उसी जगह नगाड़े की थाप पर फाग की स्वर-लहरियां भी गूँज रही थी…उसी जगह मस्ती और उत्साह का भी माहौल था….उसी जगह भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओँ की मौजूदगी में इस बात को लेकर गंभीर चर्चा हुई कि संवाद के नए तौर-तरीकों का इस्तेमाल कर पार्टी किस तरह देश और प्रदेश के एक-एक घर,एक-एक आदमी तक पहुंचेगी…? मौका था तिफरा-सिरगिट्टी भाजपा मंडल के होली-मिलन का….और नया मंडल बनने के बाद अब उस इलाके के जमीनी कार्यकर्ताओँ का पहला समागम था ।यह समागम किसी बच्चे की पैदाइश पर छतीसगढ के “घरोघर” होने वाले “छठ्ठी उत्सव” की तरह नजर आया।जिसमें प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक और प्रदेश प्रवक्ता-छत्तीसगढ़ गृह निर्म्राण म़डल के अध्यक्ष भूपेन्द्र सवन्नी सहित कई नेताओं ने नवजात शिशु की तरह नवगठित भाजपा मंडल के पदाधिकारियों व जमीनी कार्यकर्ताओँ को समझाया कि पार्टी के राष्ट्रीय मुद्दों को किस तरह घर-घर तक पहुंचाया जा सकता है। “लोक-मन” (आम-जन)के उत्सव फाग के बीच जिस तरह का समागम नजर आया उसे देखकर सियासत की समझ रखने वाला कोई भी सियासी पंडित सहज ही समझ सकता है कि भाजपा “लोक” के कितने नजदीक जाने की राह पर चल रही है।
भाजपा के लोग हर उस मौके का पार्टी के लिए बेहतर इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं, जहाँ कार्यकर्ताओँ की मैजूदगी होती है।इसकी झलक हाल ही में तिफऱा के एक सार्वजनिक भवन में भी मिली। जहां कुछ समय पहले ही गठित तिफरा-सिरगिट्टी भाजपा मंडल का होली-मिलन कार्यक्रम आयोजित किया गया था।यह इस मंडल का पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था।जिसमें आस-पास इलाके के लोग बड़ी तदात में शामिल हुए। होली- मिलन का जलसा होने की वजह से नगाड़े,मांदल,झाँझ, मंजीरा की गूँज भी थी और गुलाल के साथ फूलों की बौछार भी थी।जिसकी मस्ती में डूबकर लोगों ने जलसे का आनंद उठाया।लेकिन इस जलसे में उड़ रहे सियासत के रंगों पर भी गौर करें तो अगले विधानसभा और लोकसभा चुनावों को फतह करने के लिए भाजपा की रणनीति को समझा जा सकता है।
तिफरा के इस कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष – धरम लाल कौशिक और प्रदेश प्रवक्ता भूपेन्द्र सवन्नी ने सिलसिलेवार बताया कि घरो-घर पहुंचने के लिए अभी पार्टी की क्या रणनीति है। जिसके मुताबिक भाजपा अब इस तरह का रास्ता अख्तियार कर रही है कि राष्ट्रीय स्तर पर लिए गए फैसले कदम-दर-कदम मंडल और बूथ लेवल तक पहुंच जाए।लिहाजा अब पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति की मीटिंग के तुरंत बाद उन मुद्दों पर चर्चा के लिए सभी प्रदेशों में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी।प्रदेश के बाद हर जिले में कार्यसमिति बैठकर इन्ही मुद्दों की चर्चा करेगी।फिर मंडल और पोलिंग बूथ स्तर पर भी इसे चर्चा का मुद्दा बनाया जाएगा।इस तरह मुद्दों पर आधारित राजनीति को अमल में लाने के लिए बीजेपी अपने मुद्दों को जमीन तक पहुंचाने की कोशिश में है।
अमित शाह से लेकर धरमलाल कौशिक तक भाजपा की पूरी टीम आपसी संवाद को जीवंत बनाने के लिए सोशल मीडिया के नेटवर्क का बेहतर इस्तेमाल करने जा रही है।इस मामले में पार्टी संवाद केन्द्रों के जरिए पहले से ही मीडिया में पहुंच बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रही है।लेकिन संगठन से जुड़े लोगों के बीच सीधे-जीवंत सम्पर्क के लिए अब सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जा रहा है।इसके लिए हर एक स्तर पर सोशल-मीडिया के ग्रुप बनाए जा रहे हैं।जिससे मोबाइल के जरिए सभी हर वक्त एक-दूसरे से ,सीधे जुड़े रह सकते हैं। और ऐसें में किसी मुद्दे पर अपनी पार्टी की “लाइन” से सभी वाकिफ रहेंगे।
आम तौर पर सियासी पार्टियां किसी चुनाव के वक्त ही पोलिंग-बूथ की ओऱ रुख करती हैं औऱ वहां की जिम्मेदारी संभालने वालों की सुध लेती है।लेकिन बीजेपी हर समय बूथ स्तर तक जीवंत सम्पर्क कायम करने की रणनीति पर काम कर रही है। जिसके तहत अब साल भर के ऐसे छः कार्यक्रम होंगे, जिसका आयोजन पोलिंग बूथ स्तर पर होगा।पार्टी ने अपने स्थापना दिवस पर ऐसे कार्यक्रम किए हैं।अब डा. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर समरसता दिवस के कार्यक्रम भी निचले स्तर तक करने की तैयारी है।मकसद यही है कि चुनाव के वक्त पोलिंग बूथ की जिम्मेदारी संभालने वाले जमीनी कार्यकर्ता भी पार्टी की रीति-नीति से पूरे बारहों महीने रू-ब-रू होते रहें।इससे पार्टी के मुद्दों की पहुंच जमीनी स्तर पर आम लोगों तक भी हो सकेगी। साथ ही आम-आदमी तक भी यह संदेश भी जाएगा कि भाजपाई केवल चुनाव के वक्त ही नहीं अलबत्ता बाकी समय भी लोगों तक पहुंचते हैं । इसके जरिए पार्टी और सरकार को लेकर आम लोगों का “फीडबैक” भी मिल सकेगा।
तिफरा के इस जलसे ने नवगठित मंडल की “छठ्ठी “जैसे खुशनुमा और “लोकरंग” में डूबे माहौल में बहुत सी बातें हुई। जिसमें पार्टी को सेहतमंद . सजग, चौकस,होशियार, जीत के जज्बे से जोडने का संदेश मिला। संगठन के बड़े नेताओँ ने हाल ही में पैदा हुए भाजपा मंडल को ढोल-नगाड़ों के बीच “छठ्ठी के झूले” में झुलाकर तंदरुस्ती की” घुट्टी “तो पिला दी है।लेकिन अब इसका कितना असर होगा , उसके बारे में सेहत की पेथोलाजी रिपोर्ट देखकर आने वाला कल ही बता पाएगा।
( इस बार बस इतना ही…)