इनकार कर दिया कि क्या एओएल यमुना तट पर समारोह आयोजित करने के लिए अधिकृत था या नहीं। पीठ ने कहा कि यह उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। अधिकरण ने यमुना तट को बचाने के अपने कर्तव्य का पालन करने में नाकाम रहने के लिए डीडीए की खिंचाई की लेकिन उसने कोई पेनाल्टी नहीं लगाई।

फैसला सुनाए जाने के पहले बताया गया कि पूर्व में मामले की सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति आरएस राठौड़ ने खुद को पीठ से अलग कर लिया है। एओएल के वकील ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। एओएल ने कहा कि हम फैसले से सहमत नहीं हैं और अधिकरण के फैसले से आर्ट आफ लिविंग निराश है। हमारी दलीलों पर विचार नहीं किया गया। एओएल कानून का पालन करने वाला संगठन है और न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा। हमें यकीन है कि हमें सर्वोच्च अदालत से न्याय मिलेगा।

अधिकरण ने मनोज मिश्र की याचिका पर सुनवाई के बाद इस मामले में अपना आदेश 13 नवंबर को सुरक्षित रख लिया था। इस याचिका में दावा किया गया था कि इस आयोजन से नदी और उसके तट को भारी नुकसान हुआ है और उसे ठीक किया जाना चाहिए।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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