अंबेडकर अस्पताल ने माना कर्मचारी नशे में था- यह सही है लेकिन दावा किया- ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई बच्चों की मौत

Chief Editor

ambedkar_hospitalरायपुर।  डॉ. भीमराव अम्बेडकर चिकित्सालय रायपुर में आक्सीजन की कमी के कारण तीन बच्चों की मौत की खबरों के बीच सरकार ने दावा किया है कि किसी भी शिशु की मृत्यु नहीं हुई है। आक्सीजन सप्लाई निरंतर जारी थी। सरकारी विज्ञप्ति में यह स्वीकार किया गया है कि सेन्ट्रल गैस प्लांट में कर्मचारी ड्यूटी के दौरान शराब के नशे में पाया गया।जिसके खिलाफ एफआईआर करया गया है और सस्पेंड कर दिया गया है।पुलिस नें उसे गिरफ्तार कर लिया है।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी ने  यहां बताया कि 20 अगस्त  को शाम पांच बजे से 5.30 बजे के बीच में पीडियाट्रिक विभाग के नियोनेटल यूनिट में ऑक्सीजन भंडारण संकेत क्रिटिकल लाईन में आ जाने के बाद ड्यूटी में मौजूद डॉक्टर ने ऑक्सीजन सप्लाई यूनिट एवं सी.एम.ओ. को सूचना दी। सूचना देने के बाद आक्सीजन यूनिट पुनः सामान्य स्थिति में आ गया एवं उस बीच में न तो ऑक्सीजन आपूर्ति नियोनेटल यूनिट (नर्सरी वार्ड) में बाधित हुई और न ही इसके कारण किसी बच्चे की मृत्यु हुई है।
उन्होंने बताया कि 20 अगस्त को नर्सरी वार्ड में जिन तीन बच्चों की मृत्यु हुई है, उसमें एक बच्चे की मृत्यु दोपहर 12.30 बजे हुई। समय से पूर्व पैदा होने से वजन एक किलो से कम होने की वजह से तथा उसके फेफड़े की परिपक्वता नहीं होने कारण से मृत्यु हुई। दूसरे बच्चे की मृत्यु 20 अगस्त को दोपहर 1.20 बजे हुई। मां के पेट में मल करने के बाद उस शिशु द्वारा गंदा पानी पी लेने के कारण जन्म के पश्चात तुरन्त नहीं रोया था तथा फेफड़े में मिकोनीयम एसपीरेशन हो गया था। देर से रोने की वजह से उसके दिमाग में भी क्षति हुई, इन सब कॉम्प्लिकेशन की वजह से उस शिशु को बचाया नहीं जा सका। तीसरे शिशु की मृत्यु 20 अगस्त को रात 10.00 बजे हुई थी। यह शिशु भी जन्म पश्चात रोया नहीं था तथा उसको लगातार मिर्गी जैसे दौरे आ रहे थे। उसका हृदय सक्षम तरीके से रक्त का प्रवाह नहीं कर पा रहा था। अतः बच्चे का सर्कुलेशन अत्याधिक बाधित था तथा वह जीवन रक्षक औषधियांे पर रखा गया था। अति गंभीर स्थिति में रहने के कारण उक्त शिशु को बचाया नहीं जा सका तथा उसका पार्थिव शरीर रात्रि 10.30 बजे परिजनों को सौंप दिया गया। डॉ. चौधरी ने स्पष्ट किया कि मेडिको लीगल या अज्ञात परिस्थितियों में होने वाली मृत्यु को छोड़कर शेष बच्चों के प्रकरण में सामान्यतः पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है।
उन्होंने बताया कि 21 अगस्त को कतिपय प्रेस सूत्रों के द्वारा शिशु का शव परिजनों को न देने का मामला सामने आया। इस संबंध डॉ. चौधरी ने स्पष्ट किया कि नर्सरी वार्ड में 20 अगस्त को तीन बच्चों की मृत्यु हुई और 21 अगस्त को प्रातः 8.30 बजे एक शिशु की मृत्यु हुई, जो 20 अगस्त को शाम  5 से 5.30 बजे के बीच आक्सीजन आपूर्ति से किसी प्रकार से संबंधित नहीं है।
21 अगस्त को प्रातः 8.10 बजे एक नवजात शिशु की मृत्यु हुई, जो 20 अगस्त को कॉम्प्लीकेटेड साईनोटिक हार्ट डिजीज (शिशु के हृदय में बनावटी खराबी) की वजह से हार्ट फेलियर (हृदय का अच्छा काम न करना) की वजह से भर्ती हुआ था। उक्त शिशु की किडनी ने भर्ती के पहले ही काम करना बंद  कर दिया था। भर्ती के समय शिशु को सीवियर एसीडोसेज (रक्त में एसिड की वृद्धि)  तथा कैल्शियम की कमी परिलक्षित हुई थी। उक्त शिशु अति गंभीर अवस्था में भर्ती हुआ था तथा हर संभव प्रयासों के बावजूद बचाया नहीं जा सका। अस्पताल प्रबंधन बच्चे का शव उनके परिजनों को सौपने के बावजूद परिजनों द्वारा शव लेने से इंकार किया गया। उपरोक्त तथ्यों से पुनः स्पष्ट किया जाता है पूर्व के तीन प्रकरणों जैसे यह प्रकरण भी आक्सीजन आपूर्ति से संबंधित नहीं है।
डॉ. विवेक चौधरी ने बताया कि मेकाहारा में ऑक्सीजन सप्लाई हेतु लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक की क्षमता 1100 घन मीटर है एवं इसके अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेण्डर पर्याप्त मात्रा में चिकित्सालय में उपलब्ध है। चिकित्सालय में न्यूनतम ऑक्सीजन सप्लाई लिक्वड मेडिकल ऑक्सीजनटैंक के माध्यम से की जाती है। आपात स्थिति या किसी भी अन्य कारण से चिकित्सालय में ऑक्सीजन की सप्लाई गैस प्लांट में रखे गये ऑक्सीजन सिलेण्डरों से वैकल्पिक तौर पर की जाती है। लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक में ऑक्सीजन की मात्रा सेंट्रल मानटरिंग 24 घंटे में तीन बार क्रमशः सवेरे 8 बजे, दोपहर 2 बजे और रात्रि 8 बजे नियमित रूप से परीक्षण किया जाता है। साथ में चिकित्सालय के पीडियाट्रिक विभाग के एन.आई.सी.यू. में वेंटीलेटर में उसका स्वयं का आक्सीजन सिलेेंडर अलग से भी होता है।
20 अगस्त को दोपहर 2 बजे से रात्रि 8 बजे तक सेंट्रल गैस प्लांट में ड्यूटीरत कर्मचारी रवि चंद्रा कार्यरत थे, जो ड्यूटी के दौरान शराब के नशे की हालत में पाया गया। अस्पताल प्रशासन द्वारा संबंधित कर्मचारी के विरूद्ध एफ.आई.आर दर्ज करायी गई है तथा उन्हें निरूद्ध करने की कार्रवाई पुलिस विभाग द्वारा की गई है। उन्हें कार्य के प्रति लापरवाही के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया गया है। चिकित्सालय के शिशु रोग विभाग में एन.आई.सी.यू. 25 बेडेड है, जिसमें से औसतन 03-04 बच्चे प्रतिदिन वेंटीलेटर पर रहते हैं एवं पी.आई.सी.यू. 14 बेडेड है, जिसमें से औसतन प्रतिदिन 02 से 03 शिशु वेंटीलेटर पर रहते हैं।

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