बिलासपुर।गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय “नेशनल कांफ्रेंस ऑन प्लांट साइंस टेक्नोलॉजीज रू करंट स्टेटस एंड फ्यूचर प्रोस्पेक्टस 2017” के दूसरे दिन बुधवार दिनांक 22.03.2017 को दो सफल तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें आई.आई.टी. रूडकी, उत्तराखंड के प्रोफेसर रामासरे प्रसाद ने औषधीय पौधों के बायो-प्रोस्पेक्टिव कार्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से औषधीय पौधों का एंटी-बैक्टेरीअल, एंटीफंगल के साथ-साथ इसका नवीन आणविक स्तर पर प्रतिरक्षावर्धक के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।
कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन प्रतिभागियों द्वारा प्लांट साइंस के भिन्न-भिन्न विषयों पर अपने शोध पत्र तथा शोध कार्य प्रस्तुत किया गया। जिसके अंतर्गत बायोरीमेडीएशन ड्रग तथा वैक्सिन निर्माण, इन्वायरमेंटल क्लीनअप व इको-रीस्टोरेशन के विषय सम्मिलित थे।
इसके अलावा छात्र-छात्राओं ने पोस्टर भी प्रदर्शित किये। इस पोस्टर प्रदर्शनी के द्वारा छात्रों ने शोध के कई क्षेत्रों जैसे प्रदूषण नियंत्रण, बायो-फ्यूल प्रोडक्शन, बायो-पेस्टीसाईड प्रोडक्शन तथा फायटो-रीमेडीईशन पर अपने कार्यो को प्रदर्शित किया।
कॉन्फ्रेंस के अगले तकनीकी सत्र में औषधीय वैद्यों के द्वारा पारंपरिक औषधीय पौधों के विषय में जानकारी प्रदान की गई जिसमें वासा, निर्गुदी, अमलतास, भू-नीम, अमरबेल (आकाशपल्ली), बच, सफ़ेद मुशली, भवाई तथा विभिचाकी आदि पारंपरिक औषधीय पौधों के औषधीय प्रयोगों के बारे में बताया गया। वैद्यों द्वारा जानकारी दी गई कि विभिन्न औषधीय पौधों के माध्यम से फेफड़ों के रोग, वात रोग, पीलिया, ज्वर, डायबिटीस तथा सायटिका जैसे रोगों में प्रभावी लाभ प्राप्त किया जा सकता है।