हाईकोर्टःनसबन्दी काण्ड में डॉ. गुप्ता को क्लीन चिट

BHASKAR MISHRA
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high_court_visualबिलासपुर—-छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 2014 नसबंदी कांड में आरोपी बनाए गए डॉ. गुप्ता का नाम चार्जशीट से हटाने को कहा है। कोर्ट ने नसबन्दी के बाद महिलाओं की मौत के लिए डॉक्टर को जिम्मेदार नहीं माना है। हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने कहा है कि जांच या पीएम रिपोर्ट में मौत का कराण संक्रमण को नहीं बताया गया है। इसलिए अमानक दवा के लिए डॉक्टर को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। कोर्ट ने चार्जशीट से डॉक्टर का नाम हटाने का निर्देश दिया है।

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                            हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने नवंबर 2014 में नसबंदी ऑपरेशन में 13 महिलाओं की मौत के मामले में ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर आरके गुप्ता को जिम्मेदार नहीं माना है। कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं की मौत संक्रमण से नहीं हुई है। अमानक दवा के लिए डॉक्टर को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

                    2014 नसबंदी कांड में चकरभाठा पुलिस ने डॉ. आरके गुप्ता के खिलाफ धारा 304 भाग 2 के तहत अपराध दर्ज किया था। इसके बाद डॉक्टर गुप्ता के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायालय में चालान पेश किया। डॉक्टर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर पुलिस की कार्रवाई को चुनौती दी थी। याचिका पर जस्टिस पी. सेम कोशी के कोर्ट ने सुनवाई में कहा कि जांच में महिलाओं की मौत का कारण दवा को बताया गया है। ऑपरेशन के दौरान प्रयोग किए गए उपकरण और स्थान संक्रमित नहीं थे। ऑपरेशन के बाद संक्रमण फैलने से मौत नहीं हुई है।

             कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर दवा के मानक अमानक होने की जांच नहीं कर सकता है। पूर्व में हजारों ऑपरेशन और उनके अनुभव को देखते हुए मौतों के लिए डॉक्टर को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।हाईकोर्ट ने डॉ. गुप्ता पर लगाए गए चार्ज को रद्द करते हुए चार्जशीट से नाम हटाने का निर्देश दिया।

                        मालूम हो कि राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत 8 नवंबर 2014 को तखतपुर विकास खंड के पेंडरी स्थित नेमीचंद जैन अस्पताल में सर्जन डॉ. आरके गुप्ता ने 83 महिलाओं का आपरेशन किया। 10 नवंबर को गौरेला में 28 महिलाओं की भी नसबंदी हुई। महिलाओं को आइब्रूफेन और सिप्रोसीन दवा देकर घर भेज दिया गया। दो दिन बाद ऑपरेशन कराने वाली महिलाओं को उल्टी के साथ बेहोशी की शिकायत हुई। 12 नवंबर को उपचार के लिए बिलासपुर लाते समय बैगा महिला चैतीबाई की रास्ते में ही मौत हो गई।

                        नसबन्दी से प्रभावित अन्य 12 महिलाओं की सिम्स, अपोलो, किम्स और जिला अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। चकरभाठा पुलिस ने प्रारंभिक जांच के दौरान दवा में चूहामार दवाई होने के प्रमाण मिले। पुलिस के अनुसार दवाइयों की फर्जी तरीके से आपूर्ति की गई। दवा आपूर्ति करने वाले रमेश महावर, सुमित महावर, राजेश खरे, मनीष और राकेश खरे समेत डॉ. आरके गुप्ता को आरोपी बनाया था।

                         गौेरेला थाने में चैतीबाई की मौत के मामले में किसी के खिलाफ अब तक नामजद रिपोर्ट नहीं है। चिकित्सकीय दल के खिलाफ एफआईआर जरूर दर्ज है। पुलिस को सवा दो साल बाद भी चिकित्सकीय दल में शामिल लोगों के नाम की जानकारी नहीं है।

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