रेत का खेल..नहीं मिला जेसीबी..प्रशासनिक तालमेल का अभाव

BHASKAR MISHRA
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IMG_20160202_104911 बिलासपुर–पिछले सप्ताह कलेक्टर के आदेश पर अरपा तट की अवैध रेत उत्खनन करने वाले रेत माफियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई। बीस से अधिक रेत परिवहन करते हुए गाड़ियां पकड़ी गय़ीं। खनिज विभाग को डेढ़ लाख से अधिक राजस्व का मुनाफा हुआ है। आश्चर्य की बात है कि धरपकड़ में एक भी जेसीबी पकड़ में नहीं आयी है। जाहिर सी बात है कि रेतमाफियों को खनिज विभाग के अधिकारियों ने पहले ही किसी प्रकार की कार्रवाई को लेकर इतला कर दिया था। बहरहाल खनिज विभाग के अधिकारी ऐसे किसी आरोप को एक सिरे से नकार रहे हैं। साथ ही राजस्व अमले पर कार्रवाई नहीं करने की बात कह रहे हैं।

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                                 ताबड़तोड़ कार्रवाई में खनिज विभाग ने कलेक्टर अन्बलगन पी.के निर्देश पर अवैध रेत उत्खनन के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। कार्रवाई के दौरान बीस से अधिकर गाड़ियां को जब्त किया है। जिससे खनिज विभाग को डेढ़ लाख से अधिक का राजस्व मिलना तय है। आश्चर्य की बात है कि इस कार्रवाई के दौरान विभाग को एक भी जेसीबी नजर नहीं आया। जाहिर सी बात है कि खनिज विभाग के कुछ लोगों ने रेतमाफियों को पहले से ही कार्रवाई की जानकारी शेयर कर लिया होगा। अन्यथा जेसीबी की रफ्तार ट्रैक्टर से अधिक नहीं होती। मतलब जेसीबी को रेतमाफियों ने भूमिगत कर दिया।IMG_20160207_112534

            खनिज अधिकारी राजेश मालवे ने बताया कि कार्रवाई के दौरान जो भी गलत पाए गये उन पर कार्रवाई की गयी है। हमें जेसीबी कहीं दिखाई नहीं दिया है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि खनिज विभाग का काम मॉनिटरिंग करना है कार्रवाई राजस्व विभाग को करना चाहिए। उनकी सक्रियता अभी तक नहीं दिखाई दी है।

                  सीजी वाल की टीम ने कार्रवाई को लेकर जब एसडीएम क्यू ए.खान से चर्चा की तो उन्होंने दो टूक कहा कि अभी तक हमें खनिज विभाग से किसी प्रकार की ना तो जानकारी दी गयी है। और ना ही कार्रवाई के बारे में बताया गया है। एसडीएम खान ने बताया कि हमने कई बार बैठक के दौरान कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी।लेकिन उपलब्ध नहीं कराया गया। इसलिए इस पर हम कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है।

                            शासन के आदेशानुसार जिला प्रशासन को यह अधिकार है कि अवैध उत्खनन में स्थानीय प्रतिनिधि मतलब ग्राम प्रमुख शामिल होना पाया जाता है तो उसकी पंचायती को खत्म किया जाए। लेकिन बिलासपुर में अभी तक इस प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि सभी लोग जानते हैं कि ग्राम सरपंच के इजाजत से ही रेत का उत्खनन किया जाता है। उसकी रायल्टी कटती है। फिर भी आज तक किसी ग्राम पंचायत के प्रमुख पर कार्रवाई नहीं की गयी। ना ही रेतउत्खनन को लेकर जिला प्रशासन ने उनसे पूछा ही है।

 आज तक नहीं मिला प्रतिवेदन     

IMG_20160122_161619   यह सच है कि  खनिज विभाग की छापामार कार्रवाई या किसी प्रकार अवैध गौड़ खनिज उत्खनन में राजस्व विभाग को कार्रवाई का अधिकारी है। लेकिन हमें खनिज विभाग सूचना तो दे। अभी तक हमें एक भी कार्रवाई की सूचना नहीं है। यदि खनिज विभाग दोषियों के खिलाफ प्रतिवेदन देता है तो कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यदि कोई लिखित और प्रमाण के साथ अवैध उत्खनन या फिर किसी प्रकार कि अवैध कार्रवाई की शिकायत सरपंच के खिलाफ शिकायत करता है। नियमानृसार कार्रवाई होगी। जरूरत पड़ने पर उसे पद से हटाया भी जा सकता है। लेकिन हम तक अभी तक ना तो खनिज विभाग ने बताया है और ना ही किसी अन्य के द्वारा शिकायत मिली है। इसलिए हम इस मामले में कुछ भी नहीं कह सकते हैं।

                                                                                                               क्यूं.ए.खान..एसडीएम..बिलासपुर

                              दो साल तत्कालीन सचिव ने प्रत्येक जिला स्तर पर एक आदेश जारी किया था कि ग्राम स्तर पर एक समिति का गठन किया जाए। समिति  रेत उत्खनन से लेकर अन्य खनिजों की अवैध उत्खनन की गतिविधियों की जानकारी नोडल को देगा। ग्राम स्तर पर समिति में सरपंच,सचिव,पटवारी,जनपद सदस्य और तहसीलदार शामिल होंगे। जनपद स्तर और जिला स्तर पर भी समिति बनाने का आदेश था। लेकिन आज तक उस आदेश का पालन नहीं किया गया। यदि ऐसा होता तो निश्चित तौर पर अवैध रेत उत्खनन पर काफी हट तक लगाम लगाया जा सकता था। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने अदेश पर अमल नहीं किया।जाहिर सी बात है कि इससे पंचायत प्रतिनिधियों और अधिकारियों का लेन-देन प्रभावित होता।

                बहरहाल रेतमाफियों के खिलाफ सीजी वाल के पहल पर कार्रवाई हुई है। लेकिन रेतमाफियों की मिलीभगत से बड़ी मछलियां अभी भी पर्दे से नदारद हैं। जेसीबी का नहीं पकड़ा जाना फिलहाल तो यही साबित करता है। जबकि हर घाट से अवैध रेत उत्खनन जेसीबी मशीन से ही होता है। आदेश का अमल नहीं होना जाहिर करता है कि प्रशासन की जाल फटी है। जिससे रेत माफिया आसानी से निकलने में कामयाब हो जाते हैं।

 

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