अरपा–रेत माफियों के शिकंजे में खनिज विभाग

BHASKAR MISHRA
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IMG_20160202_104908बिलासपुर—हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया सभी देशों में नदी को विशेष महत्व हासिल है। ऐसा हो भी क्यों ना…मानव सभ्यता का विकास भी नदी के किनारे हुआ है। नवजात बच्चों के जीवन में जो स्थान मां का होता है। वही स्थान मानव सभ्यता में नदी को हासिल है। दुर्भाग्य है कि बिलासपुर की अरपा को वह सुख आज तक नहीं मिला। सरकार की तमाम चौकीदारी के बाद भी रेतमाफिया अरपा का चीरहरण करने में संकोच नहीं कर रहे हैं। बिलासपुर में अरपा के तट पर करीब 24 या इससे अधिक रेतघाट हैं। सरकार ने अभी नियम कानून की दुहाई देकर केवल 8 घाट से रेत उत्खन का अधिकार पंचायतों को दिया है। मजेदार बात तो यह है कि बचे 16 ही नहीं बल्कि 24 से अधिक जगहों पर अरपा को रौंदा जा रहा है। अधिकारी मौन और रेतमाफिया मदमस्त हैं।

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                 नदी का मानव जीवन में अहम् भूमिका है। हमारी तमाम जरूरतों को पूरा करती है। नदी पर सरकार का नियंत्रण होता है। लेकिन बिलासपुर के अरपा नदी पर केवल रेत माफियों की हुकूमत चलती है। बिना अनुमति अंधाधुंध रेत उत्खनन हो रहा है। लोग चिंतित हैं कि अरपा बांझ हो रही है। अरपा की दुर्गति के लिए जिला प्रशासन समेत राजस्व,पर्यावरण और खनिज विभाग दोषी है। बीच शहर में अधिकारियों के नाक के नीचे अरपा से रेत का अवैध उत्खनन धड़ल्ले से चल रहा है।

             अरपा तट पर कुल 24 रेतघाट शासन ने स्वीकृत किये हैं। खनिज विभाग के अनुसार 8 घाट से पंचायत को रेत उत्खनन की अनुमति दी गयी है। सच्चाई के इसके विपरीत है। दरअसल अरपा के सभी 24 घाटों या उससे अधिक स्थानों पर ताबड़तोड़ उत्खनन हो रहा है। सुबह से लेकर शाम तक उत्खनन हो रहा है।

                         शासन के नियमानुसार अरपा तट पर बसे गांवों को रेत उत्खनन का जिम्मा दिया गया है। खनिज विभाग गांव के सरपंच को रायल्टी रसीद देता है। लेकिन रेत से मिले आय का हिसाब किताब करने का अधिकार उसे नहीं है। खनिज विभाग केवल मानिटरिंग करता है। रेतघाट से अलग जगह उत्खनन नहीं किया जाए। नियम के अनुसार नहीं होने पर रेतमाफियों के खिलाफ अपाराधिक मामला दर्ज किया जाता है। साल में बहुत दबाव के बाद जिला प्रशासन और खनिज अधिकारी कार्रवाई का नाटक करते हुए दिखाई दे जाते हैं। बाकि साल भर रेतमाफिया अपना खेल खेलते हैं।IMG-20160203-WA0015

         मजेदार बात तो यह है कि खनिज अधिकारियों को भली भांति पता है कि रेत का उत्खनन हो रहा है। लेकिन उन्हें अवैध रेत से मिले नोट गिनने से फुर्सत नहीं है। ऐसे में भला रेतमाफियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों करे।

               खनिज विभाग के अनुसार कोनी स्थित रेतघाट एक, दो और तीन से रेत उत्खनन की अनुमति नहीं दी गयी है। सेन्दरी दो और तीन के लिए रायल्टी पर्ची जारी नहीं किया गया है। कछार स्थित रेतघाट एक और दो में रेत उत्खनन का अधिकारी किसी को हासिल नहीं है। यदि यहां कोई रेत उत्खनन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

                   सीजी वाल ने कोनी रेतघाट एक,दो,तीन,सेन्दरी रेतघाट दो और तीन के अलावा कछार रेत घाट एक और दो से खनिज विभाग को फोन कर बताया कि यहां रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। बावजूद इसके कोई अधिकारी मौके पर पहुंचना मुनासिब नहीं समझा।

               मजेदार बात तो यह है कि रेत उत्खनन में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कोनी सेन्दरी और कछार में रेत माफिया अतुल सिंह के आदमी जेसीबी से रेत उत्खनन कर रहे हैं। अतुल सिंह ने फोन पर बताया कि उन्हें खनिज विभाग से रेत उत्खनन का अधिकार मिला है। वहीं खनिज अधिकारी इस बात से साफ इंकार करते हैं।

               अतुल सिंह का तीन गांव में सात जगह अवैध रेत उत्खनन का धंधा चल रहा है। वह भी अवैध। सभी जगह जेसीबी से काम चल रहा है। एक दिन में अतुल सिंह अपने आदमियों से लगभग सत्तर से अस्सी हाइवा रेत का उत्खनन करवाता है। वह भी दिन दहाड़े लगातार 16 घण्टे,अधिकारियों के नाक के नीचे।

         IMG_20160202_104911बताया जा रहा है कि अतुल सिंह का खनिज विभाग में काफी दबदबा है। अवैध रेत उत्खनन होने के बाद भी अधिकारी कुछ करने से डरते हैं। जिसका फायदा अतुल सिंह भरपूर उठाता है।

             एक सरपंच ने बताया कि सभी लोग जानते हैं कि सेंदरी कोनी और कछार में अतुल सिंह बिना परमिशन के रेत उत्खनन करवा रहा है। बावजूद इसके अधिकारी कुछ नहीं कहते हैं। दिखावे की कार्रवाई कभी-कभी जरूर कर देते हैं। दूसरे दिन फिर वही धंधा शुरू हो जाता है। उसने बताया कि रेत का पैसा नीचे से लेकर ऊपर तक जाता है। ऐसे में कोई कार्रवाई क्यों करे।

           सरपंच ने बताया कि एक ट्रॉली ट्रैक्टर के लिए साठ रूपए,ट्रक के लिए एक सौ बीस रूपए और हाइवा के लिए 250 रूपए की रायल्टी कटती है। लेकिन बाजार में हाइवा से भरे रेत की कीमत 3500 रूपए होती है। जाहिर सी बात है कि इस 3500 रूपए में बड़े अधिकारियों का भी कमीशन जुड़ा होता है। कमीशन में राजस्व, पर्यावरण और खनिज विभाग के अधिकारी बराबर के भागीदार हैं। ऐसे में कौन चाहेगा कि अतुल सिंह का अवैध रेत का कारोबार बंद हो जाए।

जानकारी नहीं

विभाग से अभी तक केवल आठ रेतघाट को रेत उत्खनन के लिए पर्ची दी गयी है। इसके अलावा किसी भी घाट में रेत उत्खनन की इजाजत नहीं दी गयी है। यदि अन्य जगहों पर रेत का अवैध उत्खनन होता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मालवे..जिला खनिज अधिकारी बिलासपुर

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