नौकरियां बेचने कुचक्र रच रही सरकारः कांग्रेस

Chief Editor
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md. akbar

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रायपुर । छत्तीसगढ़ मामलो के कांग्रेस के राश्ट्रीय प्रवक्ता मो. अकबर ने राज्य की भाजपा सरकार पर यहां की नौकरियां दूसरे राज्य के लोगों को बेचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार दूसरे राज्यों के मुख्य मंत्रियों एवं अधिकारियों को बुलाकर यहां नीति आयोग की बैठक लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन रमन सरकार के खुद के पास कोई नीति ही नहीं है, क्योंकि अगर नीति होती तो गणित और विज्ञान के शिक्षक राज्य में ही तैयार किए जाते। इन्हें आऊट सोर्सिंग यानि बाहरी राज्यों से भर्ती करने की नौबत नहीं आती।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2013 के वचन पत्र में बेरोजगारों को रोजगार देने का वादा किया था लेकिन उसे भुलते हुए मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की अध्यक्षता में  पिछले 19 मई को राज्य मंत्रि परिषद की बैठक में फैसला लिया गया है कि बस्तर और सरगुजा संभाग के हायर सेकेण्डरी तथा हाईस्कूलों में विज्ञान, गणित, वाणिज्य और अंग्रेजी विषयों के व्याख्याता और शिक्षकों की भर्ती आऊट सोर्सिग से की जायेगी। उन्होनें कहा है कि बाहरी लोगो को नौकरियां देने का यह फैसला करके रमन सरकार ने छत्तीसगढ़ के इतिहास का काला अध्याय लिख दिया है, क्योंकि अविभाजित मध्यप्रदेश के 44 वर्षों के इतिहास में कभी ऐसी परिस्थितियां पैदा ही नहीं हुई कि स्थानीय युवाओं को बेरोजगार करके बाहरी लोगो को नौकरियां बांटी जाएं। छत्तीसगढ़ मामलो के कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मो. अकबर ने यह खुलासा भी किया कि छत्तीसगढ़ में ही इन विषयों में पारंगत तथा शिक्षित युवाओं की संख्या हजारों में है। रमन सरकार ने पिछले पांच साल में इन्हें नौकरी देने की कोई नीति ही नहीं बनाई। बल्कि मौका मिलते ही सारी नौकरियां निजी एजेंसियों के जरिए बाहरी लोगों को बेचने का कुचक्र जरूर रच डाला।
मो. अकबर ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की डा. रमन सिंह सरकार ने प्रदेश खनिज संपदा बाहरी कंपनियों को बेचने के बाद अब यहां की नौकरियां भी दूसरे राज्यों के लोगों को देने की साजिश रच डाली है। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षकों की आऊट सोर्सिग यानी बाहरी राज्यों से भर्ती करने का रमन सरकार का फैसला इसी षड़यंत्र का हिस्सा है। कांग्रेस के छत्तीसगढ़ मामलो के राश्ट्रीय प्रवक्ता मो. अकबर ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी के हालात भयावह है। रोजगार दफ्तर में पंजीयन कराने वाले लाखों ग्रेजुएट-पोस्ट ग्रेजुएट युवाओं के पास रोजगार नहीं है। यही नहीं, कालेजों में सरकार ने जान-बूझकर अधिकांष पद खाली रखे हैं, ताकि पढ़ाई ही न हो। जब पढ़ाई ही नहीं कराई जाएगी तो योग्य उम्मीदवार उत्पन्न नहीं हो पायेंगे और इसी बहाने सरकार बाहरी लोगो को नौकरियां एक तरह से बेच देगी।
मोहम्मद अकबर ने सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ विधानसभा में दिये गये जवाब को इसी आरोप के प्रमाण के तौर पर उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसके अनुसार रायपुर के शासकीय इंजीनियरिंग कालेज में शिक्षकों के मंजूर 243 पदों में से 167 रिक्त है। इसी तरह इंजीनियरिंग कालेज बिलासपुर में 225 पदों में से 137 रिक्त तथा इंजीनियरिंग कालेज जगदलपुर में स्वीकृत 187 पदों में से 129 पद रिक्त है। इसी तरह भानुप्रतापपुर में प्रोफेसर के 4 में से 4 तथा असिस्टेंट प्रोफेसर के 39 में से 17 पद खाली है। यही हाल राज्य के अन्य महाविद्यालयों का है। जो इंजीनियरिंग कालेजों से पढ़कर निकलते हैं, रमन सरकार ने अपनी गलत नीतियों से उनकी दुर्गति कर डाली है। राज्य में अभी 40 हजार से ज्यादा इंजीनियर बेरोजगार है। राज्य में इंजीनियर, स्थानीय कारखानों तथा बिल्डरों-ठेकेदारों के यहां 8 से 10 हजार रूपयें महीने के नौकरी करने पर विवश है क्योंकि सरकार के पास इन्हें सम्मानजनक रोजगार देने की कोई ठोस नीति ही नहीं है।

रोजगार नहीं, सिर्फ बड़े-बड़े दावे

मोहम्मद अकबर ने प्रमाण प्रस्तुत कर कहा है कि रोजगार उपलब्ध कराने के नाम पर भाजपा सरकार लगातार झूठ बोल रही है। प्रदेषशमें बेरोजगारों का पंजीयन बड़ी संख्या में हो रहा है, रोजगार गिने चुने युवाओं को मिल रहा है। 2011-12 से 20.04.2015 की अवधि में बस्तर संभाग में 2 लाख 49 हजार 228 बेरोजगारों का पंजीयन हुआ और सिर्फ 1302 युवाओं को रोजगार मिला। सरगुजा संभाग में 1 लाख 21 हजार 923 बेरोजगारों का पंजीयन हुआ और सिर्फ ग्यारह युवाओं को ही रोजगार मिल पाया जो प्रतिषत के आधार पर 0.009 प्रतिषत होता है। इस अवधि में पूरे प्रदेष में 12 लाख 74 हजार 623 बेरोजगारों का पंजीयन किया गया था, इनमें 10 हजार 562 को रोजगार देने का दावा सरकार कर रही है। प्रतिषत के आधार पर यह 0.82 प्रतिषत होता है। यानि विगत चार वर्शो में राज्य सरकार एक प्रतिषत पंजीकृत बेरोजगारों को रोजगार नहीं दे पाई है।
कांग्रेस नेता ने पूछा कि क्या इन लाखों बेरोजगारों में से क्या विज्ञान, गणित, वाणिज्य और अंग्रेजी के व्याख्याताओं और शिक्षकों के लिये उपयुक्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है। यदि ऐसा नहीं है तो मुख्यमंत्री 11 वर्षों  से क्या कर रहे है? क्या उनकी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है जिसमें विज्ञान, गणित, वाणिज्य और अंग्रेजी के व्याख्याताओं के लिए योग्य उम्मीदवार उत्पन्न नहीं हो सकते। इतना ही नहीं राज्य के औद्योगिक नीति के अनुसार 90 प्रतिशत अकुशल, 50 प्रतिषत कुशल श्रमिक एवं एक तिहाई कार्यालयीन पदों पर स्थानीय लोगों को रोजगार देना है, लेकिन राज्य सरकार अपनी नीति को ही उद्योगपतियों के दबाव में लागू नहीं करवा पा रही है। प्रदेश में उद्योगों से प्रभावित हजारों भू-विस्थापित पुनर्वास नीति के अनुसार रोजगार पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं लेकिन उद्योगपतियों की संरक्षक सरकार अपने में मस्त है।

कांग्रेस ने मांग की है कि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारों की संख्या को देखते हुये राज्य सरकार आऊट सोर्सिग से भर्ती करने का फैसला वापस ले तथा उद्योगों में स्थानीयों को रोजगार दिलाने की व्यवस्था करायें।

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