महिला की उन्नति में भी पुरूष का हाथ…हर्षिता

BHASKAR MISHRA
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HARSHITA9बिलासपुर— राज्य महिला आयोग अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय का मानना है कि मुझे राजनीति नहीं संस्कार विरासत मिला हैं। राजनीति में बहुत देर से आयी। यदि विरासत की बात होती तो साल 2000 में ही राजनीति में आ जाती। क्षमता देखने के बाद मुझे महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। हमेशा की तरह महिलाओं के लिए कुछ बेहतर कर सकूं मेरा प्रयास रहेगा।सौभाग्यशाली हूं कि मेरी सफलता के पीछे पुरूष का हाथ है।

                                             मेरी राजनैतिक कैरियर में पिता,पिता सामान श्वसुर और पति का बहुत बड़ा योगदान है। राजनीति, जनसेवा का बहुत बड़ा मंच है। मैं स्वर्गीय श्री मनहरण लाल पाण्डेय जी की सेवा भावना, नीति, न्याय और सिद्धान्तों को आगे तक ले जाने का प्रयास करती रहूंगी। चाहे मेरे पास पद हो या ना हो। महिला आयोग के पास पर्याप्त अधिकार हैं समय के साथ और भी शक्तियां मिंलेगी।

                   हर्षिता पाण्डेय ने बताया कि पिताजी जब सक्रिय राजनीति में थे तो मैं पढ़ाई के बाद नौकरी करने लगी। राजनीति में आयी तो 12 साल का अंतराल हो चुका था। पिताजी ने मुझ पर अपने विचारों को कभी नहीं थोपा । बाद में उन्होंने ही महसूस किया कि मुझे राजनीति में आना चाहिए। नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गयी। लेकिन आगे बढ़ने का रास्ता मुझे ही बनाना पड़ा। पिताजी भी यही चाहते थे। ससुराल से भी मुझे भरपूर समर्थन मिला। पति श्वसुर और अन्य लोगों के मार्गदर्शन ने लोगों की सेवाओं का अवसर दिया। मुझे अपने परिवार पर गर्व है।HARSHITA4

     हर्षिता पाण्डेय ने बताया कि मैं महात्वाकांक्षी कभी नहीं रही। जो काम मिला..ईमानदारी से किया। मैने विधायक बनने का कभी ख्वाब नहीं पाला। मंत्री बनने का सवाल ही नहीं उठता। बस इतना जानती हूं संगठन ने जिस काम के लिए मुझ पर विश्वास किया है उसे पूरा अंजाम तक पहुंचाऊ। युवा मोर्चा से लेकर महिला आयोग सदस्य रहते हुए मैने ईमानदारी के साथ काम किया। पसान की प्रभारी रहते हुए मैने अपनी जिम्मेदारियों को निभाया। अब सरकार ने महिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। आगे जो भी काम सौंपा जाएगा उस पर फोकस रहूंगी।HARSHAITA8

           सीजी वाल से एक मुलाकात में महिला आयोग अध्यक्ष ने बताया कि राजनीति का अपराधीकरण हुआ है…मैं इसे नहीं मानती हूं। लोगों को ऐसा लगता है मैन हर जगह महसूस किया है। काफी खतरनाक सोच है। हां समय के साथ आचार,विचार,रहन,सहन में परिवर्तन आया है। जब मैं स्कूलों में जाकर बच्चों से सवाल करती हूं कि कौन क्या बनना चाहता है। नेता छोड़ सभी लोग देश के सारे पदों को गिनवा देते हैं। सुनकर दुख होता है कि आखिर बच्चे नेता क्यों नहीं बनना चाहते। नेता का अर्थ सेवा भाव और नेतृत्व से जुड़ा है। यदि यही नहीं रहेगा तो देश को चलाएगा कौन? हर्षिता ने बताया कि राजनेता पॉलिसी मेकर होते हैं। पॉलिसी देश के सभी लोगों के लिए होती है। चाहे वह डॉक्टर हो या इंजीनियर। इसलिए लोगों को नेतृत्व के लिए आगे आना चाहिए।

                     यह सच है कि अन्य फील्ड की तरह राजनीति में भी संघर्ष है। मुझे भी संघर्ष की गलियों से गुजरना पड़ा है। अभी भी गुजर रही हूं।HARSHITA

         सीजी वाल को हर्षिता पाण्डेय़ ने बताया कि राजनीति को अंगूठा छाप शिक्षित लोगों से कम पढ़े लिखे साक्षर लोगों से खतरा है। राजनीति को बदनाम करने वालों में बहुत ज्यादा पढ़े लिखों का योगदान है। हर्षिता ने बताया कि आदिवासी अंचल या फिर वह क्षेत्र जहां बहुत ज्यादा पढ़े लिखे लोग नहीं है वहां लिंगानुपात उत्साहित करने वाला है। दंतेवाड़ा या अन्य जिलों का उदाहरण हम देख सकते हैं। जब शिक्षित क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो लिंगानुपात तेजी से घटता हुआ पाते हैं। समझा जा सकता है कि राजनीति को किसने बदनाम या गंदा किया। हम पढ़े लिखे होने के बाद भी शिक्षा के महत्व को नहीं समझ पाए है। बिना पढ़े लिखे और साक्षर लोग तथाक़थित शिक्षित समाज से ज्यादा मानवीय हैं। इसलिए राजनीति में कम पढ़े लिखे होने से कहीं ज्यादा महत्व अच्छी सोच रखने वालो की है। देश और समाज के लिए जो प्रगति का रास्ता दिखाए वह नेता है।HARSHITA1

                     क्या सिर्फ महिला ही पुरूष से प्रताड़ित या परेशान परेशान है के सवाल पर हर्षिता ने बताया कि बात पुरूष या महिला की नहीं है। यदि पुरूष के विकास में महिला की भूमिका होती है तो महिलाओं की प्रगति में पुरूष का योगदान होता है। बावजूद इसके अभी भी महिलाओं के साथ दोयम स्तर का व्यवहार किया जाता है। चाहे वह घर की चाहरदिवारी में हो या सार्वजनिक स्थानों में लोग अभी भी महिलाओं के लेकर बहुत ज्यादा दकियानुसी हैं। यह धीरे-धीरे कम हो रहा है। पिछड़े क्षेत्रों में महिला आयोग की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। मैं महिला हूं इसलिए समझ सकती हूं कि महिलाओं को क्या परेशानी होती हैं।

                     राजनीति और परिवार के बीच सामन्जस्य कैसे बैठाती है के सवाल पर हर्षिता ने कहा कि यदि मुझे ससुराल से माता पिता और पति से सहयोग नहीं मिलता तो कुछ भी नहीं कर पाती। HARSHAITA6

               विधायक की दावेदार थीं आपको आयोग का अध्यक्ष बना दिया के सवाल पर हर्षिता ने कहा कि मुझे सेवा का अवसर मिलना चाहिए विधायक बनूं या ना बनूं कोई महत्व नहीं रखता। विधानसभा चुनाव लड़ने का मैने कभी दावा ही नहीं किया। लेकिन पिताजी के क्षेत्र में गहन संपर्क हमेशा रहा। जाहिर सी बात है तखतपुर विधानसभा में मेरा घर है। बचपन बीता है। मोर्चा और महिला आयोग का सदस्य रहते हुए लोगों से हमेशा संपर्क रहा। इसका अर्थ विधानसभा चुनाव के लिए दावेदारी कतई नहीं थी। इसके पीछे की मूल भावना मूझे दी गयी जिम्मेदारी थी। जिसका मैने निर्वहन किया।

         हर्षिता ने बताया कि संगठन का जो भी आदेश होगा मुझे वहीं करना है। जोर देते हुए कहा कि मुझे विधायक से कहीं ज्यादा बड़ा क्षेत्र मिला है। प्रदेश की सेवा करने का मौका मिला है। यदि मैं कुछ कर सकूं तो मेरे पिता को सच्ची श्रद्धांजली और जनसेवा है। उन्होने बताया कि अन्य बिलासपुरवासियों की तरह मेरा भी अपने जिले,जन्मस्थान और ससुराल होने के नाते बिलासपुर से बेहद प्यार है। मुझे मेरे भाई बहनों ने बराबर सहयोग दिया है। आज जो कुछ भी हूं बिलासपुर के दम पर हूं। हमारा शहर तेजी से बढ़ रहा है। विकास कर रहा है। प्रगति के रोज नए आयाम तय कर रहा है। मुझे बिलासपुरवासी होने का गर्व है। यहीं मेरी शिक्षा दीक्षा हुई। जाहिर सी बात है कि बिलासपुर मेरी धड़कन है। इसके बिना मेरा कोई वजूद नहीं है।

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