झीरमः औद्योगिक घरानों से नक्सलियों के संबध…चौबे ने किया नेटवर्क ध्वस्त—मुकेश गुप्ता

BHASKAR MISHRA

MUKESH GUPTAबिलासपुर— झीरम काण्ड की सुनवाई चल रही है। गुरूवार को एन्टी करप्शन ब्यूरो प्रमुख मुकेश गुप्ता की सुनवाई हुई। एक दिन पहले आर.के.बिज के बयान का क्रास एक्जामिन हुआ था। मुकेश गुप्ता के बयान पर आज सबकी टकटकी थी। कांग्रेस वकील सुदीप श्रीवास्तव के सवालों को गुप्ता ने जवाब दिया। मुकेश गुप्ता ने बताया कि रेड कॉरिडोर जैसी कोई चीज नहीं है। एन्टी नक्सल अभियान में नक्सलियों के खिलाफ इस प्रकार का शब्द इस्तेमाल किया गया है। गुप्ता ने बताया कि शहीद विनोद चौबे ने नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया था। इसलिए नक्सलियों के टारगेट में थे। मदनवाड़ा मुठभेड़ में नक्सलियों के निशाने पर आ गए। मुठभेड़  में 29 जवान शहीद हुए।

             
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                                            झीरमकाण्ड की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायालय में आज एसीबी प्रमुख मुकेश गुप्ता के बयान का प्रतिपरीक्षण हुआ। कांग्रेस वकील के सवाल पर मुकेश गुप्ता ने बताया कि नक्सलियों की फण्डिंग कहां से होती है। इसकी पुख्ता जानकारी पुलिस को नहीं है। नक्सलियों के बड़े औद्योगिक घरानों से ताल्लुकात हैं। फण्डिंग का यह बहुत बड़ा स्रोत हो सकता है। गुप्ता ने बताया कि उन्हेें नहीं मालूम फण्डिंग के स्रोत क्या हैं। खनिज विभाग से फण्डिंग की बात जब तब सामने आयी है। लेकिन कहना मुश्किल है कि लेवी और अन्य स्रोतों से नक्सलियों को रूपए मिलते हैं।

                                                                      कोर्ट के सामने गुप्ता ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि शहीद विनोद चौबे जाबाज अधिकारी थे। उन्होने नक्सल क्षेत्र में रहते हुए नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को तबाह कर दिया था। राजनांदगांव और दुर्ग में नक्सली जमीन से उखड़ चुके थे। शहीद चौबे नक्सलियों के टारगेट पर थे। मदनवाड़ा मुठभेड़ में 29 जवानों के साथ शहीद हुए।

                                          मुकेश गुप्ता ने बताया कि नक्सलियों की ताकत समय के साथ बढ़ी है। विभिन्न स्रोतों से पुलिस और सरकार को जानकारी है कि उनके पास अत्याधुनिक हथियार और विस्फोटक सामग्री हैं। नक्सलियों ने 2004 से 2008 के बीच स्थानीय लोगों की भर्ती कर दल को मजबूत बनाया है। इसी दौरान एमसीसी और पीपुल्स वार ग्रुप एक होकर मिलिट्री दल बनाया। उनकी ताकत बढ़ने का प्रमुख कारण यह भी है।

                                                              विशेष न्यायालय को गुप्ता ने बताया कि 1992 में बालाघाट में एसपी था। इस दौरान अभियान चलाकर 8 नक्सलियों का एनकाउन्टर किया। बहुत लोगों को गिरफ्तार किया। कई नक्सलियों ने समर्पण भी किया। लगातार अभियान के बाद बालाघाट क्षेत्र में नक्सलियों की कमर टूट गयी।

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