♦सीएम बोले छत्तीसगढ़ में देश के चावल की जरूरत को पूरा करने की ताकत
♦छत्तीसगढ़ मे पूर्वजों ने सैकड़ों साल पहले जल प्रबंधन पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया
रायपुर।केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती शुक्रवार को रायपुर में खाद्य और आजीविका सुरक्षा के लिए जल और भूमि प्रबंधन विषय पर आयोजित तीन दिवसीय प्रथम एशियन सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।शुभारंभ सत्र को सम्बोधित करते हुए उमा भारती ने कहा कि देश में अच्छी खेती और सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिये जल प्रबंधन को जन-आंदोलन बनाना होगा। इसके लिए केन्द्र सरकार ने जल-मंथन कार्यक्रम की शुरूआत की है। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले हमारे देश में विकास के लिये पानी का बेहतर प्रबंधन जरूरी है।अध्यक्षीय आसंदी से सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जल मंथन कार्यक्रम को काफी उपयोगी बताया। डॉ. सिंह ने कहा कि कम पानी में अधिक पैदावार लेने की वैज्ञानिक तकनीक को किसानों तक पहुंचाने की जरूरत है। डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में देश की चावल की जरूरत को पूरा करने की ताकत है।इसके लिए हमें बेहतर भूमि और जल प्रबंधन के साथ वैज्ञानिक तकनीक से खेती करनी होगी। छत्तीसगढ़ वर्तमान में देश के आठ राज्यों को चावल दे रहा है।
उमा भारती ने कहा कि हमें कम पानी में अधिक पैदावार लेने की तकनीक इजरायल से सीखनी चाहिये। इसके लिये इजरायल के सहयोग से केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देश में तीन पायलट प्रोजेक्ट मराठवाड़ा, बुंदेलखंड और ओडिशा के कालाहांडी क्षेत्र के बलांगीर, नुआपाड़ा, कोरापुट जिलों में शुरू किया गया है।अगर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर से प्रस्ताव मिले तो इस पॉयलट प्रोजेक्ट में छत्तीसगढ़ को भी शामिल किया जा सकता है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों के पानी और सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के लिये नदियों को जोड़ने की परियोजना पर कार्य किया जा रहा है। देश में केन और बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना पहली परियोजना है। उन्होंने कहा कि महानदी-गोदावरी नदियों को जोड़ने की प्रस्तावित परियोजना देश के लिये महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके लिए विचार-विमर्श चल रहा है। उन्होंने कहा कि गंगा नदी की सफाई का कार्य तेजी से चल रहा है । आने वाले 10 वर्षाें में गंगा पूर्णतः स्वच्छ हो जाएगी। उन्होने कहा कि देश की पहली हरित क्रांति के दौरान केवल खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया गया। लेकिन भूमि एवं जल प्रबंधन पर ध्यान नहीं देने के कारण पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों में भूमि की उर्वरा शक्ति समाप्त हो गई।
मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में कहा कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी, पानी एवं जलवायु अच्छी है। इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस्तेमाल करने की जरूरत है। छत्तीसगढ़ देश का एकमात्र राज्य है जहां हमारे पूर्वजों ने सैकड़ों साल पहले जल प्रबंधन पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया। और हर गांव में बड़ी संख्या में तालाब और डबरी खुदवाए। धान के खेती के लिये पानी की जरूरत को पूरा करने के लिये किसान बंधिया बनाते थे।
डॉ रमन ने कहा कि छत्तीसगढ़ की खेती में इतना सामर्थ्य है कि अगर वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो देश के खाद्यान्न के लिये चावल की जरूरतों को छत्तीसगढ़ पूरा कर सकता है। आज छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्रों की भूगर्भीय संरचना की दृष्टि से जल प्रबंधन की कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है। सम्मेलन से निकले निष्कर्ष छत्तीसगढ़ में मिट्टी और जल प्रबंधन के लिये उपयोगी साबित होंगे।