बेरोजगारों का सपना पूरा करता लाइवलीहुड कालेज

BHASKAR MISHRA
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रायपुर—ऐसा कालेज  जहां दाखिले के लिए किसी खास स्कूली शिक्षा का होना जरूरी नहीं है। प्रवेश भी निःशुल्क है। उम्र का भी कोई बंधन नहीं है। ऐसे कॉलेज में प्रवेश लेकर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ने लगे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के सभी 27 जिलों में ऐसे कॉलेजों की स्थापना की है। ऐसे कालेज को आजीविका महाविद्यालय यानी लाइवलीहुड कॉलेज का नाम दिया गया है। जहां अपनी पसंद के रोजगार मूलक कार्यों का प्रशिक्षण लेने वाले कम पढ़े-लिखे युवाओं को ‘कॉलेज’ के विद्यार्थी होने का अहसास कराता है।

लाईवलीहुड कॉलेज छत्तीसगढ़ की नई पीढ़ी के भविष्य निर्माण में काफी मददगार साबित हो रहे हैं। राज्य का पहला लाइवली हुड कॉलेज नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में अक्टूबर 2012 में मुख्यमंत्री ने शुभारंभ किया था। बेरोजगार युवाओं में इस कॉलेज की लोकप्रियता को देखते हुए आज सभी 27 जिलों में कॉलेज संचालित हो रहे हैं। अब तक 20 हजार से ज्यादा युवाओं ने इन कॉलेजों में प्रशिक्षण हासिल कर लिया है। बाजार की मांग के अनुरूप युवाओं को विभिन्न व्यवसायों का अल्पकालीन कौशल प्रशिक्षण इन कॉलेजों में दिया जा रहा है, जिनमें राजमिस्त्री, प्लम्बर, वाहन चालक, सिलाई-बुनाई प्रशिक्षण, इलेक्ट्रिशियन, वेल्डर, सोलर पावर प्लांट सुधारक, ऑफिस मैनेजमेंट, कम्प्यूटर का बेसिक पाठ्यक्रम सहित कई छोटे-छोटे पाठ्यक्रम शामिल हैं।

                                युवाओं को इन कॉलेजों में मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना और केन्द्र सरकार की स्किल डेवलपमेंट इनिशियटिव योजना के तहत तैयार किया जा रहा है।दिया जा रहा है। प्रशिक्षण में व्यक्तित्व विकास और अंग्रेजी ज्ञान के लिए कार्यशालाएं आयोजित करने का भी प्रावधान किया गया है। युवाओं को रोजगार से जोड़ने इन कॉलेजों में प्लेसमेंट केम्प भी आयोजित किए जा रहे हैं। नक्सल प्रभावित कांकेर जिले की कल तक निराश्रित रही बालिका कुमारी ज्योति ने दुर्ग जिले के लाइवलीहुड कॉलेज में प्रवेश लेकर कम्प्यूटर और अंग्रेजी का प्रशिक्षण हासिल किया। आज वह गुजरात के सूरत स्थित एक बड़े शापिंग माल में काम कर रही है।कोरबा जिले के जमनीपाली निवासी अमरदास महंत को जिला मुख्यालय कोरबा के लाइवलीहुड कॉलेज से जुड़कर वायरिंग और वाइंडिंग का दो महीने का प्रशिक्षण पूर्ण करने  पर कोयम्बटूर के एक निजी उद्योग में नौकरी कर रहा है।

             राज्य सरकार ने लाइवलीहुड कॉलेजों में प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए औद्योगिक प्रतिष्ठानों से अनुबंध भी किया है। राज्य और केन्द्र सरकार की अनेक योजनाओं और परियोजनाओं में कुशल श्रमिकों की जरूरत होती है। ऐसे में लायवली हुड कालेज काफी सहायक साबित हो रहे हैं। स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों में लाखों की संख्या में शौचालयों का निर्माण हो रहा है। इसमें कुशल राजमिस्त्रियों के लिए रोजगार की काफी गुंजाइश देखी जा रही है। प्रदेश सरकार की नल-जल योजनाओं में प्लम्बरों की जरूरत को देखते हुए लाइवलीहुड कॉलेजों से प्रशिक्षित प्लम्बरों को कुशल श्रमिक के रूप में काम मिल सकता है। आईसीआईसीआई, केन्द्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थान, मारूति सुजुकी, बिड़ला फाउंडेशन आदि राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के सहयोग से भी राज्य के युवाओं को लाइवलीहुड कॉलेजों में गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।

 

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