पंचायतीराज पर स्मार्ट साजिश..कांग्रेस नेता ने कहा…बंधक हो जाएंगे पार्षद और महापौर

BHASKAR MISHRA
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SHAILENDRA JAISAWALबिलासपुर—बिलासपुर को स्मार्ट सिटी बनाये जाने की घोषणा पर कांग्रेस नेता शैलेन्द्र जायसवाल ने खुशी के साथ चिंता जाहिर की है। शैलेन्द्र ने बताया कि स्मार्ट सिटी के जरिए नगर निगम और नगरीय  निकायों कि स्वायत्तता छीनी जा रही है। शैलेन्द्र के अनुसार स्मार्ट सिटी योजना पंचायती राज की स्वायत्तता पर सीधा हमला है।

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                बिलासपुर को स्मार्ट सिटी बनाए जाने की घोषणा पर शैलेन्द्र ने खुशी के साथ चिंता जाहिर की है। उन्होने बताया कि पंचायती राज अधिनियम में स्थानीय निकायों को व्यापक अधिकार दिया गया है। लेकिन स्मार्ट सिटी प्रस्ताव के बाद स्थानीय निकायों के  स्वायत्तता पर सीधा चोट पहुंचेगा।

                      शैलेन्द्र ने बताया कि शहरी निकाय ढांचागत बदलाव ,कमजोरी और आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा हैं। स्मार्ट सिटी के विकास और नियोजन के नए स्वरूप जन विरोधी है। सुविधाओं के निजीकरण, सार्वजनिक निजी भागीदारी पीपीपी मॉडल की वजह से गरीब लोगों को आवास और रोजगार की समस्याओं से जूझना पड़ेगा। सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जायेगा।

                      74 वें संशोधन के अनुसार 18 विभागों का पूर्ण हस्तांतरण नगरीय निकायों को किया जाना था। आज तक नहीं किया गया। निकायों की राजस्व में भागीदारी सुनिश्चित किया जाना था…अभी तक नहीं हुआ। जिसके चलते नगरी निकाय कमजोर होते गए।

                             शैलेन्द्र ने बताया कि स्मार्ट सिटी मिशन को विशेष प्रयोजन के माध्यम से किया जाना निश्चित किया गया है। परियोजनाओं का मूल्यांकन एक पूर्णकालिक मुख्य कार्यपालन अधिकारी करेगा। ऐसे में जनता से चुने गए महापौर और पार्षदों की भूमिका अप्रासंगिक हो जाएगी।  निगम के कार्य  मुख्य कार्यपालन अधिकारी की इच्छा पर निर्भर होगा।

                      शैलेन्द्र के अनुसार महापौर जैसे महत्वपूर्ण पद के अधिकार क्षेत्र में कटौती होगी। केंद्र सरकार का प्रतिनिधि विशेष प्रयोजन मे निदेशक होगा। इससे निकायों की स्वायत्तता छिन जाएगी। नगरीय निकाय केंद्र शासन के अधीन आ जाएंगे। प्रबंधन, भर्ती और निष्कासन का अधिकार कंपनी सीईओ के हाथ में चला जाएगा। महापौर, पार्षद की भूमिका नहीं के बराबर हो जाएगी।

      शैलेन्द्र ने बताया कि स्मार्ट सिटी प्रस्ताव संविधान के 74 वें संशोधन की मूल भावना के खिलाफ है। नगरीय निकायों को एकजुट होकर अपनी स्वायत्तता की रक्षा के लिए आवाज को बुलंद करना होगा।

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