सीएम हाउस में पंगा

Shri Mi
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SUNDAY_FILE_SDविवेक ढांड चीफ सिकरेट्री से कब चेंज होंगे, अभी कुछ पता नहीं। लेकिन, सीएस बनने के लिए सूबे के तीन सीनियर आईएएस में तलवारें खींच गई है। अफसर हैं, अजय सिंह, एमके राउत और एन बैजेंद्र कुमार। पिछले रविवार को सीएम हाउस में तीनों में पंगा हो गया। अजय बोले, सबसे सीनियर मैं…माटी पुत्र भी, कोई दाग भी नहीं। और, सीएस बनने के लिए तुम लोग बेचैन हो। इस पर बैजेंद्र भड़क गए….सर, काहे का माटी पुत्र। जब आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा फंसते हैं तो हल्ला मैं करता हूं। कुजूर के लिए मैं सबसे पंगा लिया। फिर, आजकल सीनियर-विनियर नहीं चलता। नौ साल से सीएम सचिवालय मैं संभाल रहा हूं। अर्जुन सिंहजी के साथ काम किया, दिग्विजय सिंहजी के साथ काम किया हूं….भारत सरकार में तीन बार रहा हूं। अजय सिंह की आंखों में देखते हुए सर, प्लीज….आप सीधे-साधे आदमी है, काहे के लिए सीएस-वीएस के चक्कर में पड़ते हैं। इस पर राउत की भृकुटी चढ़ गई। बोले, ये सीनियर क्या होता है। काम करना चाहिए….काम। मेरा काम बोलता है। सन् 2000 में रायपुर को राजधानी बनाने से लेकर अभी तक हमाली मैं कर रहा हूं। आईएलएफएस में लोग फंसते हैं तो राउत को बुलाओ। गणेश शंकर मिश्रा ने हाथ खड़ा कर दिया तो शौचालय बनाने का काम मुझे सौंप दिया गया। मैंने उसमें भी स्टेट को नम्बर वन ला दिया। हमर छत्तीसगढ प्रोग्राम चलाना है़….. राउत को दे दो। सारे सिकरेट्री चार बजे भाग जाते हैं, मैं सात बजे से पहले कभी मंत्रालय से नहीं लौटता। क्या मैं सिर्फ हमाली करने के लिए इस कैडर में आया हूं। तभी अमन सिंह और उनके पीछे रजत कुमार हाउस से बाहर निकले। गेट पर अरुण बिसेन मिल गए। पूछे, ये शोर क्यों हो रहा है। बिसेन, सर…..वो सीएस बनने के लिए…..। अमन मुस्कराए…..ढांड साब का तो अभी एक साल है। अमन की बात तीनों ने सुनी ली……एक सूर में बोले-देखो अमन….एक साल है या एक महीना, तुम इतना मासूम मत बनों….क्लियर तो करों, बनेगा कौन? अमन-देखिए, आपलोग सीनियर आफिसर्स हैं…..भली-भांति जानते हैं, बड़े लेवल की पोस्टिंग सीएम साब ही तय करते हैं। उसी समय सुबोध सिंह हाथों में फाइल लेकर वहां से गुजरे। माजरा भांपकर बोले, सीएस कोई भी बनें, हमें क्या फर्क पड़ता है….हमें तो काम करना है। तब तक बात अंदर सीएम तक पहुंच गई थी। सीएम अपनी परमानेंट गंभीर मुद्रा में बाहर आए। हूं….क्या हो रहा है….? तुम लोग कुछ चिंतित दिख रहे हो। चिंता-विंता की कोई जरूरत नहीं है। मैं बोलता कम हूं, इसका मतलब ये नहीं…. ध्यान सबका रखता हूं। राजेश टोप्पो को बोल दिया हूं, अगले टेन्योर में पांच साल कलेक्टरी करना। और, हां….होली है, जाओ खूब रंग-अबीर खेलो। ! जोगीजी के साथ भी होली खेल सकते हो, कोई दिक्कत नहीं। वे भी कांग्रेस मुक्त भारत के लिए ही काम कर रहे हैं। तीनों आईएएस भांप गए, सीएम साब बात टर्न कर रहे हैं। ही..ही….ही करते हुए बोले, कोई बात नहीं सर….। हम ढांड साब से भी होली खेल आएंगे। ढांड सर, बढ़ियां आदमी हैं। ठीक है, सर! एडवांस में हैप्पी होली।

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हाउस की होली

होली सीएम हाउस में भी जमकर खेली जाती है। मन में क्यूरोसिटी हुई….देखें, क्या तैयारी चल रही है। सिक्यूरिटी चेकिंग के बाद अंदर गया। देखा, विक्रम निराकार भाव से खड़े हैं। उनसे पूछ लिया, आपका गेम कैसा चल रहा है। विक्रम बोले, भर पाए गेम से। जितना खेलना था, 2008 तक कर लिया। अब मैं अपने ओरिजिनल खेल पर ध्यान केंद्रित कर दिया हूं। गेम के बारे में दूसरे लोगों से पूछो। इसी बीच ओपी गुप्ता दिखे। पूछा, गुप्ताजी इस बार होली किसके साथ खेलोगे। वे भड़क गए, आप पत्रकारों को हमेशा उल्टा-पुल्टा ही सूझता है। उनका गुस्सा शांत करते हुए मैं बोला, आप हर बात दिल से ले लेते हो….मेरा कोई दूसरा आशय नहीं था। कैम्पस की ओर बढ़ा….सीएम तेज वॉक करते नजर आए। मैं भी उनके साथ हो लिया। कुछ दूर चलने पर धीरे से पूछ लिया, डाक्टर साब सरोज कुछ ज्यादा ही सक्रिय नहीं हो गई है, श्री श्री पर चेन्नई से बयान जारी कर दी। सीएम-होली के समय मौसम ठीक हो गया है। मैं समझ गया, सवाल जमा नहीं। मूड हल्का करने के लिए पूछा, होली किसके साथ खेलेंगे? वीणा के साथ….शादी के बाद से होली मैं वीणा के साथ ही खेलता हूं। लेकिन, भूपेश बघेल का कहना है…..। सीएम का चेहरा तमतमा गया। बोले, क्या भूपेश से पूछकर मैं होली खेलूंगा? वो अपने समान समझ लिया है क्या। मैं सिर्फ स्पीकर महोदय से…..ओह! सॉरी, वीणा से ही पूछता हूं। डाक्टर साब, वो भूपेश…..। ये भूपेश…..भूपेश क्या। मैं डर गया। पास में ही सिकरेट्री पीआर संतोष मिश्रा और राजेश डीपीआर राजेश टोप्पो मुझ पर नजर गड़ाए थे। एक हल्का-सा इशारा मुझ पर भारी पड़ सकता था। मैंने बात चेंज किया, वो 45 लाख स्मार्ट फोन। रमन-हां…हां…..मोदीजी के सपनों को साकार….35 हजार परिवारों को उज्जवला योजना….24 हजार आदिवासियों को चना, 45 बिजली कनेक्शन….। मन में ही बोला, डाक्टर साब होली के मौके पर भी लगे आंकड़े बताने। उन्हें होली का विश करते हुए आगे बढ़ा। शायद अमन दिख जाएं….आखिर, रमन से मिलने का मतलब तभी है जब अमन भी हो जाएं। तभी, वीणा भाभी दिखी। छूटते ही पूछा, भाभी होली…..। अरे! होली। हमलोग खूब खेलते हैं। पूरे मायके वाले यही चले आते हैं…..मायका हमारा बहुत बड़ा है….अमन, विक्रम भी आ जाते हैं…..अमन और अभिषेक में मैं कोई फर्क नहीं समझती। मैंने पूछा, भाभी आपका स्वास्थ्य कैसा है। बहुत अच्छा….। लेकिन, अब यहां के डाक्टर पर मैं भरोसा नहीं करती। किसी पर भी…? हां, हां…आखिर, मुझसे ज्यादा कौन भुगता होगा। इसी दौरान संविदा पोस्टिंग की एज 75 साल करने की फाइल लिए शिवराज सिंह अंदर आते दिखे। मैंने सोचा, अब निकल जाना चाहिए….फिर, भाभी को विश कर रवाना हो गया।

उद्योग छोड़ेंगे अमर

मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह ने अमर अग्रवाल को जब दूसरी बार उद्योग विभाग दिया था तो इसे अमर के बढ़ते कद से जोड़ कर देखा गया था। मगर जीएसटी की बैठकों से अमर इतने उकता गए हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री से उद्योग विभाग छोड़ने की पेशकश कर दी है। जीएसटी के संबंध में हर तीसरे दिन दिल्ली जाना पड़ता है। मोदी सरकार मीटिंग बुलाए तो उसमें ना-नुकुर करने का सवाल भी पैदा नहीं होता। इससे अमर का परिवार भी परेशान है। शशि भाभी बोलती है, जीएसटी के बहाने कोई दूसरा चक्कर तो नहीं चला रहे हो। इस पर अमर को एक दिन गुस्सा आ गया। उन्होंने सीधे रुख किया सीएम हाउस का। बोले, भाई साब उद्योग ले लो, भले ही उसके बदले में कोई छोटा-मोटा विभाग दे दीजिए। बताते हैं, अमर इसलिए भी परेशां है कि दारु बेचने का फैसला किया है सरकार ने। और, गाली खानी पड़ रही अमर को। बहरहाल, सीएम ने अमर को समझाया, विधानसभा खतम हो जाने दो। फिर, तुम्हारे लिए कुछ करते हैं। शशि को भी मैं समझाउंगा….तुम पर एतबार करें।

पियो लेकिन रखो हिसाब….

ठेकेदारों द्वारा शराब बेचने में पीने वालों को फायदा था और पिलाने वालों को भी। दरअसल, बीयर-बारों को शराब दुकानों से 40 से 50 परसेंट तक रिबेट मिलता था। यही वजह है कि पिछले दस साल में बारों की संख्या तीस गुना बढ़ गई। एक अप्रैल से सरकार शराब बेचने लग जाएगी तो जाहिर है, रिबेट का कोई स्कोप नहीं बचेगा। ऐसे में, एक अप्रैल से होटलों, बारों में आप जाएं, तो हिसाब से पिएं। वरना, जेब ढिली हो जाएंगे। वैसे हिसाब तो अब नॉन मलाईदार अफसरों को भी रखना होगा। क्योंकि, नीली बत्ती वाले अफसरों को तो शराब कभी खरीदना नहीं पड़ता। ठेकेदार, सप्लायर उनके यहां विदेशी ब्रांड भिजवा देते हैं। चिंता उनकी बढ़ गई है, जिनके पास कोई मलाईदार विभाग नहीं है। इन्हें सरकारी कुर्सी के चलते दुकानों से 30-35 परसेंट तक छूट मिल जाती थी। उन्हें भी पूरे रेट में अब खरीदने पड़ेगे।

हॉवर्ड रिटर्न

आईएएस रजत कुमार का हावर्ड में सलेक्शन हो गया है। सुनिल कुमार के बाद वे दूसरे आईएएस होंगे, जो पीजी की पढ़ाई करने यूएस जा रहे हैं। उनके लिए खुद सीएम और उनके पीएस अमन सिंह ने रिकमांड किया था। वो भी ऐसे समय में जब रजत ने सीएम सचिवालय में अपना कारोबार ठीक-ठाक जमा लिया था। इसमें अंदर की बात यह है कि रजत हावर्ड से मंज कर आएंगे तो 2018 में इसका लाभ सरकार को ही मिलेगा। अगले साल मई में तब लौटेंगे जब विकास यात्रा शुरू होने वाली रहेगी। और, आपको ये भी याद होगा, 2013 के पहले चरण में सरकार जब पिछड़ने लगी थी तो सीएम के संकटमोचक अफसरों ने ही कमान संभालकर बालदास का हेलिकाप्टर दौड़ा डाला था। इससे बाजी पलट गई थी। अब तो हावर्ड रिटर्न भी रहेंगे।

मुलायम मॉडल

यूपी के मुलायम-अखिलेश एपीसोड की तरह राजधानी रायपुर में भी एक दुश्य देखने को मिला। जोगी कांग्रेस के कार्यक्रम में मंच पर ही पिता-पुत्र भिड़ गए। दरअसल, विधानसभा घेराव से पहले मंडी गेट पर सभा चल रही थी। जोगीजी अपने पारंपरिक अंदाज में भाषण दे रहे थे। इसी बीच छोटे जोगी ने भीड़ को विधानसभा की ओर कुच करने के लिए इशरा कर दिया। इस पर जोगी भड़क गए। बोले, पार्टी मैं बनाया हूं, मेरे हिसाब से चलेगी। कुछ दिन से यह चर्चा आम है कि पार्टी को छोटे जोगी ने हाईजैक कर लिया है। जोगीजी की अब कुछ चलती नहीं। इससे कार्यकर्ताओं में बैड मैसेज जा रहा था। आखिर, जोगी कांग्रेस में जोगीजी को अलग कर दें तो बचेगा क्या। सो, इस प्रसंग को लोग मुलायम मॉडल से जोड़ कर देख रहे हैं। ऐसा मानने वालों की कमी नहीं कि लोगों में यह संदेश देने के लिए मंच पर वह सब हुआ कि पता चले कि पार्टी पर जोगीजी का ही नियंत्रण है। लेकिन, यूपी में मुलायम मॉडल फेल हो गया। जोगीजी को यह ध्यान रखना होगा।

भाई-भाई

विधानसभा में पहली बार ऐसा हुआ कि बीजेपी और कांग्रेस साथ-साथ खड़ी नजर आई। मौका था अमित जोगी के खिलाफ कार्रवाई का। अमित ने शराब नीति के विरोध में विधानसभा में गंगाजल छिड़का था। सत्ता पक्ष ने आसंदी से कार्रवाई की मांग की। इस पर भूपेश बघेल के साथ पूरी कांग्रेस बीजेपी के साथ खड़ी हो गई। चलिये, भाईचारा बनी रहे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. सूबे के तीन आईएएस, दो आईपीएस, पांच आईएफएस के नाम बताइये, जो 2018 में पूर्ण शराबबंदी के बाद डेपुटेशन दीगर राज्यों में जाने का विचार कर रहे हैं?
2.2. शतरंज के बिसात पर डीजीपी के दोनों घोड़े सस्ते में मारे गए, दोनों के नाम बताइये??
नोट-होली के रंग में अगर स्तंभकार की कलम बहक गई हो तो बुरा न मानो होली है।

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By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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