बिलासपुर—सरकार मर्ज के बहाने बैंकों के निजीकरण का बैक कर्मचारियों और यूनियनों ने विरोध किया है। बैंकों का मर्ज पूंजीपतियों के फायदे को ध्यान में किया जा रहा है। कर्मचारी और जनता से इससे किसी प्रकार का लाभ नहीं होने वालाह है। दयालबंद स्थित नेशनल बैंक शाखा में आयोजित एक परिचर्चा में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक युनियन पदाधिकारियों ने कही।
बैंकों के मर्जर के खिलाफ एक परिचर्चा का आयोजन नेशनल बैंक शाखा दयालबंद में की गयी। इस मौके पर युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के पदाधिकारियों ने अपनी बातों को सबके सामने रखा। यूनियन के नेताओं ने बताया कि सरकार मर्ज की आड़ में बैंकों के निजीकरण का अभियान चला रही है। इससे आम जनता को कुछ हासिल नहीं होने वाला है।
इस दौरान राष्ट्रीयकरण के लाभ और मर्जर से स्टाफ, आम जनता और सरकार को हानि के लोकर चर्चा हुई। यूनियन नेताओं ने चर्चा कर आगामी रणनीति पर चर्चा की। चर्चा में युनाईटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस, और ट्रेड यूनियन कौंसिल के पदाधिकारी और बैंक कर्मचारी प्रमुख रूप से शामिल थे। पदाधिकारियों ने बताया कि सरकार की मंशा मर्ज के बहाने नीजिकरण को बढ़ावा देना है।
राष्ट्रीयकरण के पहले किसानों, मजदूरों,विद्यार्थियों, लघु उद्योगों को ऋण नहीं दिया जाता था। मर्जर निजीकरण के बाद बैंक में प्रवेश करना मुश्किल हो जाएगा। बैकों का मर्जर केवल बड़े कार्पोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। कर्मचारी और आम जनता हो मर्जर से नुकसान होना निश्चित है। परिचर्चा के बाद यूनियन ने बैंको के राष्ट्रीयकरण को बनांये रखने के लिए जनसमर्थन लेने का निर्णय लिया है।
हस्ताक्षर अभियान चला कर केंद्र सरकार को विरोध दर्ज कराया जाएगा। फोरम ने 29 जुलाई को अपनी मांगों को लेकर एक दिवसीय हड़ताल का भी एलान किया है।