बिलासपुर—मैं कांग्रेसी हूं…आत्मा की आवाज से कहता हूं कि राष्ट्रपति चुनाव में मीरा कुमार को वोट दिया। समझ में नहीं आ रहा है कि मेरे खिलाफ पीसीसी अध्यक्ष ने निलंबन आदेश क्यों जारी किया। फिलहाल निलंबन आदेश की जानकारी मुझे नहीं है। आदेश मिलेगा तो जवाब दूंगा। सीजी वाल से यह बातें बिल्हा विधायक सियाराम कौशिक ने निलंबन की खबरे आने के बाद कही।
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सियाराम राम कौशिक ने सीजी वाल को बताया कि पीसीसी नेतृत्व ने विधायक दल की बैठक में चर्चा करना मुनासिब नहीं समझा कि राष्ट्रपति चुनाव में किन दो लोगों ने क्रास वोटिंग की है। किसके वोट रिजेक्ट हुए है। लेकिन नहीं… पीसीसी अध्यक्ष और विधायक दल के नेता ने एक शब्द भी नहीं कहा। मुझ पर यदि शक किया जा रहा है तो बैलेट निकालवाएं और देखें कि मैने किसे वोट किया है। लेकिन नूरा कुश्ती खेल में विश्वास रखने वाले ऐसा नहीं कर सकते हैं।
सियाराम ने कहा कि मैने ऐसा क्या कह दिया..कि निलंबन आदेश जारी कर दिया गया। पहले और दूसरे दिन प्रश्नकाल चलने नहीं दिया इसलिए या मीडिया में कह दिया कि कर्मचारी,अधिकारी और नेताओं के भ्रष्टाचार पर पहले बहस होनी चाहिए….इसलिए। सीजी वाल को सियाराम ने बताया कि 90 विधायक में 25 प्रश्न सत्र में पूछा जाना होता है। एक बार विधानसभा सत्र शुरू होने के बाद प्रश्नों को रात दिन सुना जा सकता है। ध्यानाकर्षण, काम रोको और अन्य समय में जनहित मुद्दों पर बहस क्यों नहीं किया जा सकता है। प्रश्नकाल में विरोध करने में आखिर अपराध क्या है।
बिल्हा विधायक के अनुसार सत्र के तीसरे दिन कांग्रेसियों ने पनामा मामले में धरना दिया…लेकिन आधे अधूरे मन से। बाद में खाना खाने चले गए। कांग्रेस के भी 39 विधायकों ने गर्भगृह में देर रात तक धरना दिया होता तो…देश दुनिया में तहलका मच जाता। संसदीय इतिहास की बहुत बडी खबर होती। लेकिन नहीं…कांग्रेसियों को जनता से कोई मतलब नहीं…उन्हें केवल अपने और अपनों की चिंता है।
सियाराम का आरोप है कि बृजमोहन मामले में कांग्रेसी पीछे हट गए। जब विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कोर्ट में चल रहे मामलों को भी सुना जाएगा। इतना सुनते ही कांग्रेसी विधानसभा से बाहर होने के लिए गर्भगृह में पहुंच गए। कांग्रेसियों ने ऐसा जानबूझकर किया। यह जानते हुए भी जब सरकार चाहती है कि रिसार्ट मामले में बहस हो…गर्भगृह में जाकर सदन का बहिष्कार करने की फिर क्या जरूरत थी। दरअसल भाजपा और कांग्रेस में अच्छा गठबंधन है।
सियाराम ने बताया कि निलंबन पत्र मिलने के बाद आरोपों का जवाब दूंगा। बताना चाहुंगा कि पीसीसी अध्यक्ष और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने मेरा कभी भी साथ नहीं दिया। राजेन्द्र तिवारी के आत्मदाह किया…जीवनलाल मनहर और दीपक साहू की जेल में संदिग्ध मौत….को लेकर हाईकमान से लेकर पीसीसी अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष को पत्र दिया। लेकिन भूपेश बघेल ने मेरा कभी भी समर्थन नहीं किया। एक दिन भी धरना स्थल नहीं पहुंचे। उल्टा सार्वजनिक मंच पर सबके सामने अपमानित किया। मैं क्षेत्र का विधायक हूं…मुझे क्षेत्र की समस्याओं को उठाने का अधिकार है। भूपेश ने साथ नहीं दिया…तो अजीत और अमित जोगी ने समर्थन किया।
सीजी वाल को बिल्हा विधायक ने बताया कि आगे क्या होगा मुझे नहीं मालूम…लेकिन अभी मैं कांग्रेसी हूं। अमित जोगी,अजीत जोगी , आर के राय और मैने हमेशा जनहित के मुद्दों को महत्व दिया है। हम तीनों विधायक समान विचारधारा के हैं। यदि भूपेश बघेल चाहते तो कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ मिलकर जोगी से मतभेद का दूर कर सकते थे। लेकिन अभी भी रास्ता बंद नहीं हुआ है।