नईदिल्ली।7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू हुए कई महीने बीत गए हैं।कर्मचारी संघों की कई आपत्तियों के बाद सरकार ने समितियों का गठन चर्चा आरंभ की थी। इन समितियों को कर्मचारियों की समस्या का समाधान चार महीनों में करना था लेकिन अब तक सात महीने बीत चुके हैं। अब खबर है कि सरकार की ओर से बनाई कई तीन समितियों में से एक जिसके पास अलाउंस का मुद्दा भी था ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम प्रारूप दे दिया है और जल्द ही यह समिति अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंप देगी।सूत्रो का कहना है कि यह रिपोर्ट 22 फरवरी के बाद सरकार को सौंपी जा सकती है।
केंद्र सरकार के कई विभागों के कर्मचारी इस बात से काफी नाराज चल रहे हैं कि सरकार की ओर से कर्मचारी की मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। साथ ही इन कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सरकार कर्मचारियों के साथ टालमटोल का रवैया अपना रही है। जिस रिपोर्ट को सरकार को चार महीने में दे दिया जाना चाहिए था वह रिपोर्ट अभी तक नहीं तैयार है।कर्मचारी इस बात से भी नाराज हैं कि उन्हें लगता है कि सरकार कर्मचारियों को भत्ता देने में भी जानबूझकर देरी कर रही है। केंद्रीय कर्मचारियों का मानना है कि बढ़ा हुआ भत्ता देने से सरकारी खजाने पर कुछ अतिरिक्त बोझ आएगा इसलिए सरकार इन मामलों में देरी कर रही है।
कई कर्मचारी संघों के नेताओं का कहना है कि सरकार ने सातवें वेतन आयोग के विवादित मुद्दों पर चर्चा के लिए कई समितियों का गठन कर दिया है। इन समितियों ने वेतन आयोग की रिपोर्ट पर चर्चाएं की लेकिन अभी तक कुछ भी सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है।अभी तक इन समितियों से एक भी ऐसा निर्णय सामने नहीं आया है जिससे केंद्रीय कर्मचारी संतुष्ट हों।