बिलासपुर।छत्तीसगढ़ को कुदरत ने कई अनमोल तोहफे दिए हैं…उसमें सबसे नायाब तोहफा है,हरियाली का…बिलासपुर इलाके के खाते में भी इसका एक हिस्सा आया है….।इसे महसूस करना है तो हम निकल सकते हैं कोटा रोड पर..।महज बीस से तीस किलोमीटर का फासला तय करने के बाद सावन की हरियाली आपका स्वागत करेगी..। सड़क के दोनों ओर जहाँ तक भी नजर जाती है…लगता है,जैसे जमीन पर हरी – भरी कालीन बिछी हो…।सावन की घटाओं ने पूरे माहौल को अपने आगोश में ले लिया है..।रिमझिम फुहारों के बीच पहाड़ भी आनंदित हैं और पेड़ – पौधों के देखकर लगता है जैसे असीम तृप्ति का अनुभव कर रहे हैं..।सफर के कुछ लम्हे ही किसी को भी कुदरत के इस नायाब तोहफे से जोड़ सकते हैं। सीजीवाल की टीम ने भी इसे महसूस किया और अपने पाठकों तक पहुंचाने के लिए इसे कैमरे में कैद कर लिया..। जिसे देखकर यह भी लगता है कि कुदरत से जुड़ने के लिए हम कितने दूर – दूर तक का सफर करते है।लेकिन शहर से कुछ दूरी पर प्रकृति की गोद में अभी भी बहुत कुछ बचा है…..।
विडियो देखें- https://www.youtube.com/watch?v=-nA57AXA78A&feature=youtu.be
जिससे जुड़कर किसी के भी मन में यह सवाल उठ सकता है कि क्या पेड़-पौधे, हरियाली और अमृत की तरह बरस रही फुहारों को हम तीस किलोमीटर पहले ही अपने शहर में नहीं ला सकते….?यकीनन ला सकते हैं..।इसके लिए पेड़ों को तो कटने से बचाना है ही…शहर के हर एक कोने – कोने में खाली जगह पर नए पेड़ लगाना और लगाना ही नहीं उनकी हिफाजत का इंतजाम भी जरूरी है…। गरमी के दिनों में पारा अढ़तालिस – उन्चास के करीब पहुंचने पर तपिश से तिलमिलाकर भले ही शहर के हालात को कितना ही गरियाते रहें…लेकिन यह भी सोचना पड़ेगा कि कुदरत ने हमें ऐसा भी मौसम दिया है कि हम अपने आस – पास हरा – भरा कर अपना आने वाला कल बेहतर बना सकते हैं…….।कोटा – बेलगहना रोड की यह तस्वीर हौसला देती है कि अपने बिलासपुर शहर को इस कुदरती उपहार से जोड़ना कठिन भले ही लगे । लेकिन नामुमकिन नहीं है……।
अब यह तय करने का वक्त है कि अपने बिलासपुर को हरा – भरा बनाने और इसकी पुरानी पहचान वापस लाने में हम भी कितनी हिस्सेदारी निभा रहे हैं…..।