भाजपाः पत्रकारों को बुद्धिजीवी मानने से इंकार

BHASKAR MISHRA
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images (1)बिलासपुर—यदि केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का आगमन बिलासपुर नहीं होता तो…पत्रकारों का भ्रम नहीं टूटता कि वे बुद्धिजीवी की श्रेणी मेंं नही आते…कल तक साहित्यकारों को दम्भ था कि वे बुद्धिजीवी हैं..अब तक जानकारी हो गयी होगी कि वे भी बुद्धिजीवी नहीं हैं…संपादकों को अपनी हैसियत का अहसास हो गया होगा…कि वे और कुछ हो सकते हैं लेकिन भाजपा के गुडबुक में उनका नाम बुद्धिजीवियों में दर्ज नहीं है। भ्रम में रहने वाले समीक्षक और लेखक अच्छी तरह से समझ लें कि राजनाथ सिंह की बुद्धिजीवी पार्टी में उनका भी नाम नहीं है…। शहर में चर्चा का विषय है कि बुद्धिजीवी आखिर है कौन…

                         भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता व्यापारियों को ही बुद्धीजीवी मानते हैं। अगर ऐसा नहीं है तो 18 जून को देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के कार्यक्रम में पत्रकारों के साथ दोयम स्तर का व्यवहार भाजपा नेता नहीं करते। राजनाथ सिंह के बिलासपुर प्रवास में पत्रकारों को कहीं तरजीह नहीं दी गयी है। हां होटल मेरियट में एक कार्यक्रम जरूर रखा गया है…इस कार्यक्रम में राजनाथ सिंह बुद्धिजीवियों से सौजन्य भेंट करेंगे। कार्यक्रम के एक दिन पहले जानकारी मिली है कि बुद्धिजीवियों में पत्रकार,लेखक,संवाददाता,संपादक,समीक्षकों को शामिल नहीं किया गया है।

                                            बताया जा रहा है कि बुद्धजीवियों की लिस्ट पुराने तथाकथित भाजपा नेता ने तैयार किया है। उसने बिलासपुर के समाचार पत्रों,  राष्ट्रीय पत्रिकाओं के पत्रकारों और संपादकों को बुद्धिजीवी नहीं मानते हुए राजनाथ के कार्यक्रम से दूर रखा है। देर शाम तक पत्रकारों को भ्रम था कि बुद्धीजीवी कार्यक्रम में शामिल होने उन्हें निमत्रण भेजा जाएगा। लेकिन शाम तक सारा भ्रम टूट गया।

                                                 कुछ वरिष्ट पत्रकारों ने इस बावत भाजपा नेताओं से संपर्क किया तो उन्होने बताया कि हां कार्यक्रम के लिए पत्रकार जमात को बुद्धीजीवी नहीं माना गया है। कार्यक्रम के लिए लिस्ट बनाने की जिम्मेदारी पुराने प्रायमरी स्कूल फेल नेता को दिया गया है। उसने शहर के सारे छोटे बड़े व्यापारी संगठनों के साथ कुछ वकीलों और डाक्टरों को निमंत्रण भेजा है। मजेदार बात है यह है कि बुद्धिजीवियों में पांचवी छठवीं पास कोल माफियों को भी बुलाया गया है। जिन पर पुलिस की पहले से ही तिरछी नजर है।

                                    गृहमंत्री से सौजन्य भेंट कार्यक्रम से पत्रकारों को दूर रखे जाने के पागलपन भरे कदम से पत्रकार और पढ़े लिखे वर्ग में अच्छी खासी नाराजगी है। पत्रकारों ने भी तय किया है कि देखते हैं कि तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग बंद कमरों की खुसुर फुसर को कब तक सेंसर लगाकर रखते हैं। सच्चाई जनता के सामने आकर ही रहेगी।

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