पानी की कमी का हल हम खुद खोजें

Shri Mi
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IMG-20160417-WA0031(प्राण चड्ढा) लद्दाख के जनजीवन और पर्यावरण का अध्ययन करने वाले अनुपम सिसोदिया ने आज व आयोजित ‘विचार मंच’ कार्यक्रम में कहा- सर्द और शुष्क रेगिस्तान लद्दाख में छोटे- छोटे प्रयोग जीवन की जटिलता को कम कर रहे हैं, इन कार्यो के प्रणेता ‘सोनम वांगचुक’ पर बनी एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की !

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                     सोनम वांगचुक को इस तरीके से समझा जा फिल्म थ्री इडियट, के आमिरखान का “फुंगसुक वांगड़ू” वाला किरदार उन पर आधारित है।अकलतरा के रहने वाले अनुपम सिसोदिया, ने समझाया कि किस तरह लद्दाख में गर्मी में पानी की कमी दूर करने बर्फ के ऊँचे स्तूप ऊंचाई में बना दिए जाते हैं और फिर जब गर्मी में बर्फ पिघलती है तो ऊंचाई से ये अपनी खेतों तक सीधे लाया जाता है इसे रेखाचित्र में साफ़ किया गया ,इस पानी का उपयोग बंजर जमीं में पेड़ लगाने के लिए किया जा रहा है । वो सोनम वांगचुक से भी लद्दाख में मिले और वहां की महत्वपूर्ण जानकारी भी उनसे ली ।
लद्दाख तक पहुंचे मानसून शिथिल हो जाता है और पानी की कमी बन जाती है वह इस मध्यम कम हो गई है ।लद्दाख फैला हुआ है और आबादी विरल, जल प्रबन्धन के कारण पर्यटकों से होने वाली आय का अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध हो गया है,,! इस युवा का मानना है सब सरकारकरेगी, ये मान कर बैठने से कहीं भला है कि अपनी दशा और परिवेश में खुद हल खोजें ..भारत बड़ा देश है आम ,नीम पेड़ों की किताबी जानकारी का लद्दाख में औचित्यहींन हैं क्योकि वो पेड़ वहां नहीं होते ,,!

                          राष्ट्रीय पाठशाला बिलासपुर में आयोजित गरिमा पूर्ण इस कार्यक्रम के सूत्रधार द्वारिका प्रसाद अग्रवाल ने अनुपम सिसोदिया का परिचय दिया, आभार प्रदर्शन विवेक जोगलेकर ने किया, अनुपम ने प्रबुद्धजनों के पूछे सवालों का समधानपूर्वक जवाब भी दिए. इस मौके पर अनुपम के पिताश्री ठा राहुल सिंह, डा. राहलकर डा अलका राहलकर, बजरंग केडिया, नथमल शर्मा, सत्यभामा अवस्थी, नन्द कश्यप, डा डी के प्रसाद. कपूर वासनिक, किशोर दिवसे, अनिल पाण्डेय, नीना पाण्डेय, सुभदा जोगलेकर, श्याम कोरी उदय, सत्य प्रकाश पाण्डेय, शशि चौबे, नवीन वाहनीपति सहित प्रबुद्धजन उपस्थित रहे,, ,!!

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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