बिलासपुर–नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की दिल्ली स्थित प्रधानपीठ ने दो महीने के भीतर छत्तीसगढ़ में मेडिकल कचरों के निपटान से संबधित जानकारी पेश करने को कहा है। एनजीटी ने राज्य के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर मेडिकल कचरे के निपटान में भारी लापरवाही की बात कही है। एनजीटी के अनुसार मेडिकल कचरे के निपटान में राज्य सरकार ने खुला उल्लंघन किया है। सरकार ने प्रधानपीठ में जो भी रिकार्ड पेश किये..उनमें भारी गलतिया भ्रम की स्थिति है। एनजीटी ने प्रदेश सरकार को प्रत्येक जिले में मेडिकल कचरों के निपटान के लिए समितियां बनाने को कहा है। साथ ही अभी तक पेश किये गए आंकड़ों की सही जानकारी दो महीने के भीतर देने को कहा है।
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कांग्रेस नेता महेश दुबे ऊर्फ टाटा महाराज की याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार के प्रमुख सचिव को मेडिकल निपटान में हो रही लापरवाही पर पत्र लिखा है। महेश दुबे की याचिका पर सरकार की तरफ से पिछले दो सालों में पेश किये गए आंकड़ों में एनजीटी ने भारी अन्तर पाया है। एनजीटी ने कहा है कि प्रदेश में कितने चिकित्सालय और निजी चिकित्सालय हैं। सभी की जानकारी पेश किया जाए।
महेश दुबे की याचिका पर एनजीटी ने सुनवाई करते हुए कहा कि अभी तक पेश किए गए सरकारी रिपोर्ट में भारी अनिमितता दिखाई दे रही है। ऐसा लगता है कि प्रतिवादी ने केवल खानापूर्ति के नाम रिपोर्ट पेश किया है। एनजीटी ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि मेडिकल कचरे के निपटान पर निगरानी के लिए राज्य स्तर पर समिति का गठन किया जाए। समिति में प्रमुख सचिव,स्वास्थ्य सचिव,सभी संभागायुक्त.पर्वावरण मंडल सचिव और स्वास्थ्य संचालकों को रखा जाए। एनजीटी ने महीने में सदस्यों के साथ कम से कम एक बैठक करने को भी कहा है।
कोर्ट के अनुसार समिति डायरेक्ट्री तैयार कर रिपोर्ट एनजीटी को देगी। मेडिकल कचरे के निपटान को लेकर कार्ययोजना तैयार करेगी। तीन महीने की मानिटरिंग के बाद रिपोर्ट को एनजीटी के सामने रखा जाएगा। एनजीटी ने कहा है कि राज्य सरकार जिला स्तर पर समिति का गठन करे समिति अध्यक्ष कलेक्टर होंगे। जिला स्वास्थ्य अधिकारी रो नोडल अधिकारी बनाया गया है। जिला समिति में एसपी और पर्यावरण मंडल के अध्यक्ष को सदस्य बनाया गया है।
एनजीटी पत्र के अनुसार मेडिकल कचरे का निपटान यदि सही तरीके से नहीं किया गया। या फिर निपटान में नियमों की अनदेखी की गयी तो जिम्मेदारी जिलास्तर के चारों सदस्यों की होगी।
पत्रकार वार्ता में महेश दुबे के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि साल 14 में याचिका दायर करने के बाद पिछले दो साल में सरकार ने जो भी आंकड़े पेश किए…उसमें लापरवाही की गयी है। कोर्ट ने प्रतिवादी को बताया कि पेश किए गए सभी आंकड़ों में असामनताएं हैं। निपटान को लेकर किसी भी प्रकार की कोताही नहीं करने को कहा गया है। कोर्ट ने वादी की तरफ से पेश किए गए सबूत को देखने के बाद राज्य सरकार को मेडिकल कचरे के निपटान को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।