मेक इन इंडियाः क्या भारत तैयार है…शुक्ला

BHASKAR MISHRA
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IMG_20151207_175937बिलासपुर— सिलीकान वैली अमेरिका से बिलासपुर प्रवास पर पहुंचे टाई के चेयरमैन डॉ.व्यंकटेश शुक्ला ईस्ट पार्क में पत्रकारों से रूबरू हुए। पत्रकारों से उन्होंने जीवन से जुड़े तमाम अनछुए पहलुओं को उजागर करते हुए अकलतरा से कैलिफोर्नियां की यात्रा को साझा किया। डा.व्यंकटेश ने बताया कि मेक इन इंडिया का अमेरिका में बहुत अवसर के रूप में देखा जा रहा है। प्रश्न उठता है कि क्या इंडिया इस अवसर का फायदा उठाने को तैयार है। उन्होने कहा कि समाजवाद ने भारत को बहुत नुकसान पहुंचाया। यदि मेक इन डंडिया या फिर ग्लोबलाइजेशन के महत्व को पहले समझ लिया गया तो आज हिन्दुस्तान की हैसियत ही कुछ और होती।

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                              अकलतरा बिलासपुर में जन्मे  सिलीकान वैली के टाई चेयरमैन डॉ.व्यंकटेश शुक्ला बिलासपुर प्रवास के दौरान आज ईस्ट पार्क हॉटल में पत्रकारों से रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने बहुत ही बेवाकी साथ खबरनवीशों के सवालों का जवाब दिया। उन्होने बताया कि मैं अकलतरा में हिन्दी माध्यम का छात्र हुआ करता था। भोपाल के रास्ते अमेरिका पहुंचा।  मेरी शादी इसी शर्त पर हुई कि मैं हिन्दुस्तान में ही रहुंगा। लेकिन नियत को कुछ और ही मंजूर था। राजीव गांधी जी के कार्यकाल में मुझे कम्प्यूटर क्रांति का हिस्सा बनने का अवसर मिला। लेकिन यहां की व्यूरोक्रेसी मुझे पसंद नहीं आयी। दूसरे ही दिन मुझे सलेम से अमेरिका लौटना पड़ा।

                                      डॉ व्यंकटेश ने बताया कि समाजवाद ने भारत को पीछे धकेला है। ग्लोबलाइजेशन का थोड़ा बहुत फायदा मिला जरूर । लेकिन चीन और अन्य देशों को जो हासिल हुआ उसकी तुलना में भारत को बहुत अधिक लाभ नहीं मिला। शुक्ला ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि समय के प्रति लापरवाही और व्यूरोक्रेसी ने भारत की प्रगति को बहुत प्रभावित किया है। एक सवाल के जवाब में बताया कि बेशक भारत अपने को गरीब देश मानता हो लेकिन यहां कि धरती उच्च मेधावों और संसाधनों की भरी पड़ी है। नीतियों का सही क्रियान्यवयन नहीं हुआ। शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा नहीं है। बावजूद इसके अमेरिका में भारतीय मेधा का बहुत सम्मान है।

शुक्ला ने बताया कि साल 90 के बाद भारतीय प्रतिभा के पलायन में कमी आई है। शिक्षा के स्तर में लगातार सुधार हुआ है। अब अमेरिका में भारतीयों की कमी कुछ ज्यादा महसूस होती है। अमेरिकियों का मानना है कि अब भारत में ही बडी कंपनियां प्रतिभाओं को लपक लेती हैं।  यहां बड़ी बड़ी कंपनियां आ चुकी हैं। प्रतिभाओं का उपयोग होने लगा है। शुक्ला ने बताया कि इस समय दुनिया में भारत को बहुत सम्मान हासिल है। लोग भारत आने को आतुर हैं। प्रश्न उठता है कि क्या भारत स्वागत के लिए तैयार है।

                                मेक इन इंडिया को बेहतर प्रयास बताते हुए शुक्ला ने कहा कि दुनिया भारत में अपार संभावनाएं देख रही है। मैं भी उनमें से एक हूं। उन्होने बताया कि हम लोगों का एक ग्रुप है जो लगातार  गरीब लेकिन मेधावी प्रतिभा को प्रोत्साहित करता है।  आज देश में हमने पिछले 12 सालों में दस हजार से अधिक गरीब लेकिन मेधावी प्रतिभाओं को आगे बढाया है। यह हमारा नैतिक दायित्व है। बाद में यही प्रतिभा डोनेशन एकत्रित कर आर्थिक दौड़ में पीछे छूट गयी प्रतिभाओं को आगे लाने का काम करती हैं। मैने अपने छात्र जीवन में प्रतिभाओं को आर्थिक अभाव में दफन होते देखा है। जिसकी पीड़ा मुझे आज तक है। मैं अपने साथियों के साथ गरीब प्रतिभाओं को सामने लाने का प्रयास लगातार कर रहे हैं। हम लोगों ने अड़तालिस लाख रूपए एकत्रित गरीब प्रतिभाओं की सेवा में लगाया है। यह काम निरंतर जारी है और रहेगा।

                        पत्रकारों से रूबरू होने से पहले डॉ.सी.व्ही.रामन विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने उपस्थित पत्रकारों से व्यंकटेश शुक्ला का परिचय कराया। उन्होने अपने संक्षिप्त उद्बोबन में डॉ.शुक्ला के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह बिलासपुर की उपलब्धि है कि अमेरिका में जब प्रधानमंत्री मोदी सिलिकान वैली का दौरा कर रहे थे। उनके बगल में बैठकर चर्चा करने वाला और कोई नहीं बल्कि बिलासपुर का बेटा था। जिसका नाम डॉ.व्यंकटेश शुक्ला है।

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