असमानता के लिए सरकार की नीतिया जिम्मेदार

BHASKAR MISHRA
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lekhak1बिलासपुर— उस्लापुर स्थित गणेश वाटिका में आज देश के स्वनामधन्य साहित्यकार और पत्रकार उपस्थित हुए। प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यक्रम में देश की दिशा और दशा पर बुद्धिजीवियों ने चिंतन किया। तीन दिवसीय प्रगति लेखक संघ की कार्यशाला के पहले दिन पत्रकार पी.साईनाथ ने लोगों का ध्यान देश में असमानता फोकस किया। साईनाथ को लोगों ने जमकर सुना और तालियों के साथ स्वागत भी किया।

             
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                                     गणेश वाटिका में आज प्रगति लेखक संघ के 16 वें राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन पी.साईनाथ का व्याख्यान हुआ। पी.साईनाथ ने आज पहले और उद्घाटन सत्र में स्वतंत्रता और असमानता के प्रश्न पर व्याख्यान दिया। उन्होने कहा कि पिछले पन्द्रह सालों में देश के भीतर असमानता ने अप्रत्याशित रूप से विकास किया है। ऐसा विश्व के अन्य देशों में भी देखने को मिला है। लेकिन भारत में कुछ बहुत ही ज्यादा असमानता देखने को मिली है। असमानता के लिए सीधे तौर पर देश की नीतियां जिम्मेदार हैं।

                    पी.साईनाथ ने कहा कि असामनता की जड़ें हर क्षेत्र में तेजी से पसर चुकी हैं। साहित्यकारों,पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को मनन के साथ पुरजोर तरीके से असमानता की महामारी के खिलाफ सामने आना होगा। राष्ट्रीय कार्यशाला में शामिल देश के स्वनाम धन्य लोगों को संबोधित करते हुए साईनाथ ने कहा कि गलत नीतियों के विरोध करने वालों को अपमानित किया जा रहा है। कृषि,स्वास्थ्य,शिक्षा,व्यापार,पत्रकारिता और ना जाने कौन कौन से क्षेत्र हैं…इनमें असमानता ने देश की जड़ों को हिलाकर रख दिया है।

                                     असहिष्णुता पर उन्होने कहा कि पुरस्कार लौटाने वालों ने जब असमानता के खिलाफ बोलना और अवार्ड लौटाना शुरू किया तो पूंजीवादी मीडिया के बहुत बड़े  वर्ग ना केवल इसका विरोध किया। बल्कि सरकार की गलत नीतियों का समर्थन किया। साईनाथ ने कहा कि अब पहले जैसी पत्रकारिता भी नहीं रही। मीडिया पर पूंजीपतियों ने कब्जा कर लिया है। पत्रकार आज भी मेहनत से काम कर रहे हैं लेकिन अभिव्यक्ति और लेखन पर अंकुश लगा दिया गया है। पिछले तीस सालों में देश ने 27 जावाज पत्रकारों को खोया है। इनकी मौत नहीं बल्कि हत्या की गयी है।

             अपने लम्बे व्याख्यान के दौरान साईनाथ ने व्यवस्था पर जमकर चोट किया। उन्होने कहा कि त्रिपुरा की एक आदिवासी महिला कहती है कि महंगाई के दौर में जब पेट नहीं भरेगा तो शौचालय को लेकर क्या करेंगे। साईनाथ ने कहा कि स्वच्छता अभियान टायलट यूजर के लिए बनाया जा रहा है…। यह ठीक है लेकिन सरकार की नीति टायलट क्लीनर के खिलाफ है। सेप्टिक टैक सफाई के दौरान मरने वाले लोग आदिवासी, गरीब,अनुसूचित जनजाति के होते हैं। उनके लिए सरकार ने आज तक चिन्ता जाहिर नहीं की है।

                                        साईनाथ कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में है। असमानता ने लोगों को हिलाकर रख दिया है। साहित्य के क्षेत्र में इसको लेकर बहुत कुछ लिखा और पढ़ा जा रहा है। लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। देश में असमानता इस हद तक है कि मात्र 100 लोगों का देश के पचास प्रतिशत धन पर कब्जा है। शौचालय वहीं बनाया जा रहा है जहां व्हीआईपी बहुल क्षेत्र है। इस सोच को बदलने की जरूरत है। सोच बदलने पर ही असमानता पर अँकुश लगाया जा सकता है ।

             अपने व्याख्यान के दौरान साईनाथ ने व्यवस्था पर चोट करते हुए कहा कि सूखा के लिए सीधे सीधे सरकार जिम्मेदार है। उन्होने कहा कि देश में पानी की समस्या हुई नहीं पैदा की गयी है। उनहोने सूखे को लेकर कई उदाहरण दिये।

                    कार्यशाला में उपस्थित पुन्नीलाल,अली जावेद,राजेश्वर सक्सेना,वेद प्रकाश अग्रवाल,खगेन्द्र ठाकुर,राजेन्द्र राजन,सुखदेव सिंह,सतीश कालसेकर,अमिताभ चक्रवर्ती,प्रभाकर चौबे,पी.लक्ष्मीनारायण,विनीत सिंह,चौथीराम यादव,राजेन्द्र शर्मा,शकील सिद्दिकी,संगीता महाजन,प्रेमचंद गांधी,पूनम सिंह,विभूति नारायण राय,सुनीता धर,ओमेन्द्र ,संजय श्रीवास्तव ने प्रगतिशील लेखक संघ के बैनर पर हस्ताक्षकर संगठन को मजबूत किया। ो

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