बिलासपुर। नाट्य परम्परा हमारी संस्कृति है। नाटक के माध्यम से सामाजिक विसंगति का मंचन कर सकारात्मक संदेश समाज तक पहुॅचाया जा सकता है। नगरीय प्रशासन,उद्योग एवं वाणिज्यिकर मंत्री श्री अमर अग्रवाल ने 2 जनवरी 2016 को देवकीनंदन दीक्षित सभा भवन में आदर्श कला मंदिर बिलासपुर द्वारा मंचित भुईंया के महतारी नाट्क के उद्घाटन के अवसर पर उक्त बातंे कही। नगरीय प्रशासन मंत्री श्री अग्रवाल ने कहा कि पहले ग्रामों में नाटक ही मनोरंजन और कला प्रस्तुती के साधन हुआ करते थे। ग्रामीण बड़े चाव से नाट्क देखने जाते थे। इलेक्ट्राॅनिक प्रचार माध्यमों दूरदर्शन के प्रसारण से अब यह विधा भी कम देखा जाता है। गाॅंवों में अभी भी प्रचार प्रसार के लिए नाटको का मंचन ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है। विभिन्न सामाजिक जागरूकता के अभियान नाटको के माध्यम से प्रस्तुत किए जाते है। नाटक एक ऐसी विधा है जिसमें कई कला विधा जैसे गीत-संगीत,अभिनय एकसाथ प्रस्तुत होते है। ऐसे समय में आदर्श कला मंदिर जैसे 40 वर्ष पुरानी संस्था द्वारा इस परम्परा को आगे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। वह सराहनीय है। हम सब मिलकर इस दिशा में प्रयत्न कर सकते है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सी.वी.रमन विश्वविद्यालय के कुलपति आर.पी.दुबे ने सम्बोधित करते हुए कहा कि नाट्य विधा को पुर्नस्थापित करने के लिए हम सबका सहयोग आवश्यक है। उन्होने इस दिशा में कार्य कर रहे आदर्श कला मंदिर बिलासपुर की सराहना की। उन्होने उनके द्वारा प्रस्तुत छत्तीसगढ़ी भाषा के नाटको और उसके विषयवस्तु की प्रशंसा की। इस अवसर पर संस्था के निर्देशक श्री भरत वेद ने संस्था के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अभी तक आदर्श कला मंदिर द्वारा 96 नाटको का प्रदर्शन एवं एक टेलीफिल्म का भी प्रदर्शन किया जा चुका है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षाविद डा. विनय पाठक उपस्थित थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दर्शक एवं गणमाननीय नागरिक उपस्थित थे।