नईदिल्ली।अर्थव्यवस्था की खराब आर्थिक हालत को लेकर चौतरफा आलोचनाओं का सामना कर रही केंद्र सरकार ने इंफ्रा सेक्टर में खर्च बढ़ाने और रोजगार के मौके पैदा करने के लिए मेगा इंफ्रा प्रोजेक्ट का ऐलान किया है, जिसे भारतमाला प्रोजेक्ट के पहले चरण के तहत पूरा किया जाएगा।वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की योजना सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने की रही है।गौरतलब है कि अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी (सकल ग्रोथ उत्पाद) के 6 फीसदी से नीचे फिसलने के बाद मोदी सरकार रोजगार के मौके कम होने और कमजोर अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं।
सरकार के बड़े आर्थिक फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा जब इससे पहले जीडीपी के आंकड़े आए थे, तब हमने कहा था कि हम इस बारे में उचित कार्रवाई करेंगे।उन्होंने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में सरकार के भीतर आर्थिक हालात को लेकर व्यापक विचार विमर्श किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे।
जेटली ने कहा कि पिछले तीन साल से भारत विश्व की सबसे तेजी गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रहा है।देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद की वकालत करते हुए जेटली ने कहा कि हमारी कोशिश दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था की गति बनाए रखने की है।उन्होंने कहा, ‘लेकिन जब कोई बड़े सुधार किए जाते हैं, तो मीडियम और शॉर्ट टर्म में उसके असर होते हैं लेकिन लॉन्ग टर्म में इसका फायदा होता है।’ गुजरात चुनाव में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल रोजगार और खराब आर्थिक हालात को चुनावी मुद्दा बनाकर मोदी सरकार को घेर रहे हैं।
भारतमाला प्रोजेक्ट के पहले चरण के तहत सरकार 34,800 किलोमीटर सड़क का निर्माण करेगी, जिसमें 5,35,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।वहीं हिस्टोरिक रोड बिल्डिंग प्रोग्राम के मुताबिक, ‘अगले 5 वर्षों में 6 लाख 92 करोड़ रुपये की लागत से करीब 83,000 किलोमीटर हाईवे का निर्माण किया जाएगा, जिससे 14 करोड़ दिनों तक रोजगार के मौके मिलेंगे।’भारतमाला प्रोजेक्ट मोदी सरकार की महत्वाकांक्षा परियोजना है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्रोजेक्ट के बाद दूसरी बड़ी हाईवे परियोजना है और इसके तहत सीमाई और अन्य इलाकों में संपर्क सेवा बेहतर करने के लिए 50,000 किलोमीटर लंबी सड़का का निर्माण किया जाना है।
अर्थव्वयस्था की मजबूत बुनियाद
सरकार ने कहा कि पूंजीगत खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा इंफ्रास्ट्रक्चर में किया गया है और यह पहले छह महीने में खर्च के आंकड़ों को देखकर आसानी से समझा जा सकता है।अर्थव्यवस्था को लेकर जारी व्यापक प्रेंजेंटश देते हुए सरकार ने कहा कि पिछले तीन सालों में महंगाई में व्यापक कमी आई है और पिछले एक साल में इसमें 2 फीसदी तक की कमी आई है और हमारी कोशिश इसे काबू में रखने की है।वहीं चालू खाता घाटे को लेकर सरकार ने कहा कि सरकार इसे 2 फीसदी के सुरक्षित रेंज से नीचे रखने में सफल रही है।अर्थव्यवस्था की खराब हालत को लेकर जारी आलोचनाओं को खारिज करते हुए आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा कि सभी संकेत बता रहे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था का कायापलट हो रहा है और सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी के 5.7 फीसदी हो जाने को लेकर सचिव ने कहा, ‘जीडीपी ग्रोथ जल्द ही 8 फीसदी से अधिक होगा।सरकार ने साफ किया कि रोड के अलावा रेलवे, आवास, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और बिजली के क्षेत्र में खर्च बढ़ा रही है, जिससे सार्वजनिक निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी और इसका सीधा फायदा रोजगार के मौके पैदा करने में मिलेगा।
गौरतलब है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी के 6 फीसदी से भी नीचे फिसलने के बाद मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर हैं। कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी लगातार खराब आर्थिक हालात और रोजगार देने में विफलता को लेकर मोदी सरकार पर हमला करते रहे हैं।