हमसे का भूल हुई….जो ये सजा….

Shri Mi
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SUNDAY_FILE_SD(संजय दीक्षित)राजभवन ऐसी जगह है, जहां पोस्टेड अफसरों को वहां से निकलने पर कम-से-कम एक क्रीम पोस्टिंग तो मिलती ही है। याद कीजिए, छत्तीसगढ़ बनने के बाद सुशील त्रिवेदी राजभवन में फस्र्ट सिकरेट्री बनें। वहां से वे सिकरेट्री इरीगेशन एन पीएचई बनकर बाहर निकले। उनके बाद आईसीपी केसरी सिकरेट्री बनकरगए। वे भी सिकरेट्री पीडब्लूडी बनकर मंत्रालय लौटे। तीसरे, शैलेष पाठक राजभवन से अपनी इच्छा से दिल्ली चले गए। वरना, उनको भी ठीक-ठीक ही जगह मिली होती। चैथे नम्बर पर अमिताभ जैन राजभवन गए। वे भी सिकरेट्री पीडब्लूडी बनें। पीसी दलेई को देखिए, गए थे पीली बत्ती लगाकर। याने सिकरेट्री बनकर। लौटे लाल बत्ती के साथ। उन्हें राज्य निर्वाचन आयुक्त का तोहफा मिल गया। जवाहर श्रीवास्तव लंबे समय तक राजभवन में रहे। उन्हें रिटायरमेंट के आखिरी दिन प्रिंसिपल सिकरेट्री का प्रमोशन दिया गया। मंत्रालय में जीएडी सिकरेट्री रहे। अभी वे सूचना आयुक्त हैं। एडीसी में भी विवेकानंद, दिपांशु काबरा, ओपी पाल, राहुल शर्मा जैसी लंबी फेहरिश्त है, जो जिलों में एसपी बनकर गए। बहरहाल, जवाहर के बाद सिकरेट्री बनकर राजभवन पहुंचे सुनील कुजूर की किस्मत मानों दगा दे गई। 86 बैच के आईएएस कुजूर राजभवन के अब तक के सबसे सीनियर सिकरेट्री रहे। स्टार और सरकार का सपोर्ट मिल जाता तो कब के एडिशनल चीफ सिकरेट्री बन गए होते। उल्टे, वे राजभवन से हटा दिए गए। सीएम पहुंचे राजभवन। और, वहां से लौटने के दो दिन बाद उनका आर्डर निकल गया। कुजूर के पास अब ये गुनगुनाने के अलावा कोई चारा नहीं, हमसे का भूल हुई….जो ये सजा…..।

एक अफसर, तीन आफिस

सुनील कुजूर के बाद अशोक अग्रवाल को राजभवन का नया सिकरेट्री पोस्ट किया गया है। वे पहले से आबकारी आयुक्त हैं। और इसी विभाग का सचिव भी। अब तीसरा राजभवन हो गया। तीनों के आफिस अलग-अलग हैं। सचिव के रूप में मंत्रालय, आबकारी का आफिस जीई रोड और राजभवन तो है ही। चलिये, अशोक अग्रवाल प्रतिभावान आईएएस हैं। कोरबा, रायगढ़ और राजनांदगांव जैसे तीन अहम जिले के कलेक्टर रहे हैं। रायपुर और दुर्ग के कमिश्नर भी। हालांकि,, एक्साइज में उतना काम होता नहीं। लेकिन, राजभवन में उन्हें टाईम देना पड़ेगा। वो भी तब, जब सरकार ने उन्हें विश्वास के साथ वहां भेजा है।

हरियर छत्तीसगढ़, हरियर आफिसर

सरकार के हरियर छत्तीसगढ़ अभियान से छत्तीसगढ़ कितना हरियर हुआ, इसका नहीं पता मगर ये जरूर है कि वन विभाग के अफसर हरियर होते जा रहे हैं। अपन इस साल की ही बात करते हैं। अभी तक इस अभियान में लगभग 10 करोड़ रुपए के पौधे लगे हैं। 60-70 रुपए के पौधों को 300 से 700 रुपए तक में खरीदा जा रहा है। आंध्र से पौधों की सप्लाई हो रही है। जबकि, दो साल पहले सीएम ने वन विभाग की मीटिंग में दो टूक कहा था कि पौधा दूसरे राज्यों से नहीं आनी चाहिए। मगर शर्म की बात है, देश का तीसरा बड़ा फारेस्ट स्टेट। जहां 44 फीसदी वन हैं। वनकर्मियों का बड़ा अमला। थोक में आईएफएस। वहां दीगर राज्यों से पौधा खरीदना पड़ रहा है। सिर्फ और सिर्फ कमीशनखोरी के लिए। पौधे खरीदी में तो गोलमाल है ही, सरकार के पास ये देखने का कोई सिस्टम भी नहीं है कि कितने पौधे जमीन में लगे और कितने कागजों में। सरकार को यूपी की तरह सेटेलाइट सिस्टम करना चाहिए। यूपी सरकार ने अपने आईएफएस अफसरों को तभी एडिशनल पीसीसीएफ बनाया, जब पौधारोपण के रिजल्ट आए। जबकि, वहां के अफसरों ने छत्तीसगढ़ में एक साथ 11 आईएफएस अफसरों को एडिशनल पीसीसीएफ बनाने का हवाला देकर प्रेशर बनाया था। किन्तु, सरकार टस-से-मस नहीं हुई। अपने यहां भी आईएफएफस के प्रमोशन में ऐसा पैमाना नहीं बनाया जा सकता? जब तक ऐसा नहीं होगा, अफसर हरियर होते रहेंगे। आखिर, पिछले महीने एक बैठक में सीएम भी बोेले ही थे कि छत्तीसगढ़ में वन अफसर बढ़ रहे हैं और वन सिमट रहा है।

नायक का इम्पेनलमेंट

गिरधारी नायक भले ही सूबे के डीजीपी नहीं बन पाए मगर भारत सरकार में वे डीजी इम्पेनल हो गए हैं। 83 बैच के 25 आईपीएस अफसरों में से केंद्र ने 10 का नाम फाइनल किया है। इनमें नायक भी हैं। एमपी से वहां के डीजीपी ऋषि शुक्ला और डीजी रीना मित्रा का नाम है। नायक से पहले विश्वरंजन डीजी इम्पेनल हुए थे। अनिल नवानी और रामनिवास को यह अवसर नहीं मिल पाया।

आईपीएस की लिस्ट

गरियाबंद एसपी अमित कांबले एसपीजी में एआईजी बनेंगे। एमएचए से उनका आर्डर निकल गया है। समझा जाता है, इस महीने के अंत तक वे यहां से रिलीव हो जाएंगे। अमित के दिल्ली जाने के बाद गरियाबंद में नए एसपी की पोस्टिंग की जाएगी। लिहाजा, एसपी लेवल पर हलचल शुरू हो गई है। खतरा यह है कि एक के चक्कर में दो-एक और जिलों का चेन न बन जाएं। जैसे, आईजी और महिला कांस्टेबल मामले में हुआ। बड़ा उलटफेर हो गया।

24 अगस्त पर नजर

नान घोटाले में दो आईएएस अफसरों के खिलाफ भारत सरकार से अभियोजन की अनुमति मिलने के बाद एसीबी की नजर अब 24 अगस्त को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी है। दरअसल, सरकार भी नहीं चाहती कि ब्यूरोक्रेसी में कोई गलत मैसेज जाए। क्योंकि, हाईकोर्ट में डीबी बेंच में मामला है और इससे पहले कार्रवाई हो गई तो संदेश जाएगा कि छत्तीसगढ़ में आईएएस अफसरों को टांगा जा रहा है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार के पास कहने के लिए रहेगा कि भाई! हमने तो उन्हें पूरा मौका दिया। भारत सरकार के परमिशन के बिना भी अरेस्टिंग हो सकती थी। लेकिन, अभियोजन की स्वीकृति का इंतजार किया गया। कानूनविद्ों की मानें तो इस केस में पीटिशनर की बात सुनने का एकाध मौका मिल सकता है। बाकि, ऐसे केसों में क्या होता है, सबको पता है।

चौबे का बढ़ा कद!

लगता है, कांग्रेस की राजनीति में पुराने एवं कद्दावर नेता रविंद्र चौबे का कद बढ़ गया है। शुक्रवार को कांग्रेस कोर गु्रप की बैठक उनके घर पर हुई। बताते हैं, दिल्ली से नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने फोन करके चौबे को इसकी सूचना दे दी थी, महाराज, बैठक आपके घर पर ही होगी। अंदर की खबर यह है कि संगठन से खफा चल रहे चरणदास महंत भी इसीलिए पहुँचे कि बैठक चौबेजी के घर पर हो रही थी। कुछ और वरिष्ठ नेताओं के साथ भी यही स्थिति रही। खबर तो ये आ रही है कि पार्टी नेताआंें की नाराजगी दूर करने कोर ग्रुप बनाया गया है। और, चौबे इसके कोआर्डिनेटर होंगे।

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पहले दीपा कर्मकार और साक्षी मलिक की कामयाबी और फिर पीवी संधु का ऐतिहासिक प्रर्दशन। सलाम बेटियों! बेटों की चाहत में जान लेने वाले इस महान देश में तुम्हारा अल्ट्रा साउंड की मशीन से बच निकलना भी किसी चमत्कार से कम नहीं था।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस जिला अध्यक्ष को हटाकर कांग्रेस ने चरणदास महंत को नाराज कर दिया है?
2. जमीन से जुड़े एक कलेक्टर का नाम बताइये, जो अपने बंगले में जमीन पर चटाई बिछाकर सोते हैं?

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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