सीयू छात्रों को बस नहीं…कुलपति को 14 लाख की सियाज

BHASKAR MISHRA
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ggdu bilaspur बिलासपुर—गुरूघासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में कुल 9 हजार छात्र छात्राएं पढ़ाई करते हैं। कुछ हजार लोगों को ही हास्टल की सुविधा है। पांच हजार से अधिक छात्र कोनी या आस पास के क्षेत्रों में रहकर पढ़ाई करते हैं। बाहर रहने वालें छात्रों को विश्वविद्यालय तक लाने ले जाने के लिए केवल दो बसे हैं। कुछ महीने पहले तक सभी छात्र छात्राओं से  150 रूपए प्रति महीने बस चार्ज लिया जाता था। छात्र विरोध के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने शुल्क हटा दिया। सवाल अभी भी खड़ा है कि विश्वविद्यालय कैम्पस से बाहर और दूर दराज में रहने वालों छात्र छात्राओ का आना जाना कैसे होता है। वसूले गए बस चार्ज के लाखों रूपयों का क्या हुआ। कुलपति अंजिला गुप्ता का कहना है कि बजट कमजोर होने के कारण ..बस खरीदना संभव नहीं है। यह अलग बात है कि कुलपति के लिए 14 लाख की सियाज एसयूव्ही खरीदने के लिए बजट का टोंटा नहीं है।

                           कैम्पस से बाहर रहने वाले छात्रों को लाने ले जाने के लिए केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पास बस नहीं है। केवल दो ही बसे हैं जो पर्याप्त नहीं है। बाहर रहने वाले छात्रों के लिए कम से कम 8 बसों की जरूरत है। कुछ महीने पहले तक छात्रों से 150 रूपए अनिवार्य रूप से बस चार्ज हर महीने लिया जाता था। बस सुविधा नहीं होते हुए भी छात्रों को शुल्क देना पड़ता था। विरोध के बाद प्रबंधन ने फिलहाल कुछ महीने पहले बस शुल्क लेना बंद कर दिया। प्रश्न उठता है कि आखिर 9 हजार छात्रों से सालों तक लिए गए लाखों रूपयों का क्या हुआ।

                                               नाम नहीं छापने की शर्त पर विश्वविद्यालय के एक प्राध्यापक ने बताया कि कुलपति के सामने किसी की नहीं चलती है। छात्रों के हितों को लेकर गंभीर भी नहीं है। कुलपति के पास पहले से ही दो कार थी..बावजूद इसके नियमों को ताक पर रखकर 14 लाख का सियाज एसयूव्ही खरीदा गया। जबकि छात्रों को बस की जरूरत है। आए दिन बच्चे एक्सीडेट के शिकार हो रहे हैं। नीजि वाहन से ओव्हरराइड कर छात्र विश्वविद्यालय आते हैं। कई बच्चों की तो एक्सीडेंट में मौत भी हो चुकी है। विश्वविद्यालय प्रशासन यदि चाहे तो बच्चों की फीस से ही दो तीन बसें खरीद सकता है। जो बन्द होने से पहले जमा किए गये थे। सार्वजनिक बस से विश्वविद्यालय आने वाली लडकिया से छेड़खानी आम बात है। शिकायत के बावजूद कुलपति अंजिला गुप्ता को ना तो मरने वाले छात्रों की चिंता है और ना ही छेड़खानी से परेशान छात्राओं की टूटते मनोबल की। जबकि वह खुद भी औरत हैं और विश्वविद्यालय के जिम्मेदार पद पर काबिज हैं।ggdu campus

                       प्राध्यापक ने बताया की कुलपति अंजिला गुप्ता का मानना है कि बिलासपुर पिछ़ड़ा क्षेत्र हैं। उन्होने अपने पहले भाषण में कुछ ऐसा ही कहा था। अब समझ में आने लगा है कि उन्होने बिलासपुर और छत्तीसगढ़ को पिछड़ा क्षेत्र क्यों कहा था। क्योंकि यहां के छात्र सीधे सादे होते है। वही करते हैं जैसा कुलपति चाहता है। इसके उलट दिल्ली,जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय में वही होता है जो छात्र चाहते हैं। अंजिला गुप्ता को ना तो केन्द्रीय विश्वविद्यालय की चिंता है और ना ही यहां के छात्र-छात्राओं की परेशानियों से मतलब ही है। दिल्ली में उनका भरा पूरा परिवार है। बैठक के बहाने दिल्ली निकल जाती हैं। पिछले एक साल में उनका छः महीना दिल्ली में ही बीता है।

                         एक महिला होकर भी छात्राओं की चिंता कुलपति अजिला गुप्ता को नहीं है। आए दिन की छेड़खानी से परेशान छात्राएं खुद की नजर में गिरने लगी हैं। यदि विश्वविद्यालय का बस होता तो शायद छात्राएं सुरक्षित रहती। महिला कुलपति होने के बाद भी बाहर के असामाजिक तत्व विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर छात्राओं के साथ बदतमीजी करते हैं। कुलपति के केबीनि में चाय भी पीते हैं। दुख की बात है कि एक महिला को दूसरी महिला की पीड़ा का अंंदाजा नहीं है। वह तो केवल 14 लाख की सियाज की खुशी में डूबी हुई है। ऐसे में विश्वविद्यालय और छात्राओं की सुरक्षा का मालिक भागवान ही है।

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