शिक्षाकर्मी आंदोलन और सोशल मीडियाः आश्वासन, कमेटी विचार नहीं…मांंगता क्रमोन्नत WITH संविलियन

BHASKAR MISHRA
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IMG-20171115-WA0087बिलासपुर— सरकार से वार्ता विफल होने और शिक्षाकर्मियों की अनिश्चित हड़ताल के एलान के बाद शासन प्रशासन और अभिभावकों में बेचैनी बढ़ गयी है। शिक्षाकर्मी महागठबंधन नेता संजय शर्मा समेत अन्य लोगों की पूरा अधिकार की मांग पर अड़े रहने से शिक्षा जगत में खलबली मच गयी है। बेचैनी से सोशल मीडिया भी अछूता नहीं रह गया है। खासतौर पर सरकार से वार्ता विफल होने के बाद लोगों की नकारात्मक के बीच सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। लम्बे समय से नाराज शिक्षाकर्मियों के अन्य संगठनों ने हड़ताल का समर्थन कर दबाव बनाने की बात कही है।
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                                            शिक्षाकर्मियों की सरकार से वार्ता विफल होने के बाद शासन प्रशास और शिक्षाजगत में खलबली मच गयी है। खलबली से सोशल मीडिया भी अछूता नहीं रह गया है। संगठन से नाराज चल रहे कुछ अन्य शिक्षाकर्मी संगठनों ने नकारात्मक सोच के बीच हड़ताल का समर्थन किया है। कुछ लोगों ने शिक्षामंत्री केदार कश्यप की मुलाकात को भी महत्व दिया है।
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प्रदीप का संगठन को पत्र
सरकार से वार्ता विफल होने के बाद शिक्षाकर्मी संगठन का नाराज धड़ा भूपेन्द्र बनाफर के साथी और संगठन कोषाध्यक्ष प्रदीप ने सोशल मीडिया में लिखा है कि मैं प्रदीप कुमार पांडेय सहायक शिक्षक पंचायत पूरी होशो हवास में बयान जारी कर रहा हूं कि वर्तमान समय शिक्षाकर्मियों के भविष्य के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस समय यदि शासन पर दबाव नहीं बना पाए तो हमारा भविष्य अंधकार में चला जाएगा। आम शिक्षाकर्मी आंदोलन चाहता है…यदि अभी आंदोलन नहीं हुआ तो आने वाले 5 सालों तक आंदोलन नहीं होगा। शिक्षाकर्मी ठगे रह जाएंगे….ऐसे में आंदोलन का साथ ना देकर हठधर्मिता का परिचय देना…पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। भूपेन्द्र बनाफर को जवाब देते हुए प्रदीप ने कहा है कि मैने फैसला किया है कि आंदोलन को सशीर समर्थन देना है।
सामर्थ्य के साथ पूरी कोशिश करूंगा कि शासन पर दबाव बने…शासन शिक्षाकर्मियों की मांग मानने के लिए विवश हो। चूंकि मैं  पंचायत एवम् नगरीय निकाय सहायक शिक्षक कल्याण संघ प्रांतीय कोषाध्यक्ष हूं। संघ ने आंदोलन के विषय में अभी तक निर्णय नही है। ऐसे में इस पद पर रहते हुए मैं आंदोलन में शामिल रहूं यह उचित नहीं है।  पद का त्याग करता हूं। आम शिक्षाकर्मियों के हितों को ध्यान में रखते हुए आंदोलन में शामिल होने का एलान करता हूं।मेरे इस फैसले से पंचायत एवम् नगर निकाय सहायक शिक्षक कल्याण संघ नाराज होगा। आम सहायक शिक्षक पंचायत मेरी भावनाओं और फैसले का सम्मान करेगा मुझे पूर्ण विश्वास है
फोटो खिंचवाने का सुनहरा मौका
सोशल मीडिया में वार्ता को लेकर संगठन और शासन पर कुछ रोचक कमेंट भी पढ़ने को मिले हैं। वार्ता विफल होने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में एक सोशल यूजर ने लिखा है कि एकता का महत्व सरकार के अल्टीमेटम के बाद समझ में आता है। हड़ताल अगर लम्बा चला तो बात उन नेताओं को जल्द ही समझ में आ जाएगी आयेगी। जिन्होने अहम का मुद्दा बनाया लिया है। आँख बंद कर चल रहे है। 2012 के धोखे में न रहें…उस समय हम सब एक थे…लेकिन आज ऐसा नहीं है। हम बिखरे हुए हैं। इसकी कीमत हड़ताल में शामिल लोगों को चुकानी पड़ेगी।वाट्सअप में एक व्यक्ति ने फोटो देखने के बाद लिखा है कि आज की बैठक का बड़ा नतीजा शिक्षा सचिव के साथ शिक्षाकर्मियों को फ़ोटो खिंचवाने का सुनहरा मौका मिला है।
झुकना नही…रूकना नहीं
सोशल यूजर ने लिखा है कि वार्ता के टेबल पर शासन द्वारा क्रमोन्नति का त्रुटीपूर्ण प्रस्ताव रखा गया। झुकना नहीं रुकना नहीं, अभी नहीं तो कभी कभी नहीं। ऐसा सोच बनाया तो स्वयं के साथ बेमानी होगी।
आश्वासन नहीं क्रमोन्नत चाहिए
सोशल साइट्स पर यह कमेंट भी खूब रहा है। किसी ने लिखा है कि न सकारात्मक चार्चा चाहिए…न आश्वासन चाहिए..न कमेटी चाहिए और न विचार चाहिए। सिर्फ और और सिर्फ संविलियन with क्रमोन्नत चाहिए।
शिक्षाकर्मियों को न्याय चाहिए
शिक्षाकर्मी महागठबंधन के नेता संजय शर्मा ने सीजी वाल को बताया कि हमें लालीपॉप नहीं अधिकार चाहिए। दशकों से शिक्षाकर्मियों को शोषण हो रहा है। एक समय भाजपा के बड़े नेता और वर्तमान मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार बनते ही शिक्षाकर्मियों को समान कार्य समान वेतन की वकालत की थी। उन्होने कहा था कि शिक्षाकर्मियों के दर्द को महसूस करता हूं। प्रश्न उठता है कि क्या वह दर्द अब नहीं रह गया है। हम लोग उसी बात की मांग कर रहे हैं जिसे कभी 2003 में तात्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ.रमन सिंह ने कहा था। हमें न्याय चाहिए। वह भी आधा अधूरा नहीं…पूरा…।
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