रायपुर।केन्द्र सरकार ने वनवासियों को विभिन्न प्रकार के अराष्ट्रीयकृत लघु वनोपजों का उचित मूल्य दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ को एक मॉडल राज्य के रूप में चयनित किया है। केन्द्र की न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत राज्य के हाट-बाजारों में अराष्ट्रीयकृत लघु वनोपजों की खरीदी जल्द शुरू की जाएगी।
यह खरीदी प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से होगी।योजना के तहत 12 प्रकार के लघु वनोपजों का संग्रहण न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किया जाएगा, जिनमें तेंदू, बांस, महुआ फूल, महुआ बीज, साल पत्ता, साल बीज, लाख, चिरौंजी, जंगली शहद, आंवला, इमली, गोंद शामिल हैं। राज्य में इस योजना को लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है।
इन लघु वनोपजों के प्रसंस्करण के लिए बस्तर के ग्राम आड़ावाल में यूनिट लगाने का भी प्रस्ताव है। इस सिलसिले में मंत्रालय में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव विवेक ढांड की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय से संबंधित भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ मर्यादित (ट्राईफेड) के प्रबंध संचालक श्री प्रवीर कृष्ण विशेष रूप से मौजूद थे। बैठक में बताया गया कि लघु वनोपज-न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना पर 25 सितम्बर को नई दिल्ली में राज्यों के नोडल अधिकारियों की कार्यशाला आयोजित की जाएगी।
ट्राईफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्ण बैठक में बताया कि लघु वनोपज-न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के लिए छत्तीसगढ़ को मॉडल राज्य बनाया गया है। उन्होंने बताया कि स्वसहायता समूहों और सहकारी वनोपज समितियों के माध्यम से वनोपज खरीदे जाएंगे। यह समितियां स्थानीय बाजारों और मंडियों से इनकी खरीदी करेंगे।
वनोपज की विपणन व्यवस्था को मजबूत करने के लिए हाट-बाजारों में दुकान शेड बनाए जाएंगे। प्रवीर ने बताया कि योजना के तहत न्यूनतम मूल्य पर वनोपज खरीदने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 75 प्रतिशत और राज्य सरकार द्वारा 25 प्रतिशत राशि उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि वनोपज के मूल्य संवर्धन के लिए बस्तर जिले के आड़वल में प्रसंस्करण इकाई स्थापित की जाएगी। वनोपजों की बिक्री और संग्रहण के लिए राजधानी रायपुर में विक्रय केन्द्र और गोदाम का निर्माण भी किया जाएगा।
लघु वनोपज-न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के छत्तीसगढ़ के नोडल अधिकारी एवं प्रबंध संचालक मुदित कुमार सिंह ने बैठक में बताया कि छत्तीसगढ़ में 901 लघु वनोपज सहकारी समितियां संचालित हैं। इनमें से 250 समितियां बस्तर में काम कर रही हैं।
वनोपज संग्रहण के कार्य में दो हजार 801 स्वसहायता समूह भी लगे हुए हैं। इनमें से 913 समूह बस्तर में काम कर रहे हैं। श्री सिंह ने बताया कि वन विभाग द्वारा संचालित संजीवनी केन्द्रों के माध्यम से शहद, इमली, चिरौंजी जैसे वनोपजों एवं वनौषधियों की बिक्री की जा रही है।