फर्जी संतों पर बाबा कल्याण के बोल..बंधे हैं अखाड़ों के हाथ..तब कहां थे असिष्णुता के पुजारी…?

BHASKAR MISHRA
4 Min Read

IMG20171009170112बिलासपुर—संत समाज को कुछ लोगों ने कलंकित किया है। ऐसे लोगों की पहचान होनी चाहिए जो बहुरूपिया बनकर संत समाज को बदनाम करने घुस आए हैं। ना तो हमारा राजनीति से सरोकार है और ना ही नेताओं से ताल्लुक ही है। लेकिन मंदिर वही बनेगा जहा रामलला बिराजमान है। यह बातें बाबा कल्याणदास ने आज आभा ज्वैलर्स की तरफ से आयोजित पत्रवार्ता कार्यक्रम में कही। बाबा कल्याण दास ने कहा कि असहिष्णुता क्या है यह मैं नहीं जानता…लेकिन कुछ साल पहले तक जब लोगों को निशाना बनाया जा रहा था। तब असहिष्णुता राग अलापने वाले कहां थे। उन्होने कहा गौरी लंकेश की हत्या गलत है..लेकिन उन्हें भी किसी वर्ग विशेष को टारगेट करने से बचना चाहिए था।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                                बाबा कल्याणदास ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि समाज में सबसे साफ्ट टारगेट हिन्दु है। जिसने पाया लठ्ठ जमा दिया। बंगाल में विजयदशमी और मोहर्रम पर विवाद की स्थिति बनी तो बंगाल सरकार ने हिन्दुओं के खिलाफ जाने का फैसला किया। भला हो कोर्ट का जिसने दो टूक कहा कि सब कुछ निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगा। तब कहीं जाकर मामला शांत हुआ। कल्याण दास ने बताया कि प्रशासक को नीतियो के अनुसार काम करना चाहिए। उन्हें तुष्टिकरण से दूर रहने की भी नसीहत दी।

          रामलला तिरपाल के नीचे और भक्त महलों में है के सवाल पर कल्याण दास महराज ने कहा। राम अहसास हैं..त्याग और प्रेम की मूर्ति भी। 14 साल तक कठिन तपस्या के दौरान भगवान रामलला वन वन भटके। उनके लिए तिरपाल महत्व नहीं रखता है। भक्तों का प्यार मायने रखता है। हमारा बस चले तो रामलला आज ही मंदिर में रहने लगें। लेकिन मामला दूसरा हो चुका है। जब रामलला चाहेंगे मंदिर में भी बैठ जाएंगे। लेकिन कल्याण दास बाबा ने स्प्षट नहीं किया कि मंदिर कब तक बनेगा।

                                 भाजपा,आरएसएस का साधु समाज से गहरा रिश्ता है। बाबा कल्याण दास ने बताया कि हमारा सभी से रिश्ता है। बीजेपी और आरएसएस का नाम साधु समाज से बार- बार जोड़कर ना देखा जाए। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होेने कहा पहले एक मंत्री ने मां नर्मदा का परिक्रमा किया। अब एक दूसरे नेता परिक्रमा कर रहे हैं। अच्छी बात है। पुण्य लाभ ले रहे हैं। हम चाहते हैं ज्यादा से ज्यादा लोग ऐसे करें। नर्मदा से ज्यादा परिक्रमा करने वालों का ही कल्याण होगा।

              फलाहारी बाबा के सवाल पर संत ने कहा कि मुझे पहली बार बाबा फलाहारी का नाम सुनने को मिला। उन्होने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि फलाहारी बाबा को शहडोल जिले के अमरकंटक से कभी तड़ीपार किया गया था। कल्याण दास ने कहा कि इस बात का पता लगाया जाना चाहिए कि क्या बाबा फलाहारी संत थे या नहीं। यदि संत हैं तो ऐसे लोगों के लिए पश्चताप का भी अवसर है।

                              बाबा कल्याण दास ने बताया कि मुझे प्रधानमंत्री पद पर बैठे किसी व्यक्ति विशेष के बारे में कुछ नहीं कहना है। देश के सर्वोच्च पद बैठे व्यक्ति को सम्यक दृष्टि के साथ काम करना होता है। संविधान से बाहर कोई नही जा सकता है।

              संत समाज पर भी बाबा ने निशाना साधा उन्होने कहा कि 13 अखाड़ों को ही निर्णय लेना है कि फर्जी संतों पर कैसे लगाम लगाया जाए। लेकिन उनके साथ भी मजबूरी है। कहीं ना कहीं अखाड़ों का भी हाथ बंधा है। जितना कर सकते हैं…कर रहे हैं। इससे ज्यादा कुछ किया भी नहीं जा सकता है।

              पत्रवार्ता के पहले आभा ज्वैलर्स के संचालक सुभाष अग्रवाल परिवार ने श्रद्धा के साथ बाबा कल्याण दास की आरती कर आशीर्वाद लिया।

Share This Article
close