अभिव्यक्ति की आजादी सबके लिए…जोगी

BHASKAR MISHRA

ajjeet jogiरायपुर—पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के अनुसार प्रधानमंत्री दुनिया  में संदेश दे रहे हैं कि भारत विश्व का नेतृत्व करने को तैयार है। ऐसी स्थिति में दादरी कांड, लव जेहाद, गाय, स्तरहीन भाषा, असहिष्णुता और साम्प्रदायिक वातावरण प्रधानमंत्री के आर्थिक उदारवाद के माध्यम से निवेश को आकर्षित करने के प्रयास पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। जब भी इस तरह के मौके आते हैं प्रधानमंत्री का मौन रहना या मात्र यह कहकर पल्ला झाड़ लेना कि राष्ट्रपति ने जो इन विषयों पर कहा है वही कहना सरकार का है। जोगी ने कहा कि ऐसा कह कर मोदी जी अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं।

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                  अजीत जोगी ने कहा कि जहां तक प्रश्न राष्ट्रपति महोदय का है, उन्होंने अपने पद की मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रहित में चिन्ता जाहिर कर बता दिया है कि भारत की विशेषता में विविधता, सहिष्णुता, बहुलता और भाईचारा के शास्वत मूल्य रग-रग में है।  इन्हें मिटने नहीं दिया जा सकता है। हमें सांस्कृतिक विविधता को बचाना होगा। जोगी ने कहा कि परस्पर प्रेम कायम रखने की अपील भी राष्ट्रपति ने की है। बावजूद इसके राष्ट्रपति महोदय की यह चिन्ता हमारे लिए नसीहत है। केन्द्र सरकार को भी आत्मसात करते हुए स्वस्थ वातावरण तैयार करने की दिशा में प्रयास शुरू करना चाहिए।

                      जोगी ने कहा कि देश के स्वर्णिम इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि देश के साहित्यकारों, लेखकों, कवियों और फिल्मकारों ने कोई असहिष्णुता मोदी सरकार के क्रियाकलापों से मायूस होकर पुरूस्कार वापस लौटाया  हैं। लेकिन केन्द्र सरकार ने  इसे गंभीरता नहीं लिया। उल्टा इसे कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री के खिलाफ विरोधियों की चाल बताकर पल्ला झाड़ लिया। इतना ही नहीं कतिपय लोगों को लेकर सम्मान वापस करने वालों के विरूद्ध राष्ट्रपति भवन तक मार्च करवा दिया जो कि गलत मानसिकता का परिचायक है।

                          केन्द्र सरकार मुगालते में न रहे, जनता तेजी से भाजपा के चरित्र और चेहरे से परिचित हो रही है। अपने आपको ठगा सा महसूस करने लगी है। मोदी सरकार को भली भांति यह समझना चाहिये कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के तहत देश की प्रत्येक जनता को है न कि भाजपा के चंद लोगों को है।

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