सहाकरी बैंक खाताधारकों में हड़बड़ी…

BHASKAR MISHRA
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IMG_20161129_182028_119बिलासपुर—जिला केन्द्रीय सहकारी मर्यादित बैंक में नोट निकालने किसानों की लंबी कतार देखने को मिली। शासन से निर्देश के बाद किसान ज्यादा से ज्यादा संख्या बैंक पहुंच रूपए निकाले । बैंक अधिकारियों ने बताया कि लीगल टेंडर में शामिल नहीं किए जाने से जिला सहकारी बैंक को नुकसान हुआ है। काउन्टर में लम्बी लाइन लगने की मुख्य वजह किसानों को लग रहा है कि सरकार 25 हजार रूपए के अधिकतम निकासी को कहीं कम ना कर दे।

             
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                मालूम हो कि रिजर्व बैंक ने एक दिन पहले घोषणा की है कि खाताधारक 25 हजार रूपए खाते से निकाल सकते हं। आदेश के बाद आज जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में खाताधारक किसानों की भीड़ लग एक किसान ने बताया कि इसके पहले सरकार आदेश से नया ट्विस्ट आए..हम लोग खाद बीज पानी और घर की जरूरतों के लिए 25 हजार रूपए निकालने आए हैं। किसान ने बताया कि सरकार ने पहले चार हजार एक्सजेंच का आदेश दिया था। बाद में दो हजार कर दिया। डर है कि कहीं आहरण की सीमा भी 25 हजार से कम ना कर दिया जाए।

                                          बैंक प्रबंधक पाण्डेय ने बताया कि किसान डरा हुआ है। उसे समझाया जा रहा है कि जरूरत के अनुसार रूपए निकाले। बैंक के पास पर्याप्त राशि है। किसानों को बात भी समझ में आ रही है। कुछ लोग तो रूपए निकाले बिना ही घर लौट गए हैं।

                पाण्डेय ने बताया कि शासन ने धान खरीदी के लिए बैंक को तीस करोड़ रूपए पहले से दे दिया है। बैंक में खाताधारकों की राशि भी सुरक्षित जमा है। जाहिर सी बात है कि बैंक के पास रूपए की कोई कमी नहीं है। पाण्डेय ने बताया कि यह सच है कि केन्द्रीय सहकारी बैंकों को लीगल टेंडर से अलग रखा गया। जिसके चलते बैंक को पचास करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है। जबकि बैंक में पहले दो दिन में करीब 38 करोड रूपए जमा हुुए थे।

                               पाण्डेय ने बताया कि जिला सहकारी केन्द्रीय मर्यादित बैंक किसानों का बैंक है।करीब चार लाख से अधिक किसानों का खाता चलता है। इसके अलावा व्यवसायियों, और नौकरीपेशा लोगों का भी अकाउन्ट है। नोटबंदी के पहले जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की कुल जमापूंजी करीब 60 करोड़ से अधिक थी। यदि नोटबंदी अभियान में बैंक को जोड़ा जाता तो करोड़ों रूपए का फायदा होता।बावजूद इसके बैंक की जमापूंजी पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।

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