बिलासपुर– श्रीकांत वर्मा मार्ग स्थित मैदान में भक्तों ने रामायण महिमा का आनंद उठाया। हजारों की संख्या में आज भक्तों ने केवट-राम और महाबली हनुमान की कथा का श्रवण किया। इस मौके पर संत चिन्मयानंद स्वामी ने हनुमान की महिमा का जीवन्त चित्रण किया। साथ केवट के भक्ति भाव का बखान भी किया। स्वामी चिन्मयानंद की वाणी से कथा सुनकर भक्त भाव विभोर हो गये।
उपस्थित लोगों को रामायण महिमा का रसपान कराते हुए स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि महाबली हनुमान भगवान को अपने कंधे पर धारण किया। यह उनकी भक्ति भाव की पराकाष्ठा है। स्वामी जी ने कहा कि इस बात को हनुमान भी जानते थे कि भगवान राम की कृपा से ही कंधे पर उन्हे उठाना संभव हुआ है। अन्यथा भगवान और लक्ष्मण को कंधे पर सवार करने की हिम्मत किसी के पास नहीं है। चिन्मयानंद ने कहा कि जो खुद दुनिया का भार अपने कंधे पर रखा हो उसका भार एक भक्त वानर कैसे उठा सकता है। लेकिन यदि भगवान की जिस कृपा हो जाए वह सब कुछ कर सकता है। हनुमान ने भी वही किया। लंका दहन से लेकर आयोध्या तक हनुमान की कथा कीर्ति जग जाहिर है। जिस पर भगवान प्रसन्न होते हैं। उन्हें अपने दिल में बैठा कर रखते हैं। हनुमान को यही स्थान हासिल है। चिन्मयानंद ने कहा कि भगवान अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं। जिसने उन्हें जिस रूप में चाहा भगवान उसी रूप और भाव के साथ मिलते हैं। उन्होने कहा कि भव पार करने के लिए भगवान का नाम ही काफी है।
केवट संवाद पर प्रकाश डालते हुए स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि केवट को भली भांति मालूम था कि दशरथ नंदन कोई और नहीं साक्षात परमात्मा हैं। यही मौका है प्रभु के चरण वंदन का। वह भाग्यशाली है कि भगवान उसके द्वार पर खुद चलकर दर्शन देने पहुंचे। चिन्मयानंद जी ने कहा कि केवट ने बडी ही चतुरता से भगवान के पांव को पखार लिया। किराया भी नहीं लिया। वही चूणामणि हनुमान लेकर लंका गए। माता सीता की जानकारी मिली। यह सब प्रभु की माया थी।
इस मौके पर भक्तो का विशाल समूह पंडाल में उपस्थित नजर आया। सभी ने स्वामी चिन्मयानंद के मुखारबिन्द से भगवान राम की कथा सजीव रसपान किया।