सीखने की कोई उम्र नहीं होती-धरमलाल

Shri Mi
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fdp♦सीवीआरयू में 6 दिवसीय फेकेल्टी डेवलमेंट प्रोग्राम शुरू
♦देश के कोने-कोने से जुटेंगें शिक्षाविद्
बिलासपुर। सीखने की कोई उम्र्र नहीं होती है। डाॅक्टर,वकील जैसे कई पेशेवर लोगों को लगातार पढ़ना और सीखना पड़ता है। तभी वकील अपने अपने मुवक्कील को बेहतर कानूनी राहत और डाॅक्टर अपने मरीज को स्वस्थ्य कर पाते हैं। प्राध्यापकों के कांधों पर देश और समाज के युवाओं का भविष्य को सवांरने और उन्हें सही राह दिखाने की जिम्मेदारी होती है। इसलिए प्राध्यापकों को अधिक से अधिक पढ़ना और सीखना चाहिए। डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय हमेशा से तकनीकी रूप से आगे रहने और शिक्षा के क्षेत्र में समय के बदलाव को स्वीकार करने वाला विश्वविद्यालय है। यही कारण है कि यहां के प्राध्यापक उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपडेट रहते हैं।

             
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                                                     उक्त बातें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में आयोजित 6 दिवसीय फेकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के शुभारंभ अवसर पर कहीं। वे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। श्री कौशिक के कहा कि आज के समय में हर व्यक्ति को अपने काम में अपटेड होने की जरूरत है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में काम कर रहा है। श्री कौशिक ने कहा कि आज शिक्षा के लोक व्यापीकरण की जरूरत है। सरकार की ओर से चलाए जा रहे अनेक शिक्षा अभियान में सीवीआरयू का यह आयोजन भी सार्थक साबित होगा। उन्होंने बताया कि शिक्षा समाज की बुनियादी जरूरत है। इसके बिना अच्छे जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, लेकिन हर किसी तक गुणवत्तायुक्त शिक्षा पहुंचाना सिर्फ सरकारी तंत्र से संभव नहीं है।

                                                 निजी क्षेत्रों के शिक्षा संस्थानों के सहयोग के बिना यह असंभव है। ऐसे में डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय प्रदेश और देश के विद्यार्थियों को ग्रामीण क्षेत्र में गुणवत्तायुक्त उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। श्री कौशिक ने भूतपूर्व राष्ट्रपति डाॅ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को याद करते हुए कहा कि शिक्षकोें के लिए उनका जीवन प्रेरणा होना चाहिए, जो अपने जीवन के अंतिम समय तक युवाओं को शिक्षा देते रहे। श्री कौशिक ने आयोजन के लिए विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी। 2 जनवरी से 7 जनवरी तक चलने वाले टीचिंग लर्निंग एवेल्यूएशन कार्यक्रम में देश के बड़े शिक्षाविद् अपने विचार रखेंगे। कार्यक्रम में अतिथियों ने विश्वविद्यलाय के नववर्ष-2017 के केलेंडर का विमोचन किया गया। इस अवसर विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागध्यक्ष,प्राध्यापक अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम के संयोजक डाॅ. पी.के.नायक के अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

शिक्षा महाकुंभ में बहेगी ज्ञान की गंगा
विश्वविद्यालय में 6 दिवसीय शिक्षा महाकंुभ का आयोजन किया गया है। इस महाकुंभ में शिक्षाविदों का समागम होगा, जिसमें ज्ञान की गंगा बहेगी। आयोजन में पहले दिन स्वामी विवेकानंद टैक्नीकल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ.बी.के. स्थापक और छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष डाॅ. विनय उपाध्याय मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। इसके बाद वक्ता के रूप में आमंत्रित डाॅ.आर.के.त्रिपाठी, डाॅ.एस.के.सिंघई, डाॅ.एस.एम.घोष,डाॅ.आर.एल.श्रीवास्तव,डाॅ.जी.टी.लाला,डाॅ.बी.के.सिन्हा,डाॅ.उषा किरण अग्रवाल, डाॅ.अवधेश श्रीवास्तव, डाॅ.जयती विश्वास, डाॅ. पीयूष पाण्डेय निर्धारित विषयों में अपने विचार रखेंगें। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी विभागाध्यक्ष और प्राध्यापक शामिल होंगे। कार्यक्रम के संयोजक डाॅ. पी.के.नायक के अतिथियों का आभार व्यक्त किया।


शोध व इनोवेशन को शिक्षा से जोड़ना जरूरी-कुलपति

fdp3इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. आर.पी.दुबे ने कहा आज भी शिक्षा व्यवस्था में कई चुनौतियां है। जिससे संघर्ष कर अपने प्रतिकुल करने की जिम्मेदारी शिक्षकों की है। यह तभी संभव है जब ऐसे आयोजनों के माध्यम से शिक्षा पर मंथन हो। शोध और इनोवेशन को शिक्षा से जोड़ा जाना जरूरी है। डाॅ. दुबे ने बताया कि एक चुनौती यह भी है कि देश में 1500 विश्वविद्यालयों की जरूरत है जबकि वर्तमान में लगभग 850 विश्वविद्यालय ही देश में है। इसी तरह हम भौगोलिक स्थिति के कारण भी कई स्थानों में शिक्षा नहीं पहंुच पा रही है और कुछ स्थानों में अधोसरंचना भी नहीं के बराबर है। डाॅ. दुबे ने कहा कि सभी को मिलकर ऐसी चुनौतियों से जीतना है शिक्षक होने के नाते यह हम सब का नैतिक दायित्व है।

शिक्षा संत समागम में ज्ञान लेने का अवसर-कुलसचिव
fdp2इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने कहा कि आज शिक्षा जगत परिर्वतन के दौर से गुजर रहा है। इस यात्रा में और मंजिल तक सब कुछ अच्छा हो इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी शिक्षकों की है। बड़े ही सौभाग्य से विश्वविद्यालय में शिक्षा संतों का समागम हो रहा है। टीचिंग लर्निंग प्रोग्राम में देश के बड़े शिक्षाविद् अपने कार्य जीवन के अनुभव बांटेंगें साथ ही आज के जरूरत के अनुसार अपने आप को तैयार करने के गुर भी बताएंगे। प्राध्यापकों को 6 दिनों तक बातों को सींखकर और समझकर समाज को वापस करना है। तभी हम समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभा पाएंगे। श्री पाण्डेय ने सभी को इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी।

शिक्षा भविष्य की जननी है-डाॅ.स्थापक
आयोजन में विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ. बी.के. स्थापक ने कहा कि शिक्षा भविष्य की जननी है। शिक्षा से ही किसी भी समाज और देश का भविष्य तय होता है। शिक्षा में तेजी से बदलाव आया अब हमें यह सोचना होगा कि जो मानव मूल्य और विकास शिक्षा का उद्देश्य था वही उद्देश्य आज है या नहीं। इसके लिए शिक्षाविद्ों को लगातार सोचना और चिंतन करना होगा। डाॅ. स्थापक ने बताया कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि शिक्षा हमारे दैवित्य को निखारना ही शिक्षा का उद्देश्य है। यह सत्य भी है, लेकिन बीते कुछ साल से यह दिखाई दे रहा है कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ जीवकोपार्जन ही रहा गया है। इस आयोजन में सार्थक चर्चा होगी।

ज्वलंत और सामयिक विषय है-डाॅ पाठक
आयोजन के विशिष्ठ अतिथि छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष डाॅ.विनय पाठक ने कहा कि आज के शिक्षा जगत में शिक्षक और विद्यार्थी के बीच अजीब से कश्मकश की स्थिति है। इसलिए साझा संस्कृति पर चर्चा करना जरूरी है। बीते कुछ सालों में शिक्षा की स्तर में गिरवाट भी आई है। आज व गुणवत्ता नहीं रही जो पहले हुआ करती थी। डाॅ.पाठक ने कहा कि शिक्षक और विद्यार्थी के बीच की दूरी भी बढ़ी है। शासकीय स्कूल और महाविद्यालयों की स्थिति लगातार क्यों दुर्बल होती जा रही है और निजी क्षेत्र के शिक्षण बेहतर काम करके बेहतर परिणाम भी दे रहे है। ऐसे कई बड़े विषय है जिनके शिक्षाविद्ों को मंथन करना होगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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