आश्रम-शालाओं,छात्रावासों के रख-रखाव में लापरवाही बर्दाश्त नहीं-सीएम

Shri Mi
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1901रायपुर। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी है कि आदिम जाति विकास विभाग के स्कूलों, आश्रम-शालाओं और छात्रावासों के रख-रखाव में लापरवाही पाए जाने पर संबंधित जिले के सहायक आयुक्त के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने विधानसभा परिसर मे मुख्य समिति कक्ष में छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद की बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि विभागीय अधिकारी होने के नाते सहायक आयुक्तों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने कार्य क्षेत्र के जिले में हर महीने कम से कम दस स्कूलों, छात्रावासों और आश्रम-शालाओं का निरीक्षण अवश्य करें, जो सहायक आयुक्त निरीक्षण नहीं करेंगे और इन संस्थाओं के रख-रखाव में लापरवाहीं बरतेंगे तो उन्हें अगली पदोन्नति से वंचित होना पड़ सकता है।

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                              मुख्यमंत्री ने कहा कि ये अधिकारी के निरीक्षण दौरान संबंधित संस्था के रजिस्टर में निरीक्षण टीप भी अंकित करें और टीप के अनुसार कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाए। निरीक्षण के दौरान इन संस्थान के भवनों की स्थिति को भी देखें। अगर छतों से पानी टपकने की शिकायत हो, खिड़की दरवाजों और बिजली की वायरिंग की मरम्मत की जरूरत हो तो युद्ध स्तर पर तत्काल यह कार्य करवाएं। बच्चों के लिए इन संस्थाओं मेें दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर भी निरीक्षण के दौरान विशेष रूप से ध्यान दिया जाए। डॉ. सिंह ने कहा कि जिला कलेक्टरों द्वारा इन संस्थाओं के निरीक्षण के लिए विभिन्न विभागों के जिन अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया गया है, उन्हें भी अपने स्तर पर गंभीरता से यह सब देखना होगा।

                         साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि डॉ. रमन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रथम चरण में 11 हजार किसानों को नदी-नालों के किनारे सिंचाई सुविधा के लिए सोलर पम्प देने की कार्य योजना पर अमल शुरू कर दिया है। इन्हें मिलाकर अगले कुछ वर्षो में लगभग 50 हजार किसानों को सोलर पम्प देने का लक्ष्य होगा। इसके लिए भी अधिकारियों को योजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं। अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा।

                       पहाड़ी कोरवा, बिरहोर, बैगा, कमार और अबूझमाड़िया जैसी विशेष पिछड़ी जनजातियों का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण भी जल्द करवाया जाएगा। इसके लिए एक वर्ष की समय-सीमा तय की जाएगी। उन्हांेने कहा कि राज्य सरकार ने आठवीं से बारहवीं तक अध्ययनरत अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के विद्यार्थियों को स्कूलों में ही शिविर लगाकर अस्थायी जाति प्रमाण जारी करने का निर्णय लिया है और राजस्व अधिकारियों को इसके लिए निर्देश भी दिए जा चुके हैं। अब यह तय किया गया है कि छठवीं और सातवीं कक्षा के बच्चों को भी इस सुविधा का लाभ दिलाया जाए।

                       इसके अलावा केन्द्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय (अमरकंटक) की एक शाखा बस्तर में खोलने के लिए केन्द्र के स्तर पर पहल करने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में बताया गया कि जनजातीय सलाहकार परिषद की विगत बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार आदिम जाति विकास विभाग के कन्या छात्रावासों और कन्या आश्रम-शालाओं में सुरक्षा के लिए तैनात महिला नगर सैनिकों के गार्ड रूम निर्माण के लिए छह करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। यह राशि आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग के चालू वर्ष के बजट में रखी गयी है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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