नईदिल्ली।उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र और राज्यों से कहा है कि वे किसी तरह के रक्षकदलों को संरक्षण न दें। न्यायालय ने केन्द्र और राज्यों से गौरक्षा के नाम पर हुई हिंसक घटनाओं के बारे में जवाब भी मांगा है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खनविल्कर और न्यायमूर्ति एम एम शंतनागोदार की पीठ को केन्द्र ने सूचित किया कि कानून और व्यवस्था राज्यों का विषय है, लेकिन वह देश में किसी भी तरह के रक्षकदलों का समर्थन नहीं करता।भाजपा शासित गुजरात और झारखंड के वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि इन राज्यों में गौरक्षा के नाम पर हुई हिंसक घटनाओं में शामिल लोगों पर समुचित कार्रवाई की गई है। न्यायालय में उनके बयान रिकार्ड किए गए और केन्द्र तथा अन्य राज्यों से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया। मामले की अगली सुनवाई छह सितम्बर को होगी।
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शीर्ष न्यायालय में हिंसा और दलितों तथा अल्पसंख्यकों पर ज्यादती कर रहे गौरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पिछले वर्ष 31 अक्तूबर को याचिका दायर की गई थी।न्यायालय ने सात अप्रैल को छह राज्यों से इस बारे में जवाब मांगा था।कार्यकर्ता तहसीन एस पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा था कि इन गौरक्षा दलों की ओर से हिंसक घटनाएं इस स्तर तक पहुंच गईं थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उन्हें फर्जी गौरक्षक बताना पड़ा और कहना पड़ा कि वे समाज को नष्ट कर रहे हैं।