बिलासपुर की  “खबसूरत बहू ” ने पुणे में जमाया रंग…..

Chief Editor
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khubsurat

बिलासपुर ।बोल्ड विषय को अंग्रेजियत की ज़रूरत नहीं , लोक में भी पूरी सहमति और ताकत से पेश किया जा सकता है | ये फिर एक बार साबित हुआ नाग बोडस लिखित नाटक “ खबसूरत बहु “ के पुणे महाराष्ट्र में प्रस्तुकरण से ,। बिलासपुर की नाट्य संस्था अग्रज नाट्य दल द्वारा पुणे में आयोजित बहुभाषीय रंग आयोजन में भाग लिया जिसमे बिलासपुर के २३ कलाकारों ने हिस्सा लिया | ज्ञात हो की भाव रंग ताल स्लोगन से आयोजित इस कार्यक्रम में नृत्य , मोनो एक्ट , नाट्य प्रस्तुति , वादन , गायन ऐसी सभी विधाओ में प्रस्तुतियां होती है | इस आयोजन में पहला मौका था कि नाटको की श्रेणी में किसी छत्तीसगढ़ी नाटक की प्रस्तुति की गई | अग्रज ने खबसूरत बहु मंचित किया व् इसी दल के कलाकार अविनाश आहूजा ने एकल प्रस्तुति के श्रेणी में भाग लिया |
नाग बोडस के नाटक खबसूरत बहु का छत्तीसगढ़ी अनुवाद राधेश्याम पटेल ने किया । जो लोक कलाकार व् कवि के रूप में जाने जाते है | सुनील चिपड़े निर्देशित इस प्रस्तुति में लोक की छाप थी। वाद्य वृन्दो के साथ सीधे मंच पर संगीत दल था | लोक धारा के इस नाटक में एक सुन्दर दिखने वाली लड़की ब्याह कर गाव में आती है उस पर पड़ने वाली नज़रे हमारे समाज को आइना दिखाती है ,वहीं चाची नमक पात्र जो की बाल विधवा है उसे महिला पुरुष संबधो की जानकारी नहीं । पति पत्नी के संबंधो की अनभिज्ञता के साथ हास्य और व्यंग्य उभरता है जो हमारे नाटको में लोक के प्रभाव को भी बताता है की किसी भी विषय को खुलकर कहने का माद्दा हमारे लोक में है | सामान्य छेड़ छाड़ से शुरू हुई बात बदले तक पहुंचती है नायक हरी का बसंती नामक महिला से छेड़खानी करना, फिर बसंती का अपने पति लाखन के आगे नायिका (सुमन) को पेश करने की प्रतिज्ञा लेना , गंभीर बात को भी तरल बनता है नाटक में गीतों का प्रयोग | आल्हा , भड़ौनी , जैसे लोक धुनों के साथ रंजक लय ताल बनाते है ।संजय बघेल , राधेश्याम पटेल व् बी के वैष्णव के संगीत का प्रभाव मंच पर नजर आता है  | सूत्रधार के रूप में अनीष श्रीवास नाटक में गति बनाये रखते  है और गीतों से कहानी आगे बढाते है | निर्देशक ने इसमे लोक प्रस्तुति के साथ मॉडर्न थियेटर के प्रकाश  संयोजन को भी ध्यान रखा है , छत्तीसगढ़ी बोली के साथ ग्रामीण परिवेश में नाटकीय बिम्ब निर्देशक की आधुनिक रंगमंचीय कुशलता को इंगित करते है |
नाटक में वेश भूषा व् मेक अप की ज़िम्मेदारी को बेहतरी से उठाते हुए अरुण भांगे ग्रामीण परिवेश में पले बढे  जनानापन वाले पुरुष की भूमिका में अपनी छाप छोड़ते है |
पुणे में मराठी दर्शको के सामने भाषाई दीवार को पार कर बिलासपुर के कलाकारों का नाटक समझा सराहा गया । जिसमे बेस्ट एक्टर की श्रेणी में अग्रज दल के प्रशांत ठाकुर को तीसरा पुरुस्कार मिला |
दल को चेयरमेन अवार्ड से सराहा गया | साथ ही एकल अभिनय की श्रेणी में अविनाश आहूजा ने प्रस्तुति को सेकेण्ड बेस्ट प्रोडक्शन मिला | सुनील चिपड़े लिखित व निर्देशित मोनो एक्ट “ मुआवजा ” में अविनाश ने किसान की भूमिका में बताया कि मुआवज़े के लिए सरकारों से लड़ते लड़ते हम पेड़ पर टंग जाते है , मीडिया हमारी मौत की फसल काटता है , प्रशासन ज़मीन नाप कर मज़ाक उड़ाता है | संस्थाओ पर किये कटाक्ष से अविनाश के अभिनय तक के सिलसिले ने बिलासपुर को न सिर्फ इनाम दिलाया है बल्कि सांस्कृतिक आदान प्रदान के क्रम में आयोजक अखिल भारतीय सांस्कृतिक संघ पुणे ने अविनाश आहूजा के एकल अभिनय को थाईलेंड में आयोजित रंग उत्सव के लिए भी आमंत्रित किया है |
अग्रज नाट्य दल बिलासपुर के नाटको की श्रंखला में खबसूरत बहु  का मंचन अलग अलग मंचो पर  किया जा रहा है | इंदिरा प्रियदर्शनी भवन इंदिरा विहार में मंचन के साथ बिलासपुर में सिलसिला आगे बढ़ा है |

             
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