विरोधी हताशा और कुंडा के शिकार– रिजवी

BHASKAR MISHRA
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rijaviरायपुर— प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष इकबाल अहमद रिजवी ने प्रदेश कांग्रेस पर एक बार फिर निशाना साधा है। रिजवी ने कहा है कि राज्यपाल को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति बाबत दिये गये ज्ञापन पर महामहिम के समझाइश के मामले पर किसी को हाय तौबा मचाने की जरूरत नहीं है।  महामहिम की पारिवारिक समझाईश को अन्यथा नहीं लेना चाहिए। प्रदेश संगठन को राज्यपाल को ज्ञापन देने के पूर्व राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से इस बाबत सम्पर्क करना चाहिए था। हाईकमान से  पूछना चाहिए था कि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित रायग़ढ़ शहडोल और मरवाही क्षेत्र से तीन बार उम्मीदवार बनाया।

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            रिजवी ने कहा कि अमित जोगी को मरवाही क्षेत्र से उम्मीदवार बनाते समय आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर दोनों को उम्मीदवार क्यों बनाया गया? आदिवासी होने के नाते ही आला कमान ने टिकट दिया था। जोगी पिता-पुत्र की जाति पर प्रदेश संगठन के सवालिया निशान लगाए जाने को हाईकमान के निर्णय की अवमानना कहा जायेगा।

                               प्रदेश कांग्रेस को हाईकमान से अजीत जोगी को 1993 से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जनजाति विभाग का अध्यक्ष आज तक क्यों बनाये रखा है, पूछना चाहिए। रिजवी ने कहा है कि हताशा, कुण्ठा और इर्श्या से ग्रसित विरोधियों ने अजीत जोगी की जाति पर कई बार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकायें दाखिल की थीं । आज तक कुछ हासिल नहीं हुआ।

                        रिजवी ने संगठन के लोगों को संयम बरतने और मर्यादित भाषा का प्रयोग करने की सलाह दी है। रिजवी ने कहा कि कांग्रेस को भाजपा सरकार से लड़ना चाहिए ना कि अपनों से। विरोध को दुश्मनी का रंग देना कदापि उचित नहीं है। उन्होंने हाईकमान को पत्र लिखकर इस विषय पर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की है। जो कुछ भी प्रदेश में हो रहा है, वह अनुशासनहीनता की परिधि में भी आता है। संगठन समय का सदुपयोग करे। जाति प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित है इस विषय पर किसी को कुछ कहने की जरूरत नहीं है। कुछ भी कहना अदालत की अवमानना की परिधि में आता है।

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