बुलंद इरादों ने हीरामणि को बना दिया हीरा….

Chief Editor
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बिलासपुर। शारीरिक निःशक्तता किसी भी व्यक्ति के जीवन में सफलता के आड़े नहीं आती। निःशक्त व्यक्ति भी अपनी बौद्धिक क्षमता और बुलंद इरादों से उन उॅचाइयों को हासिल कर लेता है जो सामान्य व्यक्ति भी नहीं कर पाता।

                        जाॅंजगीर जिले के एक छोटे से गाॅंव खोखरा निवासी हीरामणि देवाॅगन जो बचपन से ही निःशक्त है उसने लगातार शिक्षा प्रशिक्षण और मेहनत से अपने जीवन में वह मुकाम हासिल कर लिया है। जिसे वह पाना चाहता था। आज उसके पास खुद का मकान शासकीय नौकरी और कंधों से कंधा मिला कर चलने वाली सहधर्मिणी है। हीरामणि ने अपने गाॅव खोखरा में हायर सेकण्डरी तक स्कूली शिक्षा प्राप्त की। तत्पश्चात् पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित शासकीय आश्रयदत्त कर्मशाला तिफरा बिलासपुर में प्रिंटिग, स्क्रीन प्रिंटिग, सिलाईं, हिन्दी मुद्रलेखन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के साथ-साथ उसने अपनी सतत् शिक्षा पर भी ध्यान लगाया। उसने सबसे पहले वर्ष 1998-99 में निःशक्तजनों के लिए संचालित आश्रयदत्त कर्मशाला तिफरा बिलासपुर में एक वर्षीय व्यवसायिक प्रशिक्षण हिन्दी मुद्रलेखन ट्रेड  में प्रवेश लिया। उसने उसी वर्ष शा.कला एवं विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय जरहाभाठा में प्रायवेट परीक्षार्थी के रूप में परीक्षा दी। इस तरह उसने बी.ए. तक की शिक्षा बिलासपुर में प्राप्त की। इसके बाद उसने पुनः आश्रयदाता कर्मशाला तिफरा में प्रवेश लेकर सन् 2000 में स्क्रीन प्रिटिंग टेªड तथा 2001 में सिलाई एवं कढ़ाई का प्रशिक्षण लिया। जिससे वह आत्मनिर्भर बनकर भरण-पोषण के साथ शिक्षा को आगे बढ़ा सके। कुछ नया और बेहतर करने की चाहत ने उसने मेमर्स मयूर ग्राफिक्स जूनी लाईन बिलासपुर में स्क्रीन हेल्पर के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया। प्रिंटिंग प्रेस एवं स्क्रीन प्रिंटिंग प्रशिक्षण ने उसे हेल्पर से प्रबंधक बना दिया।

                          प्रेस में कार्य करते हुए वह निरन्तर पढ़ाई करता रहा। उसने समय निकालकर डिप्लोमा इन वेब एप्लीकेशन एण्ड प्रोग्रामिंग  एवं पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन  की पढ़ाई भी पूरी की। इस दौरान प्रबंधकीय कार्य करते हुए उसने कम्प्यूटर में कम्पोजिंग एवं डिजाइनिंग का कार्य किया। प्रगति के नये आयाम छूते हुए उसने सन् 2005 में खुद की दुकान खोली जो मे. ग्राफिक्स कम्प्यूटर एण्ड प्रिंटर्स के नाम से करबला बिलासपुर में संचालित है। उसने इस तरह अपनी कमाई से वर्ष 2009 में खुद का मकान बनवाया। माह जनवरी 2009 को उसे स्वास्थ्य विभाग के तहत् राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में डाटा एन्ट्री आपरेटर के पद पर नौकरी मिली। सेवा जारी रखने के साथ-साथ उच्च पद एवं उच्च वेतनमान के लिए वह आवेदन करता रहा। उसकी लगन रंग लाई और उसे विद्युत विभाग बिलासपुर के अधीनस्थ विद्युत निरीक्षकालय में नियमित पद पर डाटा एन्ट्री आपरेटर के पद पर नौकरी मिली। नौकरी के कारण वह अपने दुकान पर कम ध्यान दे पाता था, इसलिए उसकी सहधर्मिणी ने यह जवाबदारी अपने हाथों ले ली और आज वह मेमर्स पार्थ ग्राफिक्स शाॅप की प्रोपाइटर हैं। हीरामणि आॅफिस ड्यूटी के बाद शाॅप में कम्प्यूटर डिजाईन कार्य में पत्नि का हाथ बटाते हैं। इस तरह प्रगति का सोपान तय करता हुआ वह आज अपने जीवन में सफल व्यक्ति है।

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