खेल-खेल में संगीत साधक बना….शिवम्

Chief Editor
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shivamबिलासपुर । संगीत कला की ऐसी विधा है- जो अगर किसी के शौक में शामिल हो……अगर किसी के दिलो-दिमाग में शामिल हो…….अगर किसी के रग-रग में शामिल हो…..अगर किसी की पारिवारिक परंपरा में शामिल हो ……. तो वह चाहे अबोध – मासूम बच्चा ही क्यों न हो, संगीत का जादू खेल-खेल में भी उसे अलग पहचान के काबिल बना देता है……… । स्कूल के तीसरे दर्जे में पढने वाले महज आठ साल के शिवम् शर्मा  ने भी ऐसी ही मिसाल पेश की है। जिन्होने खिलौने के रूप में मम्मी-पापा से मिले तोहफे से सिर्फ दो साल की उमर में संगीत की धुन निकालकर अपने हुनर की नुमाइश कर दी थी और आज हारमोनियम  की रीड पर उंगलियां फेरते हुए कई मशहूर गीतों के साथ ही पारंपरिक शास्त्रीय संगीत की लय से रू-ब-रू कराने में भी महारत हासिल कर ली है…..। यह करिश्मा कर दिखाने वाले शिवम् की तारीफ में यह जुमला भी शामिल है कि वे छत्तीसगढ़ के जाने-माने साहित्यकार- पत्रकार पं. श्यामलाल चतुर्वेदी के पौत्र हैं…..।

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धर्मेन्द्र शर्मा और डा. सुषमा चतुर्वेदी शर्मा के सुपुत्र शिवम् ने “होनहार – बिरवान के होत चीकने पात” के मुहावरे को सच साबित करते हुए अपने नानाजी    ( पं.श्यामलाल चतुर्वेदी ) के संस्कार को आगे बढ़ाया है।पं. चतुर्वेदी खुद भी शब्दों के साथ ही संगीत के फन में माहिर हैं और हारमोनियम पर आज भी उनकी बुजुर्ग उंगलियां कमल दिखाती हैं। डीएवी स्कूल में कक्षा तीसरी के छात्र शिवम् की उमर अभी महज छः साल की है। लेकिन हारमोनियम पर कई गीत बजा लेते हैं। इतना ही नहीं- शास्त्रीय संगीत के राग भूपाली -भैरवी जैसे कई रागों में धुन पेश करने में माहिर हैं।राष्ट्रीय गीत, लोlप्रिय भजन , आरती और सुगम संगीत के साथ ही शास्त्रीय रागों को भी हारमोनियम पर स्वर देते हुए शिवम् इस छोटी सी उमर में भी श्रोताओँ का मन जीत लेता है।

शिवम् की मम्मी डा. सुषमा चतुर्वेदी-शर्मा बताती हैं कि उसे नानाजी का संस्कार मिला है। तभी तो दो साल की उम्र में जब उसे खिलौने के रूप में केसियो का तोहफा मिला , उस दिन वह सबसे अधिक खुश हुआ। और केसियो के रीड पर अपनी उंगलिया दौड़ाने लग गया। संगीत में उसकी रुचि देखकर नूतन कॉलोनी के संगीत मॉस्टर के.के. साहूजी के पास शिवम् को संगीत की तालीम के लिए ले गए। जहां वह पूरी तन्मयता के साथ संगीत की शिक्षा ग्रहण कर रहा है। छोटी उमर में ही अपनी कला -प्रतिभा का अहसास कराने वाले शिवम् को माता-पिता की ओर से भी भरपूर सहयोग मिल रहा है।

शिवम् शर्मा ने सीजीवाल को बताया कि बड़ा होकर वह संगीतकार बनना चाहता है। उसे संगीत सुनने का भी शौक है और पढ़ाई-लिखाई के बीच भी वह इसके लिए वक्त निकाल लेता है।उसकी रुचि पेंटिंग-ड्राइँग में भी है।

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