दस का दम

Shri Mi
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SUNDAY_FILE_SD13 साल में पहली बार सरकार ने दस का दम दिखाया। और, भाजपा के प्रेरणा पुरुष पं0 दीनदयाल उपध्याय की उपलब्धियों पर सवाल उठाने वाले आईएएस के खिलाफ खबर वायरल होने के 12 घंटे के भीतर कार्रवाई करते हुए मंत्रालय अटैच कर दिया। वरना, इससे पहले अलेक्स पाल मेनन के केस में जीएडी उल्टे अलेक्स की चिरौरी कर रहा था….मेननजी मैंने नोटिस दिया है, प्लीज उसका जवाब दे दीजिए। दोबारा-तिबारा नोटिस देने के बाद मेनन ने जवाब दिया…..वो तो मैंने दोस्तों के साथ चेटिंग में न्यायपालिका के बारे में यूं ही लिख दिया था। और, जीएडी ने उसे तुरंत लपकते हुए मेनन को पूरे सम्मान के साथ बरी कर दिया। मगर इस बार मामला लक्ष्मण रेखा लांघने का था। लिहाजा, सेकेंड सटर्ड छुट्टी होने के बाद भी सरकार ने सुबह 10 बजे प्रभारी सीएस अजय सिंह को निर्देशित किया और साढ़े दस बजे दो लाइन का तायल की छुट्टी का आर्डर जारी हो गया।

             
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पहले निकम्मे और अब सिर-फिरे

छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य है, दिग्विजय सिंह ने गुनतारा भिड़ाकर मध्यप्रदेश के अधिकांश रिजेक्टेड आईएएस अफिसरों को यहां भेज दिया। और, अब जो नए आईएएस आ रहे हैं, उनमें सिर-फिरे एवं कामरेड टाइप के ज्यादा हैं। वरना…..जरा सोचिए कोई नार्मल अफसर न्यायपालिका पर सवाल उठा सकता है। वो भी दलितों एवं अल्पसंख्यवाद का हवाला देकर। आखिर, छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री को गॉगल पहनकर वेलकम करते हुए भी एक आईएएस को पूरे देश ने देखा। और, अब तायल ने तो मुर्खता को चरम पर पहुंचा दिया। वैसे, तायल का ट्रेक रिकार्ड ऐसा ही रहा है। सीएम के राजनांदगांव से इसी चक्कर में उन्हें हटाया गया था। वहां जिला पंचायत अध्यक्ष के पति के खिलाफ जनाब कुछ बोल गए थे। इसको लेकर पंचायत सदस्य धरने पर बैठ गए थे। पुलिस ने किसी तरह उन्हें बाहर निकाला था। तायल के बारे में राजनांदगांव के कलेक्टर मुकेश बंसल से कोई पूछ लें। कैसे वे हलाकान रहे। मगर जीएडी तो तायल से भी बड़ा वाला निकला…..जो अफसर वीवीआईपी जिले में कांड कर दिया, उसे शंट करने की बजाए कांकेर का सीईओ बना दिया। ईश्वर जीएडी को सद्बुद्धि दे।

पहले रिजाइन, फिर…..

नए आईएएस कैसे दुःसाहसी हो गए हैं कि अपने सीनियरों की समझाइस का भी उन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। जब एलेक्स पाल मेनन एपीसोड हुआ था, तो एसीएस टू सीएम एन आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट एन बैजेंद्र कुमार ने 28 मई को फेसबुक पर अफसरों को आगाह किया था……सिविल सरवेंट तथा गवर्नमेंट आफिसरों को सोशल मीडिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कितना अधिकार है, इसे अब स्पष्ट करना जरूरी हो गया है….सोशल मीडिया ऐसा प्लेटफार्म नहीं है कि कोई कुछ भी लिख दें। खासकर, सिविल सर्विस, पुलिस सेवा और मिलिट्री सर्विस में तो और अधिक रेस्ट्रीक्शन होती है। आईपीसी, सीआरपीसी, सायबर लॉ के नियमों के अलावा शासकीय सेवा कोड ऑफ कंडक्ट में बंधे होते हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में जो बातें नहीं की जा सकती, वो सोशल मीडिया में भी नहीं लिखी जा सकती। इसके बाद भी कोई अफसर नियम-कायदों के बाहर जाकर लिखना चाहता है तो वह सर्विस से रिजाइन करके अपना शौक पूरा कर सकता है। बैजेंद्र कुमार के इतना सख्त कमेंट के बाद भी तायल ने पराकाष्ठा कर दी, आप समझ सकते हैं, नए आईएएस की कैसी ब्रिड आ रही है।

दर्जन भर योजनाएं

पं0 दीनदयाल उपध्याय के नाम से रमन सरकार दर्जन भर योजनाएं चला रही है। दिसंबर 2003 में सरकार बनीं और पहली योजना हाउसिंग बोर्ड ने 2005 में पं0 दीनदयाल आवासीय योजना के नाम से लांच किया। जिला पंचायतों में भी विभिन्न योजनाएं पं0 उपध्याय के नाम से चल रही हैं। इसके बाद भी सवाल? सरकार को पहले अपने अफसरों को योजनाओं के बारे में बताना चाहिए। बाद में फिर पब्लिक को।

बैकफुट पर कमल विहार

लगता है, कमल विहार को ठीक-ठाक मुहूर्त में लांच नहीं किया गया। पहले सरकार कोर्ट केस से परेशान रही। और, अब उसके प्लाट न बिकने से। पता चला है, आरडीए अब 20 फीसदी रेट कम कर दिया है। बोर्ड से भी इसे हरी झंडी मिल गई है। बहुत जल्द वह नया लेवल चिपका कर इस प्रोजेक्ट को रिलांचिंग करने जा रहा है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि कमल विहार के आवासीय प्लाट भी अभी 40 प्रतिशत नहीं बिके हैं। कामर्सियल का हाल तो और बुरा है। इसमें 20 परसेंट ही बुकिंग हुई है।

मंत्रियों पर चाबुक

बीजेपी के बस्तर कार्यसमिति में कार्यकर्ताओं का गुस्सा आखिर रंग दिखाया। संगठन अब मंत्रियों के लिए पार्टी कार्यालय में हफ्ते में दो दिन बैठना अनिवार्य करने जा रही है। इसमें कार्यकर्ता पहले से बिना टाइम लिए भी मंत्री से सीधे मिल सकेंगे। कार्यकर्ताओं का काम अगर वाजिब होगा तो मंत्री उसके आवेदनों पर सहयोग लिखा हुआ सील लगा देंगे। इसका मतलब प्राथमिकता से काम करना होगा। अफसरों को भी निर्देश दिया जाएगा कि सहयोग सील लगे आवेदनों पर फूर्ति दिखाएं।

ये हुई ना बात!

शिक्षा विभाग की सात सदस्यीय टीम अध्ययन यात्रा पर फिनलैंड रवाना हो गई है। खास यह है कि इसमें मंत्री के साथ अफिसरों की बीवी-बच्चे भी शामिल हैं। दरअसल, पहले शिक्षा मंत्री के साथ संसदीय सचिव अंबेश जांगड़े, सिकरेट्री विकास शील, डायरेक्टर एजुकेशन कैसर हक, डायरेक्टर एससीआरटी सुधीर अग्रवाल, डिप्टी सिकरेट्री ओपन स्कूल निर्मल अग्रवाल और डिप्टी सिकरेट्री सर्वशिक्षा अभियान संजय शर्मा का नाम शामिल था। अंबेश ने निजी कारणों से अपना नाम विड्रो कर लिया। निर्मल और संजय स्कूल के मास्टर है, इसलिए चीफ सिकरेट्री ने उनका नाम काट दिया। जबकि, फिनलैंड में इंतजामात सात लोगों के हो गए थे। सो, अफिसरों ने दिमाग लगाई और शिक्षा मंत्री के साथ अपनी बीवियों को भी टीम में शामिल कर लिया।

गुड न्यूज

नया रायपुर में अगले सत्र से एक इंटरनेशनल स्कूल चालू हो जाएगा। एनआरडीए ने मुंबई के हिल स्प्रींग गु्रप से एमओयू किया है। हिल स्प्रींग ने 10 एकड़ लैंड भी परचेज कर लिया है। अफसरों का दावा है, इस तरह के इंटरनेशनल स्कूल मध्यप्रदेश में भी नहीं है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक मंत्रीजी का नाम बताइये, जिन्होंने अपनी मस्तानी को शंकर नगर के हाउसिंग बोर्ड अपार्टमेंट में मकान खरीद कर दिया है?
2. बस्तर में क्या इतनी कमाई है कि वहां के पोस्टेड आईएएस, आईपीएस आजकल निजी दौरे पर विदेश जा रहे हैं?

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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