टैेम्प्रेचर बढते ही हायतौबा मचा रहे,निर्दोष वृक्षों के हत्यारे

Shri Mi
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garmi_10 पहले निर्ममता से कर दी मां की हत्या और फिर सर पर ममता भरा आंचल न होने का रोना रो रहे

0 पचास डिग्री तक जायेगा तापमान तभी अकल आयेगी बिलासपुर की जनता को

शशिकांत कोन्हेर।अभी गर्मी ठीक से शुरू नहीं हुई है ! यह भी कहा जा सकता है कि गर्मी का असल समय तो अभी शुरू तक नहीं हुआ है। और समय से पहले ही रवानी पर आ गई है गर्मी। इस बार अप्रैल में ही पारा तिरालिस डिग्री पहुंचने पर वही लोग हायतौबा मचा रहे हैं ,जो इस भीषण गर्मी के लिये हर तरह से जिम्मेदार हैं। जिनकी आखों के आगे ,सालों से एक एक कर हजारों लाखों निर्दोष पौधों की हत्या होती रही ! कभी चौड़ी सडक़ों के नाम पर तो कभी इण्डस्ट्रियों-फेक्ट्रियों के नाम पर विकास की अंधी आत्मघाती दौड के लिये कटते रहे पेड! वही पेड। जो कभी ठण्डी छांह के साथ शुध्द पर्यावरण दिया करते थे। शीतल हवा और ठीक समय पर मानसूनी बयार लाया करते थे। एसईसीएल और एनटीपीसी, फिर कोल वाशरी और अब चौडी सडकों के नाम पर जिस निर्ममता से पेड काटे गये, वो एक तरह से , हत्या ही है उनकी। सब जानते हैं। पहले पेड मरेंगे फिर इंसान। इसके बावजूद अभी भी बड़ी बेमुरव्वती से काटे जा रहे हैं पेड। आश्चर्य की बात ये है कि जब पेड कटते हैं, या काटे जाते हैं। तब तो कोई उसके लिये नहीं बोलता। पर हर साल जब गर्मियों के पहले ही गर्म मौसम का पारा तिरालिस, चौंवालिस, पैंतालिस, छियालिस और सैंतालिस, अड़तालिस की ओर बढने लगता है तो सारे के सारे लोग हायतौबा मचाने लगते हैं।

                           garmi_2पेड़ों की कटाई और पर्यावरण के बढते प्रदूषण की बात करने लगते हैं, ग्लोबल वार्मिंग की बात करने लगते हैं, ये तो ऐसे लगता है मानों कोई शख्स पहले तो अपनी ममतामयी मां की हत्या कर देता है। और फिर समय-समय पर अपने सर पे ममता की छांह न होने का रोना रोता रहते हैं, पेड़ों को काटकर या फिर पेड़ों की कटाई देखने के बाद भी चुप रहकर हम अपने पर्यावरण और पेड़ों की ममतामयी छांह का गला घोंटने का जो अपराध कर रहे हैँ, उसकी सजा भी तो आखिर हमें ही भुगतनी है,दूसरा कौन भुगतेगा ? जब सीपत में एनटीपीसी संयंत्र की स्थापना हो रही थी। इसका विरोध करने वाले मरजीवड़े लोगों से कह रहे थे इसका विरोध करो। इससे बहुत नुकसान होगा जिले को। दूसरे राज्यों की बिजली देने के चक्कर में हम स्लो पाईजन की खुराक ले रहे हैं।

सीपत में सयंत्र शुरू होते ही बिलासपुर जिले में गर्मी भयंकर बढ जायेगी। गर्मियों का तापमान सम्हाले नहीं सम्हलेगा आदि -आदि। चोटी के नाम से विख्यात बेचारे सुदीप श्रीवास्तव दुनिया भर के आंकड़े लाकर लोगों को समझा रहे थे , देखिये एनटीपीसी आई तो गर्मियों में रहने लायक नहीं रहेगा बिलासपुर। लेकिन किसी ने उनकी नहीं मानी, हमने भी नहीं ऩ नेताओं ने न मीडिया ने सामाजिक संगठनों तक ने उनका tejdhupसाथ नहीं दिया,आज सब भुगत रहे हैं। जो बिलासपुर अभी हाल के बरसों तक रायपुर की तुलना में ठण्डा या कम गर्म माना जाता था। अब गर्मियों में उसका तापमान, कभी सर्वाधिक गर्म कहाने वाले चांपा और रायगढ को भी पीछे छोडने लगा है। पहले गर्मियों में अधिकतम बयांलिस, तिरालिस तक रहने वाला यहां का टेम्पे्रचर अब सैंतालिस डिग्री तक छलांग लगाने लगा है। इतने पर भी बस नहीं है, उधर , पामगढ में एशिया का सबसे बडा विद्युत संयंत्र पूरी ताकत से आग उगलने की तैयारी में है। उसके बाद क्या होगा, कहां तक जायेगा क्षेत्र का तापमान, शासन-प्रशासन के पास इससे निपटने या लोगों को राहत देने की है कोई योजना है ?

                         garm_haiशासन के अधिकारी एक पुराना सड़ा गला तर्क देते हैँ,क्षेत्र में जितने पेड़ काटे जायेंगे उसके दस गुना पेड़ लगाये जायेंगे। पर ये बात ओपन सिक्रेट की तरह सबको पता है कि छत्तीसगढ में पौधारोपण के बाद पौधे हरे नहीं होते, वरन जो अधिकारी-कर्मचारी पौधारोपण के काम में तैनात रहा करते हैं ,उनके घरों और तिजौरियों में जरूर सावन सी हरियाली आ जाती है य़हां वृक्षारोपण का काम हरियाली फैलाने और पर्यावरण की रक्षा करने की बजाय वन विभाग के लूप लाईन में पडे अफसरों को हरा भरा करने का अनूठा प्रोजेक्ट भर बन कर रह गया है ऱहा सवाल अब क्या होगा बिलासपुर और इस जिले की जनता का तो वह अभी तो भुगत भर रही है। आगे आने वाले दिनों में उसे और अधिक भुगतने के साथ ही झुलसना भी पड़ेगा। आखिरकार सभी को समान रूप से ठण्डी छांह के साथ ही शुध्द पर्यावरण देने वाले लाखों ममतामयी पौधों की हत्या करने और इस हत्याकाण्ड को देखकर भी चुप रहने वाले हमसरीखे अपराधियों को हर साल अपे्रल से सितम्बर तक पूरे सात माह, गर्म तवे पर बैठने की सजा मिलनी ही चाहिये। आमीन् !

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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